नई दिल्ली, 16 मार्च (आईएएनएस)। चालू वित्तवर्ष की तुलना में 2023-24 के लिए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के बजटीय आवंटन में 38 प्रतिशत की कमी की गई है। यह केंद्रीय निधियों को जारी करने के लिए एक नए तंत्र को अपनाने और प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति कार्यक्रम में किए गए परिवर्तनों के कारण था। सरकार ने गुरुवार को संसद को यह सूचित किया।
अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में मंत्रालय के लिए बजटीय आवंटन में भारी कटौती के कारणों को जानने की मांग करते हुए कहा कि बजट 2022-23 के लिए 5,020.50 करोड़ रुपये से घटाकर 2023-24 के लिए 3,097.60 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) और प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजनाओं में मंत्रालय के बजट का लगभग 80 प्रतिशत शामिल है।
पिछले साल संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान कई विपक्षी सांसदों ने सरकार द्वारा प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप रोके जाने का मुद्दा उठाया था।
बसपा सांसद दानिश अली द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए ईरानी ने कहा कि मंत्रालय के बजट में कमी केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं और केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के तहत धन के केंद्रीय हिस्से को जारी करने के लिए एक नई व्यवस्था को अपनाने के कारण हुई है। इसके लिए राज्य नोडल एजेंसियों (एसएनए) और केंद्रीय नोडल एजेंसियों (सीएनए) को नियुक्त करने की जरूरत थी।
वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग की संशोधित प्रक्रिया के अनुसार, पीएमजेवीके के तहत धन जारी करना व्यक्तिगत परियोजनाओं से जुड़ा नहीं है और एसएनए के खाते में उपलब्ध राशि एक सामान्य पूल बनाती है।
मंत्री ने कहा कि 1 मार्च, 2023 तक राज्यों के पास उनके एसएनए खाते में अव्ययित राशि 2,466.48 करोड़ रुपये थी और राज्यों को चल रही परियोजनाओं को पूरा करने के लिए पहले एसएनए खाते से व्यय करना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की छात्रवृत्ति योजनाओं को शिक्षा मंत्रालय के साथ-साथ जनजातीय मामलों और सामाजिक न्याय मंत्रालयों द्वारा अपनाए जाने वाले पैटर्न के साथ जोड़ा जाना था।
हालांकि, संस्थानों का सत्यापन किए जाने के बाद से छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत धनराशि जारी नहीं की जा रही है।
इसके अलावा, मंत्री ने बताया कि केंद्र ने अल्पसंख्यकों के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत कवरेज को केवल नौवीं और 10वीं कक्षा तक सीमित करने का निर्णय लिया है, क्योंकि यह देखा गया है कि प्राथमिक पर अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों की भागीदारी राष्ट्रीय औसत के बराबर है।
ईरानी ने कहा, इसके अलावा इन स्तरों पर छात्र पहले से ही शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत शामिल हैं। उन्होंने अपने जवाब में कहा कि अल्पसंख्यकों के लिए प्री-मैट्रिक योजना के तहत कवरेज को एससी, एसटी और ओबीसी जैसे अन्य लक्षित समूहों के लिए लागू समान योजनाओं के साथ सामंजस्य बनाने की जरूरत महसूस की गई।
–आईएएनएस
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