प्रयागराज (उप्र), 21 मार्च (आईएएनएस)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से बिजली कर्मचारियों की हड़ताल से राज्य को हुए आर्थिक और अन्य नुकसान की जानकारी मांगी है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति एस.डी. सिंह ने राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता से रविवार को समाप्त हुई हड़ताल पर गए कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के बारे में भी पूछा।
साथ ही पूछा कि उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया।
कोर्ट ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हड़ताल वापस ले ली गई है, मामला अब भी काफी गंभीर है।
इसमें कहा गया है, लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने के लिए कोई स्वतंत्र नहीं हो सकता है। कर्मचारियों की मांग लोगों के जीवन की कीमत पर नहीं हो सकती है।
अधिवक्ता विभु राय की जनहित याचिका के संबंध में दायर याचिका पर अदालत सुनवाई कर रही थी।
बिजली कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
इससे पहले, 17 मार्च को, अदालत ने बिजली कर्मचारी संघ के नेताओं के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की थी और बिजली आपूर्ति बाधित नहीं करने के अदालत के पिछले आदेश के बावजूद हड़ताल पर जाने के लिए उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था।
प्रारंभ में, इसने कर्मचारी संघों के वकील से पूछा था कि उनके अपने आकलन के अनुसार किस क्षेत्र में नुकसान हुआ है।
इस पर कर्मचारी नेताओं के वकील ने कहा कि इसका आकलन नहीं किया जा सकता है।
इस बीच उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) के अध्यक्ष एम. देवराज ने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण हुए फाल्ट को तुरंत ठीक किया जाए।
उन्होंने खराब मौसम को देखते हुए राज्य में बिजली आपूर्ति पर नजर रखने को कहा।
उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं को निर्धारित समय के अनुसार बिजली उपलब्ध कराने के पूरे प्रयास किए जाएं।
–आईएएनएस
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