नई दिल्ली, 20 मार्च (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें सरकार को कर्नाटक राज्य बोर्ड से संबद्ध स्कूलों में कक्षा 5 और 8 के छात्रों के लिए बोर्ड परीक्षा आयोजित करने की अनुमति दी गई थी।
गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों के संघों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख किया और तत्काल सुनवाई की मांग की।
पीठ ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करना चाहेगी, और उच्च न्यायालय जानता है कि राज्य में अच्छा क्या है। वकील ने तर्क दिया कि परीक्षाएं 27 मार्च से शुरू होने वाली हैं, और मामले को पहले की तारीख में लिया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह नहीं चाहती कि कोई अनिश्चितता बनी रहे।
दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ 27 मार्च को याचिका की जांच करने पर सहमत हुई। उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने 15 मार्च को इस महीने की शुरूआत में पारित एकल न्यायाधीश की पीठ के आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें सरकारी परिपत्रों को इस आधार पर रद्द कर दिया गया था कि वह बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत प्रक्रिया के उल्लंघन में जारी किए गए थे।
12 दिसंबर 2022, 13 दिसंबर 2022 और 4 जनवरी 2023 को जारी किए गए सरकारी परिपत्रों पर गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों, पंजीकृत गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों के प्रबंधन और कर्नाटक के गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों के प्रबंधन संघ द्वारा सवाल उठाया गया है। यह तर्क दिया गया कि स्कूल स्तर के मूल्यांकन के बजाय राज्य स्तरीय बोर्ड परीक्षा आयोजित कर मूल्यांकन पद्धति को बदलने से छात्रों और शिक्षकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
उच्च न्यायालय ने पिछले हफ्ते, राज्य सरकार को कक्षा 5 और 8 के लिए बोर्ड परीक्षाओं के समान मूल्यांकन की नई पद्धति के साथ आगे बढ़ने और 27 मार्च से परीक्षाओं को पुनर्निर्धारित करने की अनुमति दी थी।
–आईएएनएस
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