सतना, देशबन्धु। सतना में पावर ग्रिड कंपनी से खेत में लगाए टावर का मुआवजा नहीं मिलने से नाराज सैकड़ों किसान मंगलवार को लेटी परिक्रमा और पदयात्रा निकालकर विरोध प्रदर्शन किया। 42 डिग्री के तापमान पर सैकडों किसान हाथ में पोस्टर बैनर लेकर नागौद थाना क्षेत्र के पौड़ी तिराहा से लेटी परिक्रमा शुरू की, जो लगभग 35 किलोमीटर चलकर कलेक्ट्रेट पहुंची। महिला कृषक लेट कर परिक्रमा लगाते हुए सतना कलेक्ट्रेट की ओर रवाना हुईं।
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किसानों का कहना है कि उन्हें न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के आधार पर मुआवजे का भुगतान किया जाए। उन्होंने कहा कि अगर शासन-प्रशासन और सरकार ये करने में नाकाम है तो राष्ट्रपति हम सभी किसानों को इच्छा मृत्यु की अनुमति दें।
ये हैं किसानों की 3 प्रमुख मांगें-
उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए मुआवजा आदेश का तत्काल पालन किया जाए।प्रशासन किसानों की जमीनों पर हुए नुकसान का सत्यापन कर मुआवजा दिलाए। अगर कार्रवाई संभव नहीं है, तो राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की अनुमति दी जाए। न्यायालय का आदेश, फिर भी नहीं मिला मुआवजा किसानों का कहना है कि सतना कलेक्टर और न्यायालय दोनों के आदेश के बावजूद उन्हें मुआवजा नहीं मिला।
बता दें कि पॉवर ग्रिड कॉरपोरेशन ने वर्ष 2012 से 2015 के बीच उचेहरा तहसील के लगभग 13 गांवों जैसे अत्तरबेदिया खुदज़्, पिथौराबाद, लालपुर, अमिलिया, नंदहा, अटरा,अमदरी, धनेह, कोनी, कोलगढ़ी, गोबराव कला, करही आदि में 765 केवी की विद्युत पारेषण लाइन का निर्माण किया था। किसानों के खेतों में टावर खड़े किए गए, लेकिन कई को मुआवजा नहीं मिला।
137 किसानों को दिया जाना था मुआवजा
इस पर तत्कालीन कलेक्टर अजय कटेसरिया ने 2 नवंबर 2021 को किसानों के पक्ष में फैसला देते हुए 12 लाख रुपए प्रति टावर और 3 हजार रुपए प्रति रनिंग मीटर वायर का मुआवजा देने का आदेश दिया था। लगभग 137 किसानों को ये मुआवजा दिया जाना था। पावर ग्रिड ने इस आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की, जिसे हाल ही में उच्च न्यायालय जबलपुर ने खारिज कर दिया। उच्च न्यायालय ने कलेक्टर सतना के फैसले को सही ठहराते हुए पावर ग्रिड की याचिका को निरस्त कर दिया और किसानों को मुआवजा देने का निर्देश दिया है। कलेक्टर डॉ. सतीश कुमार एस ने इस फैसले के पालन का आदेश पावर ग्रिड अधिकारियों को दिया है।
आईसीएआर के पूर्व महानिदेशक ने किया समर्थन
इस आंदोलन को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक डॉ. सदाचारी तोमर का भी समर्थन मिला है। उन्होंने किसानों की पदयात्रा में भाग लिया और कहा, ये अन्याय है, अगर सरकार किसान हितैषी है तो मुआवजा देकर प्रमाणित करे।
दो महीने टावर में चढ़े रहे रामनाथ
इस आंदोलन में अत्तरबेदिया के आदिवासी किसान रामनाथ कोल भी शामिल हैं, जो पहले दो महीने तक टावर पर चढ़कर विरोध कर चुके हैं। उन्हें भी आश्वासन मिला था, लेकिन मुआवजा अब तक नहीं दिया गया।