नई दिल्ली, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। दिल्ली नगर निगम के पास 250 वाडरें के लिए 15,000 करोड़ रुपये से अधिक का वार्षिक बजट है। बावजूद इसके वह अभी भी इंदौर जैसे शहरों से पीछे है, जिनका बजट कम है, लेकिन स्वच्छता के मामले में टॉप रैंक पर है।
इंदौर नगर निगम (आईएमसी) के पास 1,500 वाहनों का बेड़ा है और 11,000 सफाई कर्मचारियों (कुछ एक निजी ठेकेदार द्वारा नियोजित) की एक टीम है। आईएमसी के 5,000 करोड़ रुपये के वार्षिक बजट में से लगभग 1,200 करोड़ रुपये स्वच्छता के लिए आवंटित किए गए हैं। इसमें वेतन और अन्य विविध व्यय शामिल हैं।
आईएमसी डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण के लिए निवासियों पर मामूली शुल्क लगाती है। शुल्क मलिन बस्तियों में हर एक घर से प्रति माह 60 रुपये, मध्यम वर्ग के इलाकों में हर घर से प्रति माह 90 रुपये और पॉश इलाकों में प्रति माह 150 रुपये तक है।
आईएमसी ने पिछले वित्त वर्ष में यूजर चार्ज से करीब 240 करोड़ रुपये की कमाई की थी।
इस बीच, बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) या मुंबई नागरिक निकाय, देश के सबसे अमीर नागरिक निकाय के पास 2022-23 के लिए 45,949.21 करोड़ रुपये का बजट है, जो 2021-22 के बजट से 17 प्रतिशत अधिक है। इसने कचरा और स्वच्छता के मुद्दों से निपटने के लिए विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल किया है। राष्ट्रीय राजधानी में, हालांकि, स्वच्छता का मुद्दा जो एमसीडी के अंतर्गत आता है, दिल्ली में निकाय चुनावों से पहले भी नियमित अंतराल पर सामने आया है, क्योंकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में इस क्षेत्र के लिए एक बड़ी राशि स्वीकृत होने के बावजूद, इस पर स्थिति जस की तस बनी हुई है।
स्वच्छता के लिए आवंटन 4,153.28 करोड़ रुपये है, जो कुल बजट का 27.19 प्रतिशत है, जबकि वित्तीय वर्ष 2022-2023 में शिक्षा के लिए 2,632.78 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। हालांकि, राष्ट्रीय राजधानी में स्वच्छता और प्राथमिक शिक्षा सहित बुनियादी सुविधाओं को सुनिश्चित करने में नागरिक निकाय विफल रहा है।
एमसीडी के लिए आय का मुख्य स्रोत विज्ञापन राजस्व, टोल टैक्स और कार पाकिर्ंग से शुल्क और मोबाइल फोन टावरों के अलावा संपत्ति कर है।
संपत्ति कर एमसीडी के लिए राजस्व के मुख्य स्रोतों में से एक है और इसका अधिकांश हिस्सा दक्षिण दिल्ली से एकत्र किया जाता है। 2021-22 के लिए कुल संपत्ति कर संग्रह लगभग 11.50 लाख संपत्तियों से 2,032 करोड़ रुपये था।
अपने बजट से स्वच्छता उपायों के लिए 27.19 प्रतिशत आवंटन के बावजूद, ऐसे कई उदाहरण हैं, जब सफाई कर्मचारी अपने वेतन में देरी या बकाया का भुगतान न करने के कारण हड़ताल पर चले गए थे।
इस साल जून में, सैकड़ों सफाई कर्मचारी एमसीडी मुख्यालय के बाहर अस्थायी कर्मचारियों को बनाए रखने, वेतन भुगतान में देरी को समाप्त करने, श्रमिकों के लिए आवास, नए कर्मचारियों को काम पर रखने, बोनस वितरण सहित अन्य मांगों को लेकर एकत्र हुए थे।
अक्टूबर में, एमसीडी के तहत कई सफाई कर्मचारी, जो अपनी सेवाओं को नियमित करने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर थे, ने नगर निकाय के अधिकारियों के साथ एक समझौते पर पहुंचने के बाद विरोध वापस ले लिया।
10,000 से अधिक सफाई कर्मचारी, जो संविदात्मक और स्थायी आधार पर काम कर रहे हैं, अनिश्चितकालीन हड़ताल का हिस्सा थे। एक अस्थायी कर्मचारी का वेतन 12,000 रुपये प्रति माह है।
सूत्रों के अनुसार, एमसीडी में 60,000 सफाई कर्मचारियों में से 30,000 से अधिक कर्मचारी 1998 से अस्थायी आधार पर काम कर रहे हैं।
हड़ताल पर गए कर्मचारियों ने यह कहते हुए शहर के विभिन्न हिस्सों में कचरा इकट्ठा करने और सड़कों पर झाडू लगाने से इनकार कर दिया था कि एमसीडी ने उनसे सिर्फ खाली वादे ही किए हैं।
पूर्ववर्ती तीन नागरिक निकाय – उत्तर, पूर्व और दक्षिण दिल्ली नगर निगमों को 22 मई को दिल्ली नगर निगम के रूप में फिर से एकीकृत किया गया, आईएएस अधिकारी अश्विनी कुमार और ज्ञानेश भारती ने क्रमश: नए नगरपालिका के विशेष अधिकारी और आयुक्त के रूप में कार्यभार संभाला।
संसद द्वारा अनिवार्य परिसीमन अभ्यास के एकीकरण और समापन के बाद, एमसीडी में वाडरें की संख्या 22 से कम हो गई है। एकीकरण प्रक्रिया ने पूर्वी और उत्तरी दिल्ली के निवासियों के लिए करों में भी वृद्धि की है, जहां दरों में बढ़ोतरी हुई है। अब दक्षिण दिल्ली के बराबर लाया गया है।
इस प्रक्रिया के कारण ट्रेड लाइसेंस, हेल्थ लाइसेंस, स्टोरेज फीस और प्रॉपर्टी टैक्स जैसे करों और शुल्कों में भारी वृद्धि हुई है।
–आईएएनएस
पीके/एसकेपी