सांची. विश्व प्रसिद्ध बौद्ध धरोहर स्थल होने के बावजूद सांची रेलवे स्टेशन आज भी ट्रेन स्टापेज से वंचित है। करोड़ों रुपये की लागत से स्टेशन का आधुनिकीकरण और सौंदर्यीकरण तो कराया गया, लेकिन ट्रेनें यहाँ रुकेंगी ही नहीं तो इसका वास्तविक लाभ किसे मिलेगायह बड़ा सवाल बन गया है।
लोगों व पर्यटकों की लगातार उठ रही मांग को देखते हुए नगर परिषद अध्यक्ष पप्पू रेवाराम ने रेलवे महाप्रबंधक से भेंट कर ट्रेन स्टापेज बहाल करने का ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने अमृतसर एक्सप्रेस, मुंबई सीएसएमटी एक्सप्रेस, चेन्नई–कटरा एक्सप्रेस, भोपाल–ग्वालियर इंटरसिटी, ग्रांट ट्रंक एक्सप्रेस और चेन्नई–दिल्ली एक्सप्रेस जैसी प्रमुख ट्रेनों का दोनो ओर से सांची में स्टापेज सुनिश्चित करने की मांग रखी है।
कोरोना के बाद बंद हुई ट्रेनें, आज तक बहाल नहीं
कोरोना महामारी से पहले सांची रेलवे स्टेशन पर अनेक ट्रेनों का ठहराव था, जिससे जिले भर के लोगों और देश–विदेश से आने वाले पर्यटकों को सुगमता मिलती थी। लेकिन महामारी के दौरान सुरक्षा कारणों से स्टापेज बंद कर दिए गए और आज तक बहाल नहीं हो सके। अनेक बार नगर परिषद और सामाजिक संगठनों ने ज्ञापन सौंपे, लेकिन परिणाम शून्य रहा।
पर्यटक और अपडाउनर्स की बढ़ी मुश्किलें।
ट्रेन स्टापेज न होने से सांची आने वाले पर्यटकों को भोपाल या विदिशा उतरना पड़ता है। इससे न केवल अतिरिक्त खर्च और समय की बर्बादी होती है बल्कि विदेशी पर्यटकों को असुरक्षा की आशंका भी बनी रहती है। परिणामस्वरूप सांची आने वाले पर्यटकों की संख्या घटने लगी है।
इसी तरह सैकड़ों अपडाउनर्स, व्यापारी वर्ग और सरकारी–निजी कर्मचारी अब भोपाल या विदिशा से यात्रा करने को मजबूर हैं, जिससे उन्हें दोहरी आर्थिक मार और समय की क्षति उठानी पड़ रही है।
जनप्रतिनिधियों ने भी उठाई आवाज़
नगर परिषद अध्यक्ष पप्पू रेवाराम द्वारा सौंपे गए ज्ञापन की प्रति क्षेत्रीय विधायक एवं पूर्व मंत्री डॉ. प्रभूराम चौधरी को भी दी गई। डॉ. चौधरी ने स्वयं रेलवे महाप्रबंधक को पत्र लिखकर सांची स्टेशन पर ट्रेन स्टापेज सुनिश्चित करने की मांग की है। साथ ही, क्षेत्रीय सांसद एवं केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी यह मांग भेजी गई है।
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सवाल बना स्टेशन का भविष्य
जब ट्रेनें ही नहीं रुकेंगी तो करोड़ों रुपये की लागत से बने आधुनिक स्टेशन का लाभ किसे मिलेगा? क्या केवल भवनों और साज–सज्जा से सांची की विश्व प्रसिद्धि कायम रहेगी या फिर वास्तव में ट्रेन स्टापेज से यात्रियों और पर्यटकों को सुविधा मिलेगी—यही सवाल अब रेलवे प्रशासन के सामने खड़ा है।जब ट्रेन स्टापेज नहीं तो सरकार की करोड़ों की राशि क्यों भेंट चढ़ गई।