नई दिल्ली. भारत और अमेरिका के बीच बहुप्रतीक्षित व्यापार समझौते को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों के बीच डील को 1 अगस्त से पहले अंतिम रूप दिया जा सकता है. इस डील के तहत अमेरिका, भारत से आयात पर 20% से कम टैरिफ लगाने को तैयार है, जो भारत के लिए एक बड़ी आर्थिक राहत मानी जा रही है.
चीन और अन्य एशियाई देशों पर बढ़ेगा दबाव
जहां भारत को टैरिफ में छूट मिल सकती है, वहीं अमेरिका ने चीन, बांग्लादेश, वियतनाम, म्यांमार, लाओस जैसे देशों पर 20% से 50% तक टैरिफ लगाने की तैयारी कर ली है. यह चीन के लिए प्रतिस्पर्धात्मक झटका साबित हो सकता है, खासतौर पर ऐसे समय में जब अमेरिकी प्रशासन और बीजिंग के बीच ट्रेड वार जैसी स्थिति बनी हुई है.
ट्रंप प्रशासन की नई नीति
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 26% आयात टैरिफ लगाने की बात कही थी. लेकिन अब यह प्रस्ताव ट्रेड डील के दबाव में नरम होता दिख रहा है. अमेरिका अब भारत को विशेष व्यापारिक साझेदार के रूप में देख रहा है.
भारत की स्पष्ट शर्तें
भारत ने डील को लेकर कुछ स्पष्ट रेखाएं खींची हैं:
कृषि क्षेत्र को डील से बाहर रखा जाए, जिससे किसानों को नुकसान न हो.
फार्मा और कृषि उत्पादों पर गैर-टैरिफ बाधाओं को हटाने की मांग.
वियतनाम से बेहतर शर्तें दिए जाने की मांग.
क्या हो सकता है असर?
अगर यह डील हो जाती है, तो भारत को अमेरिकी बाजारों में बेहतर पहुंच मिलेगी और निर्यात में बड़ी बढ़ोतरी संभव है. वहीं, फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर जैसे क्षेत्रों में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
आधिकारिक पुष्टि बाकी
फिलहाल इस डील पर भारतीय वाणिज्य मंत्रालय, अमेरिकी वाणिज्य विभाग और व्हाइट हाउस ने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है. लेकिन जानकारों का मानना है कि अंतरिम सहमति के ज़रिए विवादित मुद्दों को सुलझाने का रास्ता खोला जा रहा है.
नीतीश सरकार का बड़ा ऐलान: हर परिवार को मिलेगी 100 यूनिट मुफ्त बिजली
विशेषज्ञों की राय:
यह डील भारत को चीन की जगह अमेरिका का रणनीतिक व्यापारिक साझेदार बनने की दिशा में बड़ा मौका दे सकती है. हालांकि, घरेलू क्षेत्रों की सुरक्षा और संतुलन भी उतना ही अहम होगा. यदि आप चाहें तो इस खबर का विश्लेषणात्मक रिपोर्ट, ग्राफिकल टैरिफ तुलना या सोशल मीडिया इन्फोकार्ड भी तैयार किया जा सकता है.