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Home ताज़ा समाचार

संसद ने विमान उपकरणों, लीजिंग से संबंधित विधेयक को दी मंजूरी

देशबन्धु by देशबन्धु
April 4, 2025
in ताज़ा समाचार
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नई दिल्ली, 4 अप्रैल (आईएएनएस)। संसद ने शुक्रवार को समाप्त बजट सत्र में विमान उपकरणों के मामलों में हितों की सुरक्षा से संबंधित विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी है। इस विधेयक को लोकसभा ने 3 अप्रैल को मंजूरी दे दी, जबकि राज्यसभा में यह 1 अप्रैल को पारित हो चुका था।

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इस विधेयक का उद्देश्य देश के एयरक्राफ्ट लीजिंग और वित्तपोषण पारिस्थितिकी तंत्र को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना है। यह देश के तेजी से बढ़ते विमानन बाजार में निवेशकों के विश्वास को और दृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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यह विधेयक 2001 के केप टाउन कन्वेंशन के ढांचे पर आधारित है, जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय लीजिंग समझौतों को सरल और मानकीकृत करना था। भारत ने औपचारिक रूप से 2008 में इस कन्वेंशन को अपनाया था, लेकिन इसके लिए कानून नहीं बनाया था। इस विधेयक पर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद यह कमी भी दूर हो जाएगी।

नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने इस कानून की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा, “नागर विमानन में इस छलांग के पीछे एक सोच थी। उस सोच को पूरा करने के लिए एक मिशन था और उस मिशन को संभव बनाने के लिए हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मार्गदर्शन था। आज हम जिस तरह का विकास देख रहे हैं, वह उनके नेतृत्व के कारण ही संभव हो पाया है।”

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उन्होंने कहा कि आजादी से लेकर 2014 तक लगभग 65 वर्षों तक देश में हवाई यात्रियों की सालाना संख्या 10 करोड़ 38 लाख थी। अगले 10 वर्षों में ही यह संख्या दोगुनी से भी अधिक होकर 2024 में 22 करोड़ 81 लाख हो गई है। इसी तरह, हवाई अड्डों की संख्या 2014 के 74 से बढ़कर 2024 में 159 हो गई है। इसके अलावा, दो और हवाई अड्डे जल्द ही शुरू होने वाले हैं।

मंत्री ने विमानों की संख्या में वृद्धि पर भी प्रकाश डाला, जो 2014 में 340 से बढ़कर 2024 तक 840 से अधिक हो गई है।

उन्होंने कहा, “ये आंकड़े बताते हैं कि देश में नागरिक उड्डयन न केवल बढ़ रहा है – बल्कि फलफूल रहा है। किसी अन्य देश ने इतने कम समय में विमानन विस्तार का यह स्तर नहीं देखा है।”

इस विधेयक से लीजिंग प्रक्रिया को और आसान बनाने, भारत को विमानन निवेश के लिए और अधिक आकर्षक गंतव्य बनाने और केप टाउन कन्वेंशन के तहत देश के अनुपालन स्कोर में सुधार की उम्मीद है। विमान सेवा कंपनियों की लागत को कम करने और इस क्षेत्र में नए एयरलाइंस को प्रोत्साहित करने के लिए ये बदलाव आवश्यक हैं।

विधेयक पर चर्चा के दौरान नागरिक उड्डयन क्षेत्र के व्यापक मुद्दों पर भी बात हुई, जैसे कि एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) की उच्च लागत, जो एयरलाइन की परिचालन लागत का लगभग 45 प्रतिशत है।

मंत्री ने राज्यों में एटीएफ कर में भिन्नता पर चिंता व्यक्त की और उन राज्यों से भी करों में कटौती का आह्वान किया जिन्होंने अब तक ऐसा नहीं किया है। उन्होंने कहा, “इन करों को कम करने से क्षेत्रीय संपर्क बढ़ेगा और यात्रियों के लिए लागत कम होगी। भविष्य को देखते हुए, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने स्थिरता और क्षमता निर्माण के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं।”

साल 2025 तक 2.5 करोड़ लीटर सस्टेनेबल विमानन ईंधन (एसएएफ) उत्पन्न करने और 100 से अधिक हवाई अड्डों को अक्षय ऊर्जा में बदलने की योजना के साथ, भारत हरित विमानन की दिशा में एक मजबूत कदम उठा रहा है। इस क्षेत्र में प्रशिक्षित पायलटों की मांग भी बढ़ रही है। अनुमान के अनुसार, अगले 10 से 15 साल में 30,000 से 34,000 तक पायलटों की आवश्यकता होगी।

मंत्री ने कहा, “हम इस मांग को पूरा करने के लिए उड़ान प्रशिक्षण संगठनों (एफटीओ) की संख्या बढ़ाने और सालाना अधिक वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस जारी करने पर काम कर रहे हैं।”

राम मोहन नायडू ने सरकार के दीर्घकालिक दृष्टिकोण की पुष्टि की। उन्होंने कहा, “देश में नागरिक उड्डयन का मतलब सिर्फ विमान उड़ाना नहीं है। इसका मतलब लोगों को जोड़ना, अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना और अवसर पैदा करना है। और हम देश को विमानन के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

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–आईएएनएस

एकेएस/एकेजे

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