नई दिल्ली, 13 मार्च (आईएएनएस)। कृषि में अनुसंधान और शिक्षा के समन्वय, मार्गदर्शन और प्रबंधन के लिए शीर्ष निकाय भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और विश्व बैंक ने एक साथ हाथ मिलाया है। ये साझेदारी कृषि में उच्च शिक्षा के लिए मिश्रित शिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र पर पहले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए की गई है। ये साझेदारी भारत में राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (एनएएचईपी) के तहत की जा रही है।
इसका आयोजन नई दिल्ली में 21-23 मार्च तक किया जाएगा जिसकी मेजबानी आईसीएआर – आईएएसआरआई (भारतीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान) द्वारा की जाएगी। आईएएसआरआई एक मल्टी पार्टनर वैश्विक मंच है जो उच्च कृषि शिक्षा के लिए स्टेट ऑफ द आर्ट एडुकेशन सिस्टम पर साझेदारी को सपोर्ट करता है।
इस सम्मेलन का मकसद अकादमिक, उद्योग, सरकार, और बहुपक्षीय और द्विपक्षीय संगठनों के भागीदारों के ग्लोबल इकोसिस्टम के विकास की सुविधा प्रदान करना है, जो मजबूत कृषि शिक्षा प्रणाली के सभी पहलुओं के डिजाइन और कार्यान्वयन के लिए महत्वपूर्ण अंतर्²ष्टि प्रदान करेंगे। यह नेशनल एग्रीकल्चरल हायर एजुकेशन प्रोजेक्ट (एनएएचईपी) के तहत लनिर्ंग मैनेजमेंट सिस्टम, कंटेंट रिपॉजिटरी और सिस्टम-वाइड कैपेसिटी बिल्डिंग करेगा।
चर्चाओं के अलावा, तीन दिवसीय कार्यक्रम में कृषि और मिश्रित शिक्षा के क्षेत्र में कई प्रकार की सेवाओं और पेशकशों पर एक प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी।
सम्मेलन और प्रदर्शनी का उद्घाटन कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर करेंगे। अन्य वैश्विक अग्रणी संस्थान जैसे एआईसीटीई, आईआईटी, आईआरआरआई सहित कई अन्य संगठन भी भाग लेंगे।
सम्मेलन को संबोधित करने वाले प्रमुख वक्ताओं में डॉ. हिमांशु पाठक हैं जो कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (डीएआरई) के सचिव और आईसीएआर, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के महानिदेशक (डीजी) हैं। इसके अलावा कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के उप महानिदेशक डॉ. आर.सी. अग्रवाल और विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर डॉ. अगस्टे तानो कौमे शामिल हैं।
पाठक ने कहा: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार, भारत में कृषि क्षेत्र अर्थव्यवस्था के सकल मूल्य (जीवीए) में 17-18 प्रतिशत का योगदान देता है और 40 प्रतिशत से अधिक कार्यबल को रोजगार देता है। किसान फसल स्वास्थ्य और उत्पादन में सुधार और निगरानी के लिए नए तरीके अपना रहे हैं। मिश्रित शिक्षा को सही मायने में अपनाने में अपार संभावनाएं हैं और यह कृषि अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकती है।
डॉ अग्रवाल, उप महानिदेशक, आईसीएआर ने कहा: सम्मेलन का फोकस दूरस्थ शिक्षा, डिजिटल शिक्षा और मिश्रित शिक्षा प्रणालियों के क्षेत्र में काम करने वाली कई कार्यान्वयन एजेंसियों के बीच सहयोग को मजबूत करना है। यह प्रमुख कार्यक्रमों के साथ तालमेल स्थापित करने में भी मदद करेगा, जैसे कि एनएएचईपी के तहत मजबूत कृषि शिक्षा प्रणाली (आरएईएस) की तैनाती में तेजी लाने के लिए डिजिटल इंडिया और स्किल इंडिया का उपयोग।
सम्मेलन का आयोजन विषयगत क्षेत्रों के आसपास किया जा रहा है जिसमें मिश्रित शिक्षण-शिक्षा के लिए रणनीतियां, मिश्रित शिक्षा के लिए प्रौद्योगिकी, मिश्रित शिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र में स्थिरता, एक मिश्रित शिक्षण-शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में नेविगेट करने के लिए हितधारकों की क्षमता का निर्माण, और कृषि शिक्षा के लिए समकालीन पाठ्यक्रम शामिल हैं।
एनएएचईपी, जिसे विश्व बैंक और भारत सरकार के बीच 50:50 लागत के आधार पर प्रस्तावित किया गया था, आईसीएआर द्वारा वित्तीय वर्ष 2017-18 में पांच वर्षों के लिए कुल 165 मिलियन डॉलर की लागत के साथ तैयार किया गया है। यह देश में राष्ट्रीय कृषि शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए शुरू किया गया था।
–आईएएनएस
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