गंजबासौदा. कैंसर…जिसका नाम सुनते ही रूह कांप जाती है और जीवन के सामने एक पल के लिए अंधेरा छा जाता है। लेकिन इसी अंधेरे में पिछले 33 वर्षों से एक साधारण किसान उम्मीद की किरण बनकर लोगों के जीवन में रोशनी फैला रहा है। अपने श्रम और करुणा से समाज की जिंदगियाँ सँवारने वाले ऐसे किसान की पहचान भी साधारण होकर भी अब असाधारण बन गई है।
सेवा की ऐसी ही कुछ अनूठी मिसाल पेश की है, नगर से करीब 10 किलोमीटर दूर ग्राम गमाखर के एक साधारण से सीमांत किसान और समाजसेवी अजय सिंह रघुवंशी ने, जो पिछले 35 वर्षों से निशुल्क रूप से कैंसर पीड़ितों की सेवा में जुटे हुए हैं।
गांव के खेत से शुरू हुए सेवा के इस सफर में वह अब तक विदिशा जिले के अलावा मध्य प्रदेश सहित कई प्रांतों के 1680 कैंसर पीड़ितों की जिंदगी में नई राह दिखा चुके हैं और उनके चेहरे पर खोई हुई मुस्कान फिर से लौट आई है।
वे न केवल रोगियों को मुंबई तक ले जाकर उपचार की राह आसान बनाते हैं, बल्कि हर कदम पर उन्हें भावनात्मक सहारा और मार्गदर्शन के अलावा आर्थिक रूप से कमजोर कैंसर पीड़ितों को समाज के सहयोग से उनके इलाज की राह आसान बना देते हैं।
उनकी इस असाधारण निस्वार्थ सेवा, त्याग और समर्पण को मान्यता देते हुए भोपाल में आयोजित हुए आरोग्य भारती व्याख्यानमाला के प्रदेश स्तरीय 11वें वार्षिकोत्सव में जगद्गुरु सुखानंद द्वाराचार्य महाराज, लेखक-निर्देशक डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी, श्री स्वांत रंजन और डॉ. अशोक कुमार वार्ष्णेय ने मिलकर उन्हें ‘धन्वंतरि गौरव सम्मान’ प्रदान किया।
उल्लेखनीय है कि ग्राम गमाखर निवासी अजय सिंह रघुवंशी बाल्यावस्था से ही एक स्वयंसेवक के रूप में समाज सेवा के क्षेत्र में सक्रिय हैं। उनकी सेवा का यह दायरा गांव से निकलकर अब कैंसर पीड़ितों की सेवा में जीवन समर्पित हो चुका है।
सुदर्शन समाज उत्थान सेवा समिति के माध्यम से अब कैंसर पीड़ितों के लिए और भी बेहतर प्रयासों की श्रृंखला शुरू कर चुके हैं। सेवा की इस यात्रा में कई जाने अनजाने चेहरे उनके साथ खड़े हुए दिखाई देते हैं जो समाज कि गुमनामी से बाहर हैं।
माँ की बीमारी से मिली, सेवा की प्रेरणा
अजयसिंह बताते हैं कि सेवा यात्रा की शुरुआत उनके जीवन के सबसे कठिन दौर से हुई। “जब माँ को कैंसर हुआ, इलाज के दौरान हर मुश्किल, मैंने अपनी आँखों से देखी। आज से करीब 35 साल पहले भोपाल तो दूर उन्होंने विदिशा जिला भी ठीक ढंग से नहीं देखा था और कैंसर पीड़ित मां के इलाज के लिए एक बोरी में खाने का सामान भरकर मुंबई की राह पकड़ ली थी।
मां के उचित उपचार में डॉक्टरों की तलाश करते-करते कई दर्द मिले, यही दर्द मुझे प्रेरित कर गया कि अब किसी और परिवार को अकेले इस पीड़ा से नहीं गुजरना पड़ेगा।”। माँ की पीड़ा ने मुझे रास्ता दिखाया कि अब कोई भी कैंसर पीड़ित परिवार अपने आपको अकेला न समझे।” जब तक साँस है, मैं कैंसर पीड़ितों के साथ सातों दिन और 24 घंटे खड़ा रहूँगा।
संभल जाइए….! जिले में बढ़ रही है कैंसर मरीजों की संख्या
अजय सिंह बताते हैं कि कोरोना कल के बाद कैंसर पीड़ितों की संख्या में चौंकाने वाली वृद्धि हुई है। केवल विदिशा जिले में ही नहीं बल्कि ग्वालियर, हरदा, रायसेन जिलों में बढ़ती कैंसर पीड़ितों की संख्या चिंतनीय है।
जिले में जिस तरह से फसलों में बे-हताशा पेस्टिसाइड जहरीली रासायनिक दवाइयों के उपयोग साथ साथ हमारी असंतुलित दिनचर्या और दूषित खान पान से कहीं ना कहीं कैंसर को बढ़ावा मिल रहा है।
कोरोना से पहले 10 से 12 मैरिज हर महीने कैंसर की जांच और इलाज के लिए मुंबई जाते थे लेकिन अब यह आंकड़ा 30 से 40 पर पहुंच गया है जो शोध का विषय है।
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कैंसर पीड़ितों की संख्या वाले जिले अब धीरे-धीरे पंजाब की तरह बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। अजय सिंह ने बताया कि कैंसर पीड़ित की 50% बीमारी तो भावनात्मक संबल देने से और बची बीमारी उचित परामर्श से ठीक हो जाती है। ऐसे कई उदाहरण उनके पास है जो इस तरह ठीक हुए हैं।