नई दिल्ली, 9 मार्च (आईएएनएस)। मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने गुरुवार को कुछ सर्वेक्षणों और रैंकिंग एजेंसियों की ओर इशारा किया और कहा कि त्रुटिपूर्ण रिपोर्ट चुनाव प्रबंधन निकायों (ईएमबी) की विश्वसनीयता को अधिक नुकसान पहुंचाती है।
सीईसी ने कहा, ईएमबी के अग्रणी कार्य का इन सर्वेक्षणों में उल्लेख नहीं किया गया है और कुछ संगठनों द्वारा की गई रैंकिंग और कम समावेशिता वाले देशों को उच्च स्थान दिया गया है। त्रुटिपूर्ण रिपोर्ट ईएमबी की विश्वसनीयता को और अधिक नुकसान पहुंचाती है।
सीईसी समावेशी चुनाव और चुनाव अखंडता विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में ईबीएम के सामने आने वाली चुनौतियों पर बोल रहे थे। सीईसी ने भाग लेने वाले ईएमबी से आवश्यक पैरामीटर और मानकों के साथ आने का आग्रह किया जो ऐसे सर्वेक्षणों का मार्गदर्शन करें।
सीईसी ने बताया कि भारत में 460 मिलियन महिला मतदाता हैं, जो पुरुष मतदाताओं की संख्या के लगभग बराबर है। 2019 के पिछले आम चुनाव में पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने अधिक मतदान किया था। उन्होंने कहा कि समावेश का यह वह स्तर है जिसे भारत हासिल करने में सक्षम रहा है।
चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय ने अपने संबोधन में कहा कि चुनाव आयोग नो वोटर टू बी लेफ्ट बिहाइंड के आधार पर समावेशी चुनाव के लिए काम कर रहा है। पांडे ने कहा कि हमारा प्रमुख मतदाता शिक्षा कार्यक्रम स्वीप देश भर में दस लाख से अधिक मतदान केंद्रों में फैले 95 करोड़ से अधिक मतदाताओं से जुड़ता है।
चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने कहा कि समावेशी चुनाव चुनाव अखंडता का एक महत्वपूर्ण निर्माण खंड है। उन्होंने कहा कि मतदाताओं के कई वर्गों, विशेष रूप से महिलाओं, ट्रांसजेंडरों, पीडब्ल्यूडी, वरिष्ठ नागरिकों, सेवा मतदाताओं, प्रवासियों, जातीय अल्पसंख्यकों और समाज के कुछ अन्य कमजोर वर्गों को चुनावी भागीदारी में बाधाओं का सामना करना पड़ता है और नागरिकों की ऐसी श्रेणियों के लिए समावेशन में ईएमबी/ईए की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
लोकतंत्र के लिए शिखर सम्मेलन की कार्रवाई के वर्ष के हिस्से के रूप में, भारत चुनाव आयोग के माध्यम से दुनिया के अन्य लोकतंत्रों के साथ अपने ज्ञान, तकनीकी विशेषज्ञता और अनुभवों को साझा करने के लिए चुनाव अखंडता पर लोकतंत्र समूह का नेतृत्व कर रहा है।
–आईएएनएस
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