लखनऊ, 10 मई (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को ‘शिक्षक धन्यवाद समारोह’ को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा केवल अच्छे अंकों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे नैतिक मूल्यों, संस्कारों और राष्ट्र प्रथम की भावना से जोड़ना चाहिए। हम अक्सर शिक्षा को अंकों तक सीमित कर देते हैं, लेकिन शिक्षा का उद्देश्य जीवन निर्माण है। एक ऐसा जीवन जो देश के लिए उपयोगी हो, समाज के लिए प्रेरणा हो।
उन्होंने कहा कि जब हम शिक्षा को संस्कारों और राष्ट्रीय मूल्यों से जोड़ते हैं, तभी ‘विकसित भारत’ की नींव रखी जा सकती है। ‘विकसित भारत’ वह होगा, जहां हर नागरिक सुरक्षित, समृद्ध और आत्मनिर्भर हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘विकसित भारत’ का जो संकल्प देशवासियों को दिया है, उसमें शिक्षा और शिक्षकों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। शिक्षक ऐसी पीढ़ी को गढ़ने का कार्य कर रहे हैं, जो आने वाले समय में न केवल अकादमिक रूप से उत्कृष्ट होगी, बल्कि नैतिक दृष्टिकोण से भी मजबूत होगी।
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की बातों का उल्लेख करते हुए कहा कि हम सभी के लिए ‘नेशन फर्स्ट’ ही पहला मंत्र होना चाहिए। यह काम सिर्फ देश के नेतृत्व, सेना के जवानों और प्रशासनिक अफसरों का ही नहीं है, बल्कि शिक्षकों के लिए भी होना चाहिए। सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए सीएम योगी ने कहा कि जब युवाओं के भीतर राष्ट्र के प्रति श्रद्धा का अभाव होता है, तभी देशविरोधी विचार पनपते हैं, इसलिए शिक्षकों का उत्तरदायित्व बनता है कि वे न केवल ज्ञान दें, बल्कि छात्रों में देशभक्ति और नैतिकता भी रोपें।
सीएम योगी ने कहा कि 70 वर्ष पूर्व डॉ. जगदीश गांधी और डॉ. भारती गांधी ने सीमित संसाधनों के बावजूद महान उद्देश्य को लेकर इस संस्थान की नींव रखी। जब वे लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्र थे, तब न तो उनके पास कोई संसाधन था, न ही कोई विशेष व्यवस्था, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और राजधानी लखनऊ में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का सपना देखा। आज उसी सपने के परिणामस्वरूप सीएमएस में हजारों छात्र अध्ययन कर रहे हैं। हर छात्र को मेरिट सूची में स्थान नहीं मिल सकता, लेकिन शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों जैसे खेल, कला और सेवा में अपनी पहचान बना सकते हैं।
सीएम योगी ने देश की वैदिक परंपराओं की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमारा वैदिक उद्घोष “माता भूमि: पुत्रोऽहं पृथिव्या:” रहा है। यह वही भावना है, जिसे डॉ. गांधी ने ‘जय जगत’ के रूप में प्रस्तुत किया। प्रधानमंत्री मोदी उसी भावना को ‘नेशन फर्स्ट’ के सिद्धांत में दोहरा रहे हैं। हमें भी इसी सिद्धांत के साथ जीवन के हर क्षेत्र में कार्य करना चाहिए।
–आईएएनएस
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