जबलपुर, देशबंधु. इन दिनों जबलपुर रेलवे स्टेशन पर वाणिज्य विभाग विशेषकर टिकिट चैकिंग में गुटबाजी चरम सीमा पर है. एक गुट का नेतृत्व संघ के पदाधिकारी एवं वोकेशनल कोर्स से भर्ती हुए सीटीआई कर रहे है तो दूसरी और का नेतृत्व एक पुराने सीटीआई कर रहे हैं. दोनों गुटों में वर्चस्व की लड़ाई इन दिनों चरम सीमा में है. सूत्रों की मानें तो वोकेशनल ग्रुप इन दिनों सब पर हावी है, क्योंकि जबलपुर मंडल कार्यालय से लेकर महाप्रबंधक कार्यालय तक लगभग आधा दर्जन अधिकारी वोकेशनल ग्रुप के हैं.
सर्तकता विभाग का भी एक अधिकारी वोकेशनल ग्रुप का है तथा इनका वरदहस्त इस गुट को प्राप्त है. इस बात का प्रमाण इससे मिलता है कि जबलपुर स्टेशन पर निम्न वरीयता वाले सीटीआई को सीटीआई मुख्यालय के रुप में वोकेशनल समूह के होने के नाते पदस्थ कर रखा है जबकि उच्च वरीयता वाले कर्मचारी लाईन- स्काड में दिनरात ड्यूटी कर रहे हैं.
ड्यूटी के खेल में कुछ ऐसे भी कर्मचारी है जो सीधे साधे हैं एवं किसी भी गुट में शामिल नहीं उनको तो कोल्हू के बैल की तरह कही भी हांका जाता है, ऐसे कर्मचारी न तो शिकायत कर सकते हैं ना ही अपनी आवाज उठा सकते हैं. इसी तरह दोनों प्रभावशाली गुट के कर्मचारियों पर ने रेल नियमों का कोर्ड प्रभाव नही पड़ता एवं मनमर्जी से ए कार्य करते है . इस तरह के कार्य कलापों पर मंडल के 8 अधिकारियों की नजरांदाजी एवं आंख फेरना संदेह को जन्म देता है.
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पैसा दो ड्यूटी लगवाओ
पश्चिम मध्य रेल के कोटा एवं भोपाल मंडल मे | टिकिट जांच कर्मचारियों की डयूटी टीटी लिंक के हिसाब से लगती है परन्तु जबलपुर मंडल में ड्यूटी मनमर्जी से लगती है. वोकेशनल के कर्मचारियां को मलाईदार गाड़ियों में ड्यूटी पर भेजा जाता है. अन्य कर्मचारियों को पूजा प्रसाद चढ़ाने के बाद उनकी पसंद या सुविधाजनक गाड़ियां में भेजा जाता है. कुछ बलशाली एवं प्रभावशाली कर्मचारी अपनी मर्जी से चाहें जिस गाड़ी में ड्यूटी करना चाहे कर सकते हैं, क्योंकि अगर लिंक में उन्हें ड्यूटी करना पड़े तो सभी को सभी गाड़ियों में कार्य करना पड़ेगा. परंतु इन गुट से इतर जितने भी टिकिट जांच कर्मचारी अपनी मनपसंद गाड़ियों में कार्य करना चाहते हैं तो उन्हें दान दक्षिणा भी करना पड़ता है.
विजलेंस की चुप्पी भी संदेह के घेरे में
पश्चिम मध्य रेलवे का सर्तकता विभाग स्टेशन से चन्द कदमों की दूरी पर है, लेकिन सर्तकता निरीक्षकों की फौज को ऐसी अनिमिताएं कभी दिखाई नही देती. जबकि बड़ी मछली पर हाथ डालने अथवा कार्यवाही करने से घबराते हैं. अगर सर्तकता विभाग केवल 3 माह की ड्यूटी लिस्ट उठाकर देख ले तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा. लेकिन इसकी जेहमत उठाने को कोई तैयार नहीं हैं.