हरिद्वार,19 मार्च (आईएएनएस)। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, ऋषिकुल के सभागार में आयोजित प्रथम अंतर्राष्ट्रीय पशु चिकित्सा एवं आयुर्वेद संगोष्ठी में में कहा कि भारत वैदिक काल से ही आयुर्वेद द्वारा पशुधन स्वास्थ्य के क्षेत्र में पारंपरिक ज्ञान को लागू करने वाला प्रमुख देश रहा है।
उन्होंने कहा कि सर्वे संतु निरामया का संदेश देने वाला पंचम वेद अर्थात आयुर्वेद हमारी समृद्ध प्राचीन विरासत का अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पंचप्राण विकास रणनीति में देश के विकास लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी इसी समृद्ध प्राचीन विरासत और पारंपरिक ज्ञान को सहेजने पर जोर दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आयुर्वेद केवल चिकित्सा पद्धति ही नहीं, बल्कि आदर्श जीवन जीने का तरीका भी है। यह मात्र बीमारियों का इलाज नहीं करता, बल्कि आयुर्वेद को अपनाकर हम अपने शरीर को बीमार होने से रोक सकते हैं। उन्होंने कहा कि पशुधन हमारे देश की बड़ी ताकत है, जिन्हें बचाना हमारा प्रमुख कर्तव्य है और मानव संसाधन के साथ ही आयुर्वेद के प्रयोग द्वारा हम अपने पशुधन को भी रोगमुक्त रख सकते हैं।
उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक पशु चिकित्सा द्वारा पशुओं के रोग निवारण और रोग नियंत्रण के लिए प्रदेश में मौजूद हर्बल संसाधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोराना काल में हम आयुर्वेद का महत्व अच्छी तरह समझ चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने वर्तमान में मनुष्यों से भी अधिक पशुओं में एंटीबॉयोटिक्स का इस्तेमाल करने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह स्थिति पशुओं के लिए ही नहीं, बल्कि हमारे लिए भी अत्यंत हानिकारक है, जिसे हम आयुर्वेद को अपनाकर ही नियंत्रित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जड़ी- बूटियों का भंडार होने के कारण यहां आयुर्वेद का और भी अधिक महत्व है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को प्रकृति का वरदान है। यहां अनेकों नदियां बारहों महीने बहती हैं तथा 71 प्रतिशत भू-भाग वनों से अच्छादित है तथा हर क्षेत्र में अब पहाड़ का पानी व जवानी दोनों काम हा रही हैं।
धामी ने कहा कि केंद्र सरकार के सहयोग से आयुष और आयुर्वेद के क्षेत्र में हम निरंतर कार्य कर रहे हैं और आयुर्वेद से होने वाले लाभों को आमजन तक पहुंचाने के लिए भी प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार 300 आयुष हेल्थ व वेलनेस केंद्रों के संचालन एवं 150 पंचकर्म केंद्रों की स्थापना के लिए प्राथमिकता के साथ कार्य कर रही है। आयुर्वेद, होम्योपैथी व नेचुरोपैथी के विकास द्वारा रोजगार व आर्थिकी को भी व्यापक विस्तार देते हुए, इसके लिए हम प्रयासरत हैं।
उन्होंने कहा, हमारी सरकार ने प्रदेश में राज्य पशुधन मिशन शुरू किया है, इसके तहत 60 करोड़ का निवेश किए जाने की योजना बनाई गई है। इससे सात हजार पशुपालकों को प्रत्यक्ष और दस हजार पशुपालकों को अप्रत्यक्ष रोजगार का अवसर मिला है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के गांवों में दुनिया की सबसे समृद्ध और सबसे कुशल पशु स्वास्थ्य परंपरा मौजूद है। यह ज्ञान पशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में पशु चिकित्सा सेवाओं को भी मजबूती प्रदान करने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है और इस दिशा में गंभीरतापूर्वक कार्य भी कि, जा रहे हैं और आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लि, पशु चिकित्सालयों में आयुर्वेद से संबंधित औषधियों की आपूर्ति बढ़ाने का कार्य निरंतर किया जा रहा है।
धामी ने कहा कि हम जहां एक ओर अंत्योदय के लक्ष्य को लेकर लगातार कार्य कर रहे हैं वहीं सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के साथ ही सबका प्रयास के मंत्र को लेकर पशुधन विकास और आयुष सहित अनेकों क्षेत्रों में आगे बढ़ रहे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए हमने इस बार के बजट में स्थानीय निकायों में पशुधन, गौ सदन के निर्माण के लिए 14.15 करोड़ का प्रावधान किया है। वहीं, गौ पालन योजना के लिए 2.79 करोड़ का प्राविधान भी अलग से किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा, हमारी सरकार सरलीकरण, समाधान, निस्तारीकरण व संतुष्टि के मंत्र के तहत निरंतर कार्य कर रही है तथा आजादी के अमृत काल में उत्तराखंड की महत्वपूर्ण भूमिका होनी वाली है। हमारा लक्ष्य उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने का है और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हम निरंतर कार्य कर रहे हैं तथा सर्वश्रेष्ठ उत्तराखंड निर्माण के विकल्प रहित संकल्प की पूर्ति में सभी का सहयोग अपेक्षित है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने गंगा, गौमाता व पर्यटन पर विस्तृत प्रकाश डाला।
समारोह में स्वामी रामदेव ने कहा कि आयुर्वेद का जितना महत्व है, उतना ही गौमाता का भी है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद के माध्यम से गंभीर से गंभीर मारियों का इलाज सम्भव है तथा आयुर्वेद का भविष्य उज्जवल है।
इस अवसर पर के.एन. राघवेंद्र, कुलपति उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय प्रोफेसर सुनील जोशी, डॉ. हेमेंद्र यादव, प्रेमचंद्र शास्त्री, हरिशंकर शर्मा, रानीपुर विधायक आदेश चौहान, पूर्व विधायक लक्सर संजय गुप्ता सहित संबंधित पदाधिकारी एवं अधिकारी उपस्थित थे।
–आईएएनएस
स्मिता/एसजीके