बेंगलुरू, 21 मार्च (आईएएनएस)। कल्याण कर्नाटक क्षेत्र से भाजपा के एक वरिष्ठ नेता बाबूराव चिंचानासुर के बाहर निकलने को चुनाव से पहले राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि यह बीजेपी के लिए ऐसा झटका है जिसका असर कम से कम 20 से 30 विधानसभा सीटों पर पार्टी पर पड़ेगा।
बाबूराव चिंचानासुर, राज्य में कोली समुदाय के एक प्रमुख नेता हैं। उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह कांग्रेस पार्टी में शामिल होने को तैयार हैं।
सत्तारूढ़ भाजपा कल्याण कर्नाटक क्षेत्र से 40 में से 30 से अधिक सीटों पर जीत की उम्मीद कर रही थी। हालांकि, अब पार्टी का आंकलन गलत हो गया है। कोली मतदाता, जिन्होंने पिछले विधानसभा और संसदीय चुनावों में भाजपा का समर्थन किया था और इस क्षेत्र में काफी प्रभाव रखते हैं। माना जाता है कि अब उनका झुकाव कांग्रेस की ओर है।
बीजेपी एमएलसी बाबूराव ने पहले ही स्पीकर बसवराज होरात्ती को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और मंगलवार को बेंगलुरु में कांग्रेस मुख्यालय में आधिकारिक रूप से कांग्रेस में शामिल होने की संभावना है।
उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि कर्नाटक की अपनी हालिया यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की अनुमति नहीं मिलने के बाद बाबूराव निराश थे। उनके समर्थकों ने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई द्वारा उनकी आलोचना करने और कोली समुदाय को एसटी समूह में शामिल करने की उनकी याचिका पर भी नाखुशी जताई।
सूत्र बताते हैं कि उन्हें गुरुमाथकल निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने की पेशकश की गई है। बाबूराव ने हाल ही में चुनौती दी थी कि वह मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे की चुनाव में हार सुनिश्चित करेंगे।
कोली समुदाय के प्रमुख नेताओं को कांग्रेस के पाले में कर इस क्षेद्ध में मल्लिकार्जुन खड़गे का पलड़ा भारी रहेगा। यह उनके बेटे प्रियांक खड़गे को चित्तापुर से चुनाव लड़ने के लिए आसान बना देगा। भाजपा को पूरे क्षेत्र में चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना करना पड़ेगा।
खड़गे के करीबी सूत्र बताते हैं कि वह लोकसभा चुनाव में अपनी शर्मनाक हार का बदला लेने के लिए पूरे क्षेत्र में भाजपा को झटका देने के लिए तैयार हैं।
–आईएएनएस
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