जबलपुर. शहर के साथ लगभग समूचे प्रदेश में बेरोजगारी इस कदर पैर पसार चुकी हैं कि नौकरी का अवसर दिखाई देते ही बेरोजगार बिना विचार किए आवेदन देकर अवसर तलाशने जुट जाते हैं हैं. प्रदेश में व्याप्त बेरोजगारी की आपदा को साइबर ठगों ने इस तरह अवसर में बदला कि शहर सहित प्रदेश के 15 हजार बेरोजगार युवाओं से 75 लाख रुपए की ठगी कर ली. आयुष विभाग के नाम पर फर्जी बेबसाइट के झांसे में आकर हजारों युवा ठगी का शिकार बन गए.
मामले में आरोपियों को गिरफ्तार किया गया हैं लेकिन बेरोजगारी इस कदर हैं कि कुछ दिनों बाद फिर कोई साइबर ठग यदि कोई वेबसाइड बना ले तो फिर युवा नौकरी की धोखाधड़ी का शिकार बन सकते हैं. जानकारों का कहना है कि ऐसी वेबसाइट से बचने के लिए सबसे जरूरी है कि, बेरोजगार अपने आवेदन केवल संस्थानों की अधिकृत वेबसाइट के माध्यम से ही करें. आवेदन करने से पहले संबंधित विभाग की वेबसाइट पर जानकारी की पुष्टि करना जरूरी हैं. इसके अलावा, किसी भी वेबसाइट पर व्यक्तिगत जानकारी देने से पहले यह सुनिश्चित करना भी जरुरी हैं कि वह वेबसाइट सुरक्षित और प्रमाणित है.
प्रदेश में लगातार बढ़ रहे नौकरी के नाम पर धोखाधड़ी के मामले
प्रदेश में नौकरी के नाम पर धोखाधड़ी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. यहां आयुष विभाग के नाम पर बनाई गई एक फर्जी वेबसाइट ने हजारों बेरोजगारों को अपना शिकार बना लिया. 7 मार्च 2025 को ई-औषधि एमपी पोर्टल के नाम पर 2 हजार 9 सौ 72 पदों की भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया था. यह विज्ञापन पूरी तरह से झूठा था और जब तक इसकी सच्चाई सामने आई, तब तक करीब 15 हजार बेरोजगारों ने ऑनलाइन आवेदन कर दिया था. इस फर्जी भर्ती प्रक्रिया में आवेदकों से 5 सौ रुपए शुल्क लिया गया था. इस तरह, ठगों ने लगभग 75 लाख रुपए की ठगी की. आवेदन की प्रक्रिया पूरी करने के बाद आवेदकों को किसी भी प्रकार की रसीद नहीं मिला और अब वेबसाइट भी बंद हो चुकी है. आयुष विभाग ने एक महीने बाद इस भर्ती को फर्जी बताते हुए चेतावनी दी है कि, ऐसा कोई अधिकृत विज्ञापन जारी नहीं किया गया था.
उमरिया में जियो के नाम पर हजारों को लगा चूना
अक्टूबर 2024 में जियों के नाम पर एक कथित कंपनी के बेरोजगारों के साथ ठगी करने पूरे शहर में पोस्टर लगा दिए थे. नंबरों पर यदि कोई पढ़ा लिखा व्यक्ति संपर्क करता हैं तो बेरोजगार को असिस्टेंट मैनेजर की जॉब देने का प्रलोभन दिया जाता कि वेतन 28 हजार 5 सौ रुपए, काम का वक्त 8 घंटे और महीने में चार छुट्टी रविवार की और दो इमरजेंसी छुट्टी के साथ ही रहने, खाने, बीमा, बोनस आदि सब कंपनी की ओर से देने का प्रलोभन दिया जाता हैं.
इस पूरे प्रलोभन की असलियत उस वक्त सामने आ जाती हैं जब बेरोजगारों से पंजीयन शुल्क के नाम पर 1 हजार 8 सौ 50 रुपए जमा करने की बात कही जाती हैं. कहा जाता हैं राशि आवेदक की उस तनख्वाह के साथ अगले माह वापस कर दी जाएगी जो संभवत: आवेदक के खाते में कभी भी नहीं आती. जिले में पदस्थापना का सब्जबाग दिखाते हुए आवेदक के सारे दस्तावेज व्हाट्सएप पर बुलवाए जाते हैं.
पंजीयन शुल्क जमा करने के बजाए कंपनी के प्रतिनिधि द्वारा किसी बात पर जोर नहीं जाता यहां तक की साक्षात्कार और किसी भी प्रवेश परीक्षा के बजाए फोन कॉल करने वाले आवेदक को सीधी भर्ती का भी प्रलोभन दिया जाता हैं. जो आवेदक इनकी बातों में आ जाए वे कम से कम 1 हजार 8 सौ पचास रुपए से हाथ धो देता हैं आपको जानकर हैरानी होगी कि नौकरी की आस में रुपए गंवाने वाले आवेदकों की संख्या कम नहीं हैं.
आरोग्य दवा फ्रेंचाइजी के नाम पर करोड़ों की ठगी
एक मोस्ट वांटेड ठग के पी सिंह उर्फ कुँवर पुष्पेंद्र सिंह द्वारा करीब दो वर्ष पूर्व प्रदेश भर में 6 से अधिक एफ़आईआर दर्ज हैं. आरोपी ने रेडक्रॉस के फर्जी अनुबंद पर आरोग्य दवा फ्रैचाइजी के नाम पर शहर के दो दवा व्यापारियों सहित बड़ी संख्या में प्रदेश भर के व्यापारियों से करोड़ों रुपए की ठगी की थी.
परीक्षा पूर्व सक्रिय हुए थे सायबर ठग
बोर्ड परीक्षाओं के नजदीक आने के पूर्व भी सोशल मीडिया पर विद्यार्थियों से धोखाधड़ी करने वाले कई ग्रुप सक्रिय हुए. पेपर के लिए पैसों की मांग की और विद्यार्थियों को फर्जी प्रश्नपत्र उपलब्ध कराते हुए गायब हो गए. इस वजह से विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को आर्थिक हानि होने के साथ मानसिक तकलीफ का भी सामना करना पड़ा.
सुपर मिल्क के नाम पर 97 हजार की ठगी
हालहीं में विजय नगर में रहने वाले एक युवक को गूगल सर्च कर सुपर मिल्क का ऑनलाइन आर्डर महंगा पड़ गया. किसी साइबर ठग ने उनके खाते से करीब 97 हजार रुपए पार कर दिए. विजय नगर थाना पुलिस को इस मामले में पीडि़त ई 67 समदडिय़ा रेसीडेंसी, उखरी तिराहा निवासी 36 वर्षीय प्रदीप गुप्ता ने लिखित शिकायत दर्ज कराई जिस पर पुलिस ने आरोपी साइबर ठग के खिलाफ धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज कर मामला विवेवचा में लिया हैं.
23 सितम्बर 2024 का ईर्काट लोजिसटिक के माध्यम से प्रदीप गुप्ता ने अपने बेटे ऐश्वर्य गुप्ता के लिये सुपर मिल्क नाम का एक प्रोडेक्ट आनलाईन आर्डर किया था. जिसकी डिलेवरी के समय डिलेवरी ब्वाय ने रुपए ऑनलाइन भेजने की बात कही. जिस पर प्रदीप गुप्ता के द्वारा ईर्काट लोजिसटिक जबलपुर का नम्बर गूगल के माध्यम से खोजा और पेमेंट करते ही ठगी का शिकार हो गए.