जबलपुर, देशबन्धु. प्रदेश में परिवहन विभाग का नाम उन महत्वपूर्ण विभाग में शुमार है, जिसे कमाई वाला माना जाता है. जबलपुर के परिवहन विभाग में एक नई बात सामने आई है. यहां पर बीते कई सालों से शासन के तबादला नीति का क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है.
जो जहां लंबे समय से जमा है, वहीं पर काम कर रहा है. अंतर जिला तो दूर की बात है, स्थानीय स्तर पर भी यहां से वहां कर्मचारियों को करने का काम नहीं किया गया है. जिसके बाद कई तरह के सवाल उठने लगे हैं.
गौरतलब है कि जबलपुर में परिवहन कार्यालय में ऐसे कर्मचारियों की कमी नही है, जो अंगद की तरह अपनी कुर्सियों पर जमे हुये हैं. इन कर्मचारियों की पकड़ का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि दूसरे जिलों में जाना तो दूर की बात है, एक ही चेंबर या खिड़की तक से नहीं हटाये गये हैं.
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इससे दो तरह का नकसान हो रहा है, एक शासन की तबादला नीति की खुले आम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, वहीं दूसरी तरफ एक ही जगह जमे होने से मनमर्जी से कर्मचारी काम कर रहे हैं, इससे आम आवेदकों को तरह-तरह की असुविधा का सामना करना पड़ रहा है, इनकी सुनने वाला कोई नही है.
इन जगह पर जमे हैं कर्मी सूत्रों से मिली जानकारी परिवहन कार्यालय के लायसेंस शाखा, पंजीयन शाखा, अनापत्ति शाखा, नंबर वितरण शाखा इत्यादि शामिल है. यहां बीते कई सालों से कर्मचारी अपने-अपनी स्थान पर निरंतर काम कर रहे हैं. इनकी कुर्सी पूरी तरह सुरक्षित है. यह सभी मजबूती के साथ अपने-अपने काम को अंजाम दे रहे हैं. इसे लेकर परिवहन विभाग के गलियारों में चर्चा व्याप्त है.
आला अधिकारियों ने हाथ खड़े किये इस बारे में नाम न छापने की बात परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हमारे बस में कुछ नहीं है. तबादला नीति का परिपालन या उसे किस तरह लागू करना है, उसका निर्धारण ग्वालियर मुख्यालय में होता है. स्थानीय स्तर पर कुछ भी नहीं किया जा सकता है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि परिवहन विभाग में कर्मचारी कितने ताकतवार या पहुंच वाले हैं.