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Home राष्ट्रीय

सिसोदिया सीबीआई के स्नूपिंग मामले की प्राथमिकी में मुख्य आरोपी

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March 16, 2023
in राष्ट्रीय
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सिसोदिया सीबीआई के स्नूपिंग मामले की प्राथमिकी में मुख्य आरोपी
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नई दिल्ली, 16 मार्च (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जासूसी मामले में नंबर एक आरोपी बनाया है।

सिसोदिया के अलावा, सीबीआई ने सुकेश कुमार जैन (आईआरएस-1992), तत्कालीन सतर्कता सचिव; राकेश कुमार सिन्हा (सेवानिवृत्त डीआईजी, सीआईएसएफ), मुख्यमंत्री के विशेष सलाहकार के रूप में कार्यरत प्रदीप कुमार पुंज (सेवानिवृत्त संयुक्त उप निदेशक, आईबी); सतीश खेत्रपाल (सेवानिवृत्त सहायक कमांडेंट, सीआईएसएफ); गोपाल मोहन, मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार विरोधी सलाहकार व अन्य को भी शामिल किया गया है।

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भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 14 मार्च को प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

आप 2015 में एक फीडबैक यूनिट (एफबीयू) बनाना चाहती थी। सुकेश जैन, सचिव (सतर्कता) को एफबीयू की स्थापना के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था।

यह आरोप लगाया गया है कि जैन ने एफबीयू में 20 पद सृजित करने का मामला प्रशासनिक सुधार विभाग को जानबूझकर टाल दिया।

सीबीआई की प्रारंभिक जांच ने स्थापित किया कि जैन द्वारा एक प्रस्ताव दिया गया था, जिसे सिसोदिया द्वारा अनुमोदित किया गया कि भ्रष्टाचार विरोधी शाखा में सृजित 88 पदों के विरुद्ध एफबीयू में 20 पदों को समायोजित किया जाए। इन 88 पदों का सृजन 2015 में किया गया था। इन 88 पदों के सृजन का प्रस्ताव सक्षम अधिकारी के पास स्वीकृति के लिए नहीं भेजा गया था।

एफबीयू ने पदों पर लोगों को नियुक्त करने के लिए कोई भर्ती नियम नहीं बनाए। फिर भी एफबीयू में 17 पद भरे गए। वहीं एफबीयू को चालू करने के लिए वित्त विभाग से 20,59,474 रुपए मांगे गए। सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है कि आरोपी व्यक्तियों द्वारा लाखों रुपए के फर्जी बिल भी बनाए गए थे।

–आईएएनएस

एचएमए/एएनएम

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नई दिल्ली, 16 मार्च (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जासूसी मामले में नंबर एक आरोपी बनाया है।

सिसोदिया के अलावा, सीबीआई ने सुकेश कुमार जैन (आईआरएस-1992), तत्कालीन सतर्कता सचिव; राकेश कुमार सिन्हा (सेवानिवृत्त डीआईजी, सीआईएसएफ), मुख्यमंत्री के विशेष सलाहकार के रूप में कार्यरत प्रदीप कुमार पुंज (सेवानिवृत्त संयुक्त उप निदेशक, आईबी); सतीश खेत्रपाल (सेवानिवृत्त सहायक कमांडेंट, सीआईएसएफ); गोपाल मोहन, मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार विरोधी सलाहकार व अन्य को भी शामिल किया गया है।

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 14 मार्च को प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

आप 2015 में एक फीडबैक यूनिट (एफबीयू) बनाना चाहती थी। सुकेश जैन, सचिव (सतर्कता) को एफबीयू की स्थापना के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था।

यह आरोप लगाया गया है कि जैन ने एफबीयू में 20 पद सृजित करने का मामला प्रशासनिक सुधार विभाग को जानबूझकर टाल दिया।

सीबीआई की प्रारंभिक जांच ने स्थापित किया कि जैन द्वारा एक प्रस्ताव दिया गया था, जिसे सिसोदिया द्वारा अनुमोदित किया गया कि भ्रष्टाचार विरोधी शाखा में सृजित 88 पदों के विरुद्ध एफबीयू में 20 पदों को समायोजित किया जाए। इन 88 पदों का सृजन 2015 में किया गया था। इन 88 पदों के सृजन का प्रस्ताव सक्षम अधिकारी के पास स्वीकृति के लिए नहीं भेजा गया था।

एफबीयू ने पदों पर लोगों को नियुक्त करने के लिए कोई भर्ती नियम नहीं बनाए। फिर भी एफबीयू में 17 पद भरे गए। वहीं एफबीयू को चालू करने के लिए वित्त विभाग से 20,59,474 रुपए मांगे गए। सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है कि आरोपी व्यक्तियों द्वारा लाखों रुपए के फर्जी बिल भी बनाए गए थे।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 16 मार्च (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जासूसी मामले में नंबर एक आरोपी बनाया है।

सिसोदिया के अलावा, सीबीआई ने सुकेश कुमार जैन (आईआरएस-1992), तत्कालीन सतर्कता सचिव; राकेश कुमार सिन्हा (सेवानिवृत्त डीआईजी, सीआईएसएफ), मुख्यमंत्री के विशेष सलाहकार के रूप में कार्यरत प्रदीप कुमार पुंज (सेवानिवृत्त संयुक्त उप निदेशक, आईबी); सतीश खेत्रपाल (सेवानिवृत्त सहायक कमांडेंट, सीआईएसएफ); गोपाल मोहन, मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार विरोधी सलाहकार व अन्य को भी शामिल किया गया है।

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 14 मार्च को प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

आप 2015 में एक फीडबैक यूनिट (एफबीयू) बनाना चाहती थी। सुकेश जैन, सचिव (सतर्कता) को एफबीयू की स्थापना के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था।

यह आरोप लगाया गया है कि जैन ने एफबीयू में 20 पद सृजित करने का मामला प्रशासनिक सुधार विभाग को जानबूझकर टाल दिया।

सीबीआई की प्रारंभिक जांच ने स्थापित किया कि जैन द्वारा एक प्रस्ताव दिया गया था, जिसे सिसोदिया द्वारा अनुमोदित किया गया कि भ्रष्टाचार विरोधी शाखा में सृजित 88 पदों के विरुद्ध एफबीयू में 20 पदों को समायोजित किया जाए। इन 88 पदों का सृजन 2015 में किया गया था। इन 88 पदों के सृजन का प्रस्ताव सक्षम अधिकारी के पास स्वीकृति के लिए नहीं भेजा गया था।

एफबीयू ने पदों पर लोगों को नियुक्त करने के लिए कोई भर्ती नियम नहीं बनाए। फिर भी एफबीयू में 17 पद भरे गए। वहीं एफबीयू को चालू करने के लिए वित्त विभाग से 20,59,474 रुपए मांगे गए। सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है कि आरोपी व्यक्तियों द्वारा लाखों रुपए के फर्जी बिल भी बनाए गए थे।

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आप 2015 में एक फीडबैक यूनिट (एफबीयू) बनाना चाहती थी। सुकेश जैन, सचिव (सतर्कता) को एफबीयू की स्थापना के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था।

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सिसोदिया के अलावा, सीबीआई ने सुकेश कुमार जैन (आईआरएस-1992), तत्कालीन सतर्कता सचिव; राकेश कुमार सिन्हा (सेवानिवृत्त डीआईजी, सीआईएसएफ), मुख्यमंत्री के विशेष सलाहकार के रूप में कार्यरत प्रदीप कुमार पुंज (सेवानिवृत्त संयुक्त उप निदेशक, आईबी); सतीश खेत्रपाल (सेवानिवृत्त सहायक कमांडेंट, सीआईएसएफ); गोपाल मोहन, मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार विरोधी सलाहकार व अन्य को भी शामिल किया गया है।

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 14 मार्च को प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

आप 2015 में एक फीडबैक यूनिट (एफबीयू) बनाना चाहती थी। सुकेश जैन, सचिव (सतर्कता) को एफबीयू की स्थापना के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था।

यह आरोप लगाया गया है कि जैन ने एफबीयू में 20 पद सृजित करने का मामला प्रशासनिक सुधार विभाग को जानबूझकर टाल दिया।

सीबीआई की प्रारंभिक जांच ने स्थापित किया कि जैन द्वारा एक प्रस्ताव दिया गया था, जिसे सिसोदिया द्वारा अनुमोदित किया गया कि भ्रष्टाचार विरोधी शाखा में सृजित 88 पदों के विरुद्ध एफबीयू में 20 पदों को समायोजित किया जाए। इन 88 पदों का सृजन 2015 में किया गया था। इन 88 पदों के सृजन का प्रस्ताव सक्षम अधिकारी के पास स्वीकृति के लिए नहीं भेजा गया था।

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सीबीआई की प्रारंभिक जांच ने स्थापित किया कि जैन द्वारा एक प्रस्ताव दिया गया था, जिसे सिसोदिया द्वारा अनुमोदित किया गया कि भ्रष्टाचार विरोधी शाखा में सृजित 88 पदों के विरुद्ध एफबीयू में 20 पदों को समायोजित किया जाए। इन 88 पदों का सृजन 2015 में किया गया था। इन 88 पदों के सृजन का प्रस्ताव सक्षम अधिकारी के पास स्वीकृति के लिए नहीं भेजा गया था।

एफबीयू ने पदों पर लोगों को नियुक्त करने के लिए कोई भर्ती नियम नहीं बनाए। फिर भी एफबीयू में 17 पद भरे गए। वहीं एफबीयू को चालू करने के लिए वित्त विभाग से 20,59,474 रुपए मांगे गए। सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है कि आरोपी व्यक्तियों द्वारा लाखों रुपए के फर्जी बिल भी बनाए गए थे।

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भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 14 मार्च को प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

आप 2015 में एक फीडबैक यूनिट (एफबीयू) बनाना चाहती थी। सुकेश जैन, सचिव (सतर्कता) को एफबीयू की स्थापना के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था।

यह आरोप लगाया गया है कि जैन ने एफबीयू में 20 पद सृजित करने का मामला प्रशासनिक सुधार विभाग को जानबूझकर टाल दिया।

सीबीआई की प्रारंभिक जांच ने स्थापित किया कि जैन द्वारा एक प्रस्ताव दिया गया था, जिसे सिसोदिया द्वारा अनुमोदित किया गया कि भ्रष्टाचार विरोधी शाखा में सृजित 88 पदों के विरुद्ध एफबीयू में 20 पदों को समायोजित किया जाए। इन 88 पदों का सृजन 2015 में किया गया था। इन 88 पदों के सृजन का प्रस्ताव सक्षम अधिकारी के पास स्वीकृति के लिए नहीं भेजा गया था।

एफबीयू ने पदों पर लोगों को नियुक्त करने के लिए कोई भर्ती नियम नहीं बनाए। फिर भी एफबीयू में 17 पद भरे गए। वहीं एफबीयू को चालू करने के लिए वित्त विभाग से 20,59,474 रुपए मांगे गए। सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है कि आरोपी व्यक्तियों द्वारा लाखों रुपए के फर्जी बिल भी बनाए गए थे।

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नई दिल्ली, 16 मार्च (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जासूसी मामले में नंबर एक आरोपी बनाया है।

सिसोदिया के अलावा, सीबीआई ने सुकेश कुमार जैन (आईआरएस-1992), तत्कालीन सतर्कता सचिव; राकेश कुमार सिन्हा (सेवानिवृत्त डीआईजी, सीआईएसएफ), मुख्यमंत्री के विशेष सलाहकार के रूप में कार्यरत प्रदीप कुमार पुंज (सेवानिवृत्त संयुक्त उप निदेशक, आईबी); सतीश खेत्रपाल (सेवानिवृत्त सहायक कमांडेंट, सीआईएसएफ); गोपाल मोहन, मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार विरोधी सलाहकार व अन्य को भी शामिल किया गया है।

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आप 2015 में एक फीडबैक यूनिट (एफबीयू) बनाना चाहती थी। सुकेश जैन, सचिव (सतर्कता) को एफबीयू की स्थापना के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था।

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सीबीआई की प्रारंभिक जांच ने स्थापित किया कि जैन द्वारा एक प्रस्ताव दिया गया था, जिसे सिसोदिया द्वारा अनुमोदित किया गया कि भ्रष्टाचार विरोधी शाखा में सृजित 88 पदों के विरुद्ध एफबीयू में 20 पदों को समायोजित किया जाए। इन 88 पदों का सृजन 2015 में किया गया था। इन 88 पदों के सृजन का प्रस्ताव सक्षम अधिकारी के पास स्वीकृति के लिए नहीं भेजा गया था।

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भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 14 मार्च को प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

आप 2015 में एक फीडबैक यूनिट (एफबीयू) बनाना चाहती थी। सुकेश जैन, सचिव (सतर्कता) को एफबीयू की स्थापना के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था।

यह आरोप लगाया गया है कि जैन ने एफबीयू में 20 पद सृजित करने का मामला प्रशासनिक सुधार विभाग को जानबूझकर टाल दिया।

सीबीआई की प्रारंभिक जांच ने स्थापित किया कि जैन द्वारा एक प्रस्ताव दिया गया था, जिसे सिसोदिया द्वारा अनुमोदित किया गया कि भ्रष्टाचार विरोधी शाखा में सृजित 88 पदों के विरुद्ध एफबीयू में 20 पदों को समायोजित किया जाए। इन 88 पदों का सृजन 2015 में किया गया था। इन 88 पदों के सृजन का प्रस्ताव सक्षम अधिकारी के पास स्वीकृति के लिए नहीं भेजा गया था।

एफबीयू ने पदों पर लोगों को नियुक्त करने के लिए कोई भर्ती नियम नहीं बनाए। फिर भी एफबीयू में 17 पद भरे गए। वहीं एफबीयू को चालू करने के लिए वित्त विभाग से 20,59,474 रुपए मांगे गए। सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है कि आरोपी व्यक्तियों द्वारा लाखों रुपए के फर्जी बिल भी बनाए गए थे।

–आईएएनएस

एचएमए/एएनएम

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नई दिल्ली, 16 मार्च (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जासूसी मामले में नंबर एक आरोपी बनाया है।

सिसोदिया के अलावा, सीबीआई ने सुकेश कुमार जैन (आईआरएस-1992), तत्कालीन सतर्कता सचिव; राकेश कुमार सिन्हा (सेवानिवृत्त डीआईजी, सीआईएसएफ), मुख्यमंत्री के विशेष सलाहकार के रूप में कार्यरत प्रदीप कुमार पुंज (सेवानिवृत्त संयुक्त उप निदेशक, आईबी); सतीश खेत्रपाल (सेवानिवृत्त सहायक कमांडेंट, सीआईएसएफ); गोपाल मोहन, मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार विरोधी सलाहकार व अन्य को भी शामिल किया गया है।

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 14 मार्च को प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

आप 2015 में एक फीडबैक यूनिट (एफबीयू) बनाना चाहती थी। सुकेश जैन, सचिव (सतर्कता) को एफबीयू की स्थापना के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था।

यह आरोप लगाया गया है कि जैन ने एफबीयू में 20 पद सृजित करने का मामला प्रशासनिक सुधार विभाग को जानबूझकर टाल दिया।

सीबीआई की प्रारंभिक जांच ने स्थापित किया कि जैन द्वारा एक प्रस्ताव दिया गया था, जिसे सिसोदिया द्वारा अनुमोदित किया गया कि भ्रष्टाचार विरोधी शाखा में सृजित 88 पदों के विरुद्ध एफबीयू में 20 पदों को समायोजित किया जाए। इन 88 पदों का सृजन 2015 में किया गया था। इन 88 पदों के सृजन का प्रस्ताव सक्षम अधिकारी के पास स्वीकृति के लिए नहीं भेजा गया था।

एफबीयू ने पदों पर लोगों को नियुक्त करने के लिए कोई भर्ती नियम नहीं बनाए। फिर भी एफबीयू में 17 पद भरे गए। वहीं एफबीयू को चालू करने के लिए वित्त विभाग से 20,59,474 रुपए मांगे गए। सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है कि आरोपी व्यक्तियों द्वारा लाखों रुपए के फर्जी बिल भी बनाए गए थे।

–आईएएनएस

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सिसोदिया के अलावा, सीबीआई ने सुकेश कुमार जैन (आईआरएस-1992), तत्कालीन सतर्कता सचिव; राकेश कुमार सिन्हा (सेवानिवृत्त डीआईजी, सीआईएसएफ), मुख्यमंत्री के विशेष सलाहकार के रूप में कार्यरत प्रदीप कुमार पुंज (सेवानिवृत्त संयुक्त उप निदेशक, आईबी); सतीश खेत्रपाल (सेवानिवृत्त सहायक कमांडेंट, सीआईएसएफ); गोपाल मोहन, मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार विरोधी सलाहकार व अन्य को भी शामिल किया गया है।

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 14 मार्च को प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

आप 2015 में एक फीडबैक यूनिट (एफबीयू) बनाना चाहती थी। सुकेश जैन, सचिव (सतर्कता) को एफबीयू की स्थापना के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था।

यह आरोप लगाया गया है कि जैन ने एफबीयू में 20 पद सृजित करने का मामला प्रशासनिक सुधार विभाग को जानबूझकर टाल दिया।

सीबीआई की प्रारंभिक जांच ने स्थापित किया कि जैन द्वारा एक प्रस्ताव दिया गया था, जिसे सिसोदिया द्वारा अनुमोदित किया गया कि भ्रष्टाचार विरोधी शाखा में सृजित 88 पदों के विरुद्ध एफबीयू में 20 पदों को समायोजित किया जाए। इन 88 पदों का सृजन 2015 में किया गया था। इन 88 पदों के सृजन का प्रस्ताव सक्षम अधिकारी के पास स्वीकृति के लिए नहीं भेजा गया था।

एफबीयू ने पदों पर लोगों को नियुक्त करने के लिए कोई भर्ती नियम नहीं बनाए। फिर भी एफबीयू में 17 पद भरे गए। वहीं एफबीयू को चालू करने के लिए वित्त विभाग से 20,59,474 रुपए मांगे गए। सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है कि आरोपी व्यक्तियों द्वारा लाखों रुपए के फर्जी बिल भी बनाए गए थे।

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सिसोदिया के अलावा, सीबीआई ने सुकेश कुमार जैन (आईआरएस-1992), तत्कालीन सतर्कता सचिव; राकेश कुमार सिन्हा (सेवानिवृत्त डीआईजी, सीआईएसएफ), मुख्यमंत्री के विशेष सलाहकार के रूप में कार्यरत प्रदीप कुमार पुंज (सेवानिवृत्त संयुक्त उप निदेशक, आईबी); सतीश खेत्रपाल (सेवानिवृत्त सहायक कमांडेंट, सीआईएसएफ); गोपाल मोहन, मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार विरोधी सलाहकार व अन्य को भी शामिल किया गया है।

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 14 मार्च को प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

आप 2015 में एक फीडबैक यूनिट (एफबीयू) बनाना चाहती थी। सुकेश जैन, सचिव (सतर्कता) को एफबीयू की स्थापना के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था।

यह आरोप लगाया गया है कि जैन ने एफबीयू में 20 पद सृजित करने का मामला प्रशासनिक सुधार विभाग को जानबूझकर टाल दिया।

सीबीआई की प्रारंभिक जांच ने स्थापित किया कि जैन द्वारा एक प्रस्ताव दिया गया था, जिसे सिसोदिया द्वारा अनुमोदित किया गया कि भ्रष्टाचार विरोधी शाखा में सृजित 88 पदों के विरुद्ध एफबीयू में 20 पदों को समायोजित किया जाए। इन 88 पदों का सृजन 2015 में किया गया था। इन 88 पदों के सृजन का प्रस्ताव सक्षम अधिकारी के पास स्वीकृति के लिए नहीं भेजा गया था।

एफबीयू ने पदों पर लोगों को नियुक्त करने के लिए कोई भर्ती नियम नहीं बनाए। फिर भी एफबीयू में 17 पद भरे गए। वहीं एफबीयू को चालू करने के लिए वित्त विभाग से 20,59,474 रुपए मांगे गए। सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है कि आरोपी व्यक्तियों द्वारा लाखों रुपए के फर्जी बिल भी बनाए गए थे।

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भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 14 मार्च को प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

आप 2015 में एक फीडबैक यूनिट (एफबीयू) बनाना चाहती थी। सुकेश जैन, सचिव (सतर्कता) को एफबीयू की स्थापना के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था।

यह आरोप लगाया गया है कि जैन ने एफबीयू में 20 पद सृजित करने का मामला प्रशासनिक सुधार विभाग को जानबूझकर टाल दिया।

सीबीआई की प्रारंभिक जांच ने स्थापित किया कि जैन द्वारा एक प्रस्ताव दिया गया था, जिसे सिसोदिया द्वारा अनुमोदित किया गया कि भ्रष्टाचार विरोधी शाखा में सृजित 88 पदों के विरुद्ध एफबीयू में 20 पदों को समायोजित किया जाए। इन 88 पदों का सृजन 2015 में किया गया था। इन 88 पदों के सृजन का प्रस्ताव सक्षम अधिकारी के पास स्वीकृति के लिए नहीं भेजा गया था।

एफबीयू ने पदों पर लोगों को नियुक्त करने के लिए कोई भर्ती नियम नहीं बनाए। फिर भी एफबीयू में 17 पद भरे गए। वहीं एफबीयू को चालू करने के लिए वित्त विभाग से 20,59,474 रुपए मांगे गए। सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है कि आरोपी व्यक्तियों द्वारा लाखों रुपए के फर्जी बिल भी बनाए गए थे।

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