नई दिल्ली / ढाका. दक्षिण एशिया की बदलती कूटनीतिक तस्वीर में एक नया और चौंकाने वाला मोड़ तब आया जब पाकिस्तान और बांग्लादेश ने राजनयिक व आधिकारिक पासपोर्ट धारकों के लिए वीज़ा-मुक्त यात्रा पर सैद्धांतिक सहमति जताई. इस कदम ने नई दिल्ली की सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट मोड में ला दिया है.
क्या है समझौते का सार?
पाकिस्तानी गृह मंत्री मोहसिन नकवी और बांग्लादेशी गृह मंत्री जहांगीर आलम चौधरी की ढाका में हुई एक अहम बैठक में:
राजनयिक और आधिकारिक पासपोर्ट धारकों के लिए वीज़ा-मुक्त प्रवेश पर सहमति बनी
आतंकवाद, पुलिस प्रशिक्षण, मानव तस्करी और ड्रग्स नियंत्रण जैसे विषयों पर गहन चर्चा हुई
संयुक्त समिति गठित करने का निर्णय लिया गया, जिसकी अगुवाई पाकिस्तान के गृह सचिव खुर्रम अघा करेंगे
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भारत की बढ़ती चिंता क्यों?
भारत के सुरक्षा प्रतिष्ठान इस घटनाक्रम को लेकर चिंतित हैं, उनके अनुसार:
यह वीज़ा-मुक्त सुविधा ISI जैसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों को बांग्लादेश के रास्ते भारत के खिलाफ गतिविधियां संचालित करने में सुगमता दे सकती है.
नई बांग्लादेशी सरकार (जो शेख हसीना के बाद आई है) पाकिस्तान से रिश्तों में तेज़ी से सुधार कर रही है — एक बदलाव जो दिल्ली को असहज कर रहा है.
2010 के बाद पहली बार पाकिस्तान को बांग्लादेश में इस स्तर का “डिप्लोमैटिक स्पेस” मिला है, जो भारत के लिए रणनीतिक चुनौती है.
क्यों अहम है यह घटनाक्रम?
शेख हसीना के शासनकाल में पाकिस्तान से दूरी बनाकर रखी गई थी, कई पाकिस्तानी राजनयिकों पर जासूसी के आरोप लगे थे.
अब, नए समीकरण बांग्लादेश को पाकिस्तान के साथ एक नई कूटनीतिक धारा में धकेल रहे हैं, जिससे चीन-पाक गठजोड़ को भी बढ़ावा मिल सकता है.
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सामरिक विश्लेषण:
भारत के लिए पूर्वी सीमा पर खतरे की नई आशंका: यदि पाकिस्तान बांग्लादेश में राजनयिक दायरे को बढ़ाता है, तो यह पूर्वोत्तर भारत की सुरक्षा के लिए भी संवेदनशील मुद्दा बन सकता है.
चीन-पाक-नई ढाका धुरी का बनना एक भूराजनैतिक बदलाव की आहट हो सकती है, जिससे भारत की क्षेत्रीय पकड़ प्रभावित हो सकती है.