नई दिल्ली. भारत ने आज संयुक्त राष्ट्र में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ प्रस्तुत कर पाकिस्तान और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीआरएफ) का हाथ पहलगाम में हुए ताजा आंतकी हमले में होने का आरोप लगाया है. भारत ने अपने सबूतों के साथ इस काले चिट्ठे को खोलते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद रोधी कार्यालय (UNOCT) और आतंकवाद रोधी समिति कार्यकारी निदेशालय (CTED) के समक्ष विस्तृत सबूत पेश किए. इन सबूतों में TRF और लश्कर-ए-तैयबा के बीच सीधे संबंध है. दुनिया के सामने आतंकवाद के पीछे पाकिस्तान के गहरे समर्थन का पर्दाफाश किया है.
प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के निर्देश पर भारत ने अपने प्रस्तुतिकरण में कहा कि पहलगाम में हुए इस आतंकवादी हमले का मुख्य मकसद कश्मीर घाटी में अस्थिरता फैलाना था. भारत का तर्क है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों और आतंकवादी समूहों का हाथ इस घटना में स्पष्ट है.
भारत की ओर से पेश किए गए दस्तावेजों में स्पष्ट किया गया है कि TRF, लश्कर-ए-तैयबा का ही एक मुखौटा संगठन है, जिसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का समर्थन प्राप्त है. हमले के तुरंत बाद TRF ने इसकी जिम्मेदारी ली थी, लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव और पाकिस्तान के निर्देश पर बाद में उससे मुकर गया.
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भारतीय अधिकारियों के अनुसार, TRF ने सीमा पार अपने आकाओं के इशारे पर बयान वापस लिया था. यह आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए लगातार सोशल मीडिया और स्थानीय नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहा है.
सूत्रों के मुताबिक, भारत ने TRF को आतंकी घोषित करने के लिए यूएन की 1267 समिति से भी संपर्क किया है. मई और नवंबर 2024 के बाद यह तीसरी बार है जब भारत ने इस समिति के सामने TRF के खिलाफ मजबूत साक्ष्य रखे हैं.
भारत ने साफ कर दिया है कि वह आतंक के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर कायम है. विदेश मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की संयुक्त टीम ने यूएन प्रतिनिधियों से मुलाकात कर TRF के खतरनाक मंसूबों और उसके पाकिस्तानी संरक्षण की सच्चाई सामने रखी.