झारसुगुड़ा (ओडिशा) 12 सितंबर (आईएएनएस)। नेपाल में भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ ‘जेन-जी’ द्वारा शुरू हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों ने देश को गहरे संकट में धकेल दिया है। प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद वहां के हालात आसान्य हो गए हैं। इस अशांति से प्रभावित नेपाली प्रवासी समुदाय ने ओडिशा के झारसुगुड़ा में एकजुट होकर शांति और राष्ट्रीय एकता का आह्वान किया है।
स्थानीय गोरखा समाज के सदस्यों ने एक सभा में प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और सभी पक्षों से हिंसा त्याग कर संवाद की अपील की।
स्थानीय नीतू थापा ने आईएएनएस को बताया, “मैं नेपाली समाज से जुड़ी हुई हूं। देश की राजनीतिक नींव हिल चुकी है, और युवाओं की बढ़ती निराशा ने आंदोलन को हिंसक रूप दे दिया। नेपाल में जेन-जी द्वारा जो आंदोलन किया जा रहा है, उसके पीछे का कारण सोशल मीडिया का बंद होना था। इसके पीछे का एक मुख्य कारण भ्रष्टाचार भी था।”
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री के.पी. ओली ने इस्तीफा दे दिया है। जेन-जी को आंदोलन के माध्यम से जो करना था, वो कर चुके हैं। हिंसात्मक आंदोलन में कई लोगों की मौत हो चुकी है। देश की संपदा को भारी नुकसान हो रहा है, जो अब रुकना चाहिए। अब जेन-जी को आंदोलन पर रोक लगानी चाहिए।”
गोरखा समाज झारसुगुड़ा के अध्यक्ष चमन गुरुंग ने नेपाल हिंसा पर दुख जाहिर किया। उन्होंने कहा, “हमें बहुत दुख है। नेपाल में ऐसी हिंसात्मक आंदोलन नहीं होनी चाहिए थी। विरोध नेताओं के खिलाफ था, तो उनके खिलाफ एक्शन लेना चाहिए था। लेकिन राष्ट्र की संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए था।”
गुरुंग ने कहा, “अब तक नेपाल में जो हुआ, सो हुआ। अब हम चाहते हैं कि नेपाल में शांति बहाल हो। हम लोग नेपाल छोड़ कर यहां पर हैं, जबकि हमारा परिवार वहां पर है। हिंसा में उन्हें नुकसान हो रहा है। प्रधानमंत्री कोई भी बने, लेकिन हमारी मांग है कि वहां पर राजशाही हो। नेपाल हिंदू राष्ट्र बने।”
–आईएएनएस
एससीएच/जीकेटी