नई दिल्ली, 7 मार्च (आईएएनएस)। ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति को संसद के मानसून सत्र तक का समय मिला है, ताकि वह सदन के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश कर सके।
लोकसभा बुलेटिन (3 मार्च, 2023 का भाग-2) में कहा गया है, माननीय लोकसभा अध्यक्ष ने मानसून सत्र तक बिजली (संशोधन) विधेयक, 2022 पर रिपोर्ट की प्रस्तुति के लिए ऊर्जा (2022-23) पर स्थायी समिति को संसद का मानसून सत्र, 2023 तक समय विस्तार दिया है।
ऊर्जा पर संसदीय स्थायी समिति ने पहले ही बिजली संशोधन विधेयक, 2022 पर हितधारकों की टिप्पणियां मांगी थीं।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 21 नवंबर, 2022 को इस विधेयक को भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति के पास भेजा था।
समिति को विधेयक पर एक रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है।
विधेयक को किसानों और राजनीतिक दलों से बहुत विरोध मिला है। कई दलों ने आरोप लगाया है कि इसके प्रावधानों के अनुसार, उपभोक्ता राज्य के स्वामित्व वाली वितरण कंपनियों की कीमत पर निजी वितरकों का चयन करेंगे।
इस विधेयक का उद्देश्य वितरण लाइसेंस प्राप्त करने वाली किसी भी इकाई द्वारा वितरण नेटवर्क के उपयोग को सुविधाजनक बनाना है। यह उपभोक्ताओं को किसी विशेष क्षेत्र में काम करने वाले कई खिलाड़ियों में से किसी भी बिजली आपूर्तिकर्ता की सेवाओं को चुनने की अनुमति देगा, ठीक वैसे ही, जैसे ग्राहकों के पास मोबाइल नेटवर्क चुनने का विकल्प होता है।
जब बिजली मंत्री आर.के. सिंह ने 8 अगस्त, 2022 को लोकसभा में बिल पेश किया था, इसका कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी दलों ने काफी विरोध किया था।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
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नई दिल्ली, 7 मार्च (आईएएनएस)। ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति को संसद के मानसून सत्र तक का समय मिला है, ताकि वह सदन के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश कर सके।
लोकसभा बुलेटिन (3 मार्च, 2023 का भाग-2) में कहा गया है, माननीय लोकसभा अध्यक्ष ने मानसून सत्र तक बिजली (संशोधन) विधेयक, 2022 पर रिपोर्ट की प्रस्तुति के लिए ऊर्जा (2022-23) पर स्थायी समिति को संसद का मानसून सत्र, 2023 तक समय विस्तार दिया है।
ऊर्जा पर संसदीय स्थायी समिति ने पहले ही बिजली संशोधन विधेयक, 2022 पर हितधारकों की टिप्पणियां मांगी थीं।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 21 नवंबर, 2022 को इस विधेयक को भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति के पास भेजा था।
समिति को विधेयक पर एक रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है।
विधेयक को किसानों और राजनीतिक दलों से बहुत विरोध मिला है। कई दलों ने आरोप लगाया है कि इसके प्रावधानों के अनुसार, उपभोक्ता राज्य के स्वामित्व वाली वितरण कंपनियों की कीमत पर निजी वितरकों का चयन करेंगे।
इस विधेयक का उद्देश्य वितरण लाइसेंस प्राप्त करने वाली किसी भी इकाई द्वारा वितरण नेटवर्क के उपयोग को सुविधाजनक बनाना है। यह उपभोक्ताओं को किसी विशेष क्षेत्र में काम करने वाले कई खिलाड़ियों में से किसी भी बिजली आपूर्तिकर्ता की सेवाओं को चुनने की अनुमति देगा, ठीक वैसे ही, जैसे ग्राहकों के पास मोबाइल नेटवर्क चुनने का विकल्प होता है।
जब बिजली मंत्री आर.के. सिंह ने 8 अगस्त, 2022 को लोकसभा में बिल पेश किया था, इसका कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी दलों ने काफी विरोध किया था।
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लोकसभा बुलेटिन (3 मार्च, 2023 का भाग-2) में कहा गया है, माननीय लोकसभा अध्यक्ष ने मानसून सत्र तक बिजली (संशोधन) विधेयक, 2022 पर रिपोर्ट की प्रस्तुति के लिए ऊर्जा (2022-23) पर स्थायी समिति को संसद का मानसून सत्र, 2023 तक समय विस्तार दिया है।
ऊर्जा पर संसदीय स्थायी समिति ने पहले ही बिजली संशोधन विधेयक, 2022 पर हितधारकों की टिप्पणियां मांगी थीं।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 21 नवंबर, 2022 को इस विधेयक को भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति के पास भेजा था।
समिति को विधेयक पर एक रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है।
विधेयक को किसानों और राजनीतिक दलों से बहुत विरोध मिला है। कई दलों ने आरोप लगाया है कि इसके प्रावधानों के अनुसार, उपभोक्ता राज्य के स्वामित्व वाली वितरण कंपनियों की कीमत पर निजी वितरकों का चयन करेंगे।
इस विधेयक का उद्देश्य वितरण लाइसेंस प्राप्त करने वाली किसी भी इकाई द्वारा वितरण नेटवर्क के उपयोग को सुविधाजनक बनाना है। यह उपभोक्ताओं को किसी विशेष क्षेत्र में काम करने वाले कई खिलाड़ियों में से किसी भी बिजली आपूर्तिकर्ता की सेवाओं को चुनने की अनुमति देगा, ठीक वैसे ही, जैसे ग्राहकों के पास मोबाइल नेटवर्क चुनने का विकल्प होता है।
जब बिजली मंत्री आर.के. सिंह ने 8 अगस्त, 2022 को लोकसभा में बिल पेश किया था, इसका कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी दलों ने काफी विरोध किया था।
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ऊर्जा पर संसदीय स्थायी समिति ने पहले ही बिजली संशोधन विधेयक, 2022 पर हितधारकों की टिप्पणियां मांगी थीं।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 21 नवंबर, 2022 को इस विधेयक को भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति के पास भेजा था।
समिति को विधेयक पर एक रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है।
विधेयक को किसानों और राजनीतिक दलों से बहुत विरोध मिला है। कई दलों ने आरोप लगाया है कि इसके प्रावधानों के अनुसार, उपभोक्ता राज्य के स्वामित्व वाली वितरण कंपनियों की कीमत पर निजी वितरकों का चयन करेंगे।
इस विधेयक का उद्देश्य वितरण लाइसेंस प्राप्त करने वाली किसी भी इकाई द्वारा वितरण नेटवर्क के उपयोग को सुविधाजनक बनाना है। यह उपभोक्ताओं को किसी विशेष क्षेत्र में काम करने वाले कई खिलाड़ियों में से किसी भी बिजली आपूर्तिकर्ता की सेवाओं को चुनने की अनुमति देगा, ठीक वैसे ही, जैसे ग्राहकों के पास मोबाइल नेटवर्क चुनने का विकल्प होता है।
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ऊर्जा पर संसदीय स्थायी समिति ने पहले ही बिजली संशोधन विधेयक, 2022 पर हितधारकों की टिप्पणियां मांगी थीं।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 21 नवंबर, 2022 को इस विधेयक को भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति के पास भेजा था।
समिति को विधेयक पर एक रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है।
विधेयक को किसानों और राजनीतिक दलों से बहुत विरोध मिला है। कई दलों ने आरोप लगाया है कि इसके प्रावधानों के अनुसार, उपभोक्ता राज्य के स्वामित्व वाली वितरण कंपनियों की कीमत पर निजी वितरकों का चयन करेंगे।
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जब बिजली मंत्री आर.के. सिंह ने 8 अगस्त, 2022 को लोकसभा में बिल पेश किया था, इसका कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी दलों ने काफी विरोध किया था।
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ऊर्जा पर संसदीय स्थायी समिति ने पहले ही बिजली संशोधन विधेयक, 2022 पर हितधारकों की टिप्पणियां मांगी थीं।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 21 नवंबर, 2022 को इस विधेयक को भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति के पास भेजा था।
समिति को विधेयक पर एक रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है।
विधेयक को किसानों और राजनीतिक दलों से बहुत विरोध मिला है। कई दलों ने आरोप लगाया है कि इसके प्रावधानों के अनुसार, उपभोक्ता राज्य के स्वामित्व वाली वितरण कंपनियों की कीमत पर निजी वितरकों का चयन करेंगे।
इस विधेयक का उद्देश्य वितरण लाइसेंस प्राप्त करने वाली किसी भी इकाई द्वारा वितरण नेटवर्क के उपयोग को सुविधाजनक बनाना है। यह उपभोक्ताओं को किसी विशेष क्षेत्र में काम करने वाले कई खिलाड़ियों में से किसी भी बिजली आपूर्तिकर्ता की सेवाओं को चुनने की अनुमति देगा, ठीक वैसे ही, जैसे ग्राहकों के पास मोबाइल नेटवर्क चुनने का विकल्प होता है।
जब बिजली मंत्री आर.के. सिंह ने 8 अगस्त, 2022 को लोकसभा में बिल पेश किया था, इसका कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी दलों ने काफी विरोध किया था।
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ऊर्जा पर संसदीय स्थायी समिति ने पहले ही बिजली संशोधन विधेयक, 2022 पर हितधारकों की टिप्पणियां मांगी थीं।
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विधेयक को किसानों और राजनीतिक दलों से बहुत विरोध मिला है। कई दलों ने आरोप लगाया है कि इसके प्रावधानों के अनुसार, उपभोक्ता राज्य के स्वामित्व वाली वितरण कंपनियों की कीमत पर निजी वितरकों का चयन करेंगे।
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जब बिजली मंत्री आर.के. सिंह ने 8 अगस्त, 2022 को लोकसभा में बिल पेश किया था, इसका कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी दलों ने काफी विरोध किया था।
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ऊर्जा पर संसदीय स्थायी समिति ने पहले ही बिजली संशोधन विधेयक, 2022 पर हितधारकों की टिप्पणियां मांगी थीं।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 21 नवंबर, 2022 को इस विधेयक को भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति के पास भेजा था।
समिति को विधेयक पर एक रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है।
विधेयक को किसानों और राजनीतिक दलों से बहुत विरोध मिला है। कई दलों ने आरोप लगाया है कि इसके प्रावधानों के अनुसार, उपभोक्ता राज्य के स्वामित्व वाली वितरण कंपनियों की कीमत पर निजी वितरकों का चयन करेंगे।
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जब बिजली मंत्री आर.के. सिंह ने 8 अगस्त, 2022 को लोकसभा में बिल पेश किया था, इसका कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी दलों ने काफी विरोध किया था।
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नई दिल्ली, 7 मार्च (आईएएनएस)। ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति को संसद के मानसून सत्र तक का समय मिला है, ताकि वह सदन के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश कर सके।
लोकसभा बुलेटिन (3 मार्च, 2023 का भाग-2) में कहा गया है, माननीय लोकसभा अध्यक्ष ने मानसून सत्र तक बिजली (संशोधन) विधेयक, 2022 पर रिपोर्ट की प्रस्तुति के लिए ऊर्जा (2022-23) पर स्थायी समिति को संसद का मानसून सत्र, 2023 तक समय विस्तार दिया है।
ऊर्जा पर संसदीय स्थायी समिति ने पहले ही बिजली संशोधन विधेयक, 2022 पर हितधारकों की टिप्पणियां मांगी थीं।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 21 नवंबर, 2022 को इस विधेयक को भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति के पास भेजा था।
समिति को विधेयक पर एक रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है।
विधेयक को किसानों और राजनीतिक दलों से बहुत विरोध मिला है। कई दलों ने आरोप लगाया है कि इसके प्रावधानों के अनुसार, उपभोक्ता राज्य के स्वामित्व वाली वितरण कंपनियों की कीमत पर निजी वितरकों का चयन करेंगे।
इस विधेयक का उद्देश्य वितरण लाइसेंस प्राप्त करने वाली किसी भी इकाई द्वारा वितरण नेटवर्क के उपयोग को सुविधाजनक बनाना है। यह उपभोक्ताओं को किसी विशेष क्षेत्र में काम करने वाले कई खिलाड़ियों में से किसी भी बिजली आपूर्तिकर्ता की सेवाओं को चुनने की अनुमति देगा, ठीक वैसे ही, जैसे ग्राहकों के पास मोबाइल नेटवर्क चुनने का विकल्प होता है।
जब बिजली मंत्री आर.के. सिंह ने 8 अगस्त, 2022 को लोकसभा में बिल पेश किया था, इसका कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी दलों ने काफी विरोध किया था।
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ऊर्जा पर संसदीय स्थायी समिति ने पहले ही बिजली संशोधन विधेयक, 2022 पर हितधारकों की टिप्पणियां मांगी थीं।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 21 नवंबर, 2022 को इस विधेयक को भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति के पास भेजा था।
समिति को विधेयक पर एक रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है।
विधेयक को किसानों और राजनीतिक दलों से बहुत विरोध मिला है। कई दलों ने आरोप लगाया है कि इसके प्रावधानों के अनुसार, उपभोक्ता राज्य के स्वामित्व वाली वितरण कंपनियों की कीमत पर निजी वितरकों का चयन करेंगे।
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विधेयक को किसानों और राजनीतिक दलों से बहुत विरोध मिला है। कई दलों ने आरोप लगाया है कि इसके प्रावधानों के अनुसार, उपभोक्ता राज्य के स्वामित्व वाली वितरण कंपनियों की कीमत पर निजी वितरकों का चयन करेंगे।
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नई दिल्ली, 7 मार्च (आईएएनएस)। ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति को संसद के मानसून सत्र तक का समय मिला है, ताकि वह सदन के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश कर सके।
लोकसभा बुलेटिन (3 मार्च, 2023 का भाग-2) में कहा गया है, माननीय लोकसभा अध्यक्ष ने मानसून सत्र तक बिजली (संशोधन) विधेयक, 2022 पर रिपोर्ट की प्रस्तुति के लिए ऊर्जा (2022-23) पर स्थायी समिति को संसद का मानसून सत्र, 2023 तक समय विस्तार दिया है।
ऊर्जा पर संसदीय स्थायी समिति ने पहले ही बिजली संशोधन विधेयक, 2022 पर हितधारकों की टिप्पणियां मांगी थीं।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 21 नवंबर, 2022 को इस विधेयक को भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति के पास भेजा था।
समिति को विधेयक पर एक रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है।
विधेयक को किसानों और राजनीतिक दलों से बहुत विरोध मिला है। कई दलों ने आरोप लगाया है कि इसके प्रावधानों के अनुसार, उपभोक्ता राज्य के स्वामित्व वाली वितरण कंपनियों की कीमत पर निजी वितरकों का चयन करेंगे।
इस विधेयक का उद्देश्य वितरण लाइसेंस प्राप्त करने वाली किसी भी इकाई द्वारा वितरण नेटवर्क के उपयोग को सुविधाजनक बनाना है। यह उपभोक्ताओं को किसी विशेष क्षेत्र में काम करने वाले कई खिलाड़ियों में से किसी भी बिजली आपूर्तिकर्ता की सेवाओं को चुनने की अनुमति देगा, ठीक वैसे ही, जैसे ग्राहकों के पास मोबाइल नेटवर्क चुनने का विकल्प होता है।
जब बिजली मंत्री आर.के. सिंह ने 8 अगस्त, 2022 को लोकसभा में बिल पेश किया था, इसका कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी दलों ने काफी विरोध किया था।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
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नई दिल्ली, 7 मार्च (आईएएनएस)। ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति को संसद के मानसून सत्र तक का समय मिला है, ताकि वह सदन के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश कर सके।
लोकसभा बुलेटिन (3 मार्च, 2023 का भाग-2) में कहा गया है, माननीय लोकसभा अध्यक्ष ने मानसून सत्र तक बिजली (संशोधन) विधेयक, 2022 पर रिपोर्ट की प्रस्तुति के लिए ऊर्जा (2022-23) पर स्थायी समिति को संसद का मानसून सत्र, 2023 तक समय विस्तार दिया है।
ऊर्जा पर संसदीय स्थायी समिति ने पहले ही बिजली संशोधन विधेयक, 2022 पर हितधारकों की टिप्पणियां मांगी थीं।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 21 नवंबर, 2022 को इस विधेयक को भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति के पास भेजा था।
समिति को विधेयक पर एक रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है।
विधेयक को किसानों और राजनीतिक दलों से बहुत विरोध मिला है। कई दलों ने आरोप लगाया है कि इसके प्रावधानों के अनुसार, उपभोक्ता राज्य के स्वामित्व वाली वितरण कंपनियों की कीमत पर निजी वितरकों का चयन करेंगे।
इस विधेयक का उद्देश्य वितरण लाइसेंस प्राप्त करने वाली किसी भी इकाई द्वारा वितरण नेटवर्क के उपयोग को सुविधाजनक बनाना है। यह उपभोक्ताओं को किसी विशेष क्षेत्र में काम करने वाले कई खिलाड़ियों में से किसी भी बिजली आपूर्तिकर्ता की सेवाओं को चुनने की अनुमति देगा, ठीक वैसे ही, जैसे ग्राहकों के पास मोबाइल नेटवर्क चुनने का विकल्प होता है।
जब बिजली मंत्री आर.के. सिंह ने 8 अगस्त, 2022 को लोकसभा में बिल पेश किया था, इसका कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी दलों ने काफी विरोध किया था।