नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)। एयरोस्पेस कंपनी एयरबस ने घोषणा की है कंपनी भारत के इनोवेशन सिस्टम को मजबूत बनाने की अपनी प्रतिबद्धता के तहत गुजरात में गति शक्ति विश्वविद्यालय में एक रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस सेट अप करेगी।
एयरबस के प्रबंध निदेशक जुर्गन वेस्टरमेयर ने केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात के बाद इस योजना की घोषणा की।
उन्होंने कहा कि कंपनी हर साल 100 से अधिक भारतीय सप्लायर से 1 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के कंपोनेंट खरीदती है।
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा, “एयरबस इंडिया के एमडी जुर्गन वेस्टरमेयर से यह जानकर खुशी हुई कि एयरबस 1 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के कंपोनेंट खरीदती है और इसके 100 से अधिक भारतीय सप्लायर हैं। मजबूत डिजाइन क्षमता के साथ, यह जल्द ही गति शक्ति विश्वविद्यालय में एक आरएंडडी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करेगी।”
एयरक्राफ्ट मेकर कंपनी ने बेंगलुरु में एक डिजिटल सेंटर स्थापित किया है, जिसे वह अपने डिजिटल परिवर्तन की रीढ़ की हड्डी कहती है। फ्रांस के टूलूज में मुख्यालय के बाद एयरबस का बेंगलुरु हब उसकी दूसरी सबसे बड़ी डिजिटल सुविधा है।
कंपनी ने 2018 में दुनिया भर के सभी डिवीजनों को सपोर्ट करने के लिए एक ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर जीसीसी स्थापित कर भारत में अपनी डिजिटल क्षमताओं का विस्तार किया।
एयरक्राफ्ट मेकर कंपनी ने अपने विभिन्न साइटों पर 3600 से अधिक कर्मचारियों को नियुक्त किया है, जिसमें व्यवसाय को आईटी समाधान प्रदान करने के लिए 1500 से अधिक कुशल आईटी पेशेवर शामिल हैं।
एयरबस सस्टेनेबिलिटी, इंजीनियरिंग, साइबर सिक्योरिटी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग डेटा पर केंद्रित संयुक्त आरएडंडी प्रोजेक्ट्स पर प्रमुख भारतीय संस्थानों के साथ सहयोग करती है।
एक बयान में ग्लोबल फर्म ने कहा कि सोर्सिंग, इंजीनियरिंग, इनोवेशन, रखरखाव और ट्रेनिंग सर्विस में एयरबस का लोकल फुटप्रिंट स्थानीय इकोसिस्टम के विकास के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
कंपनी ने कहा कि भारत एक रणनीतिक संसाधन केंद्र के रूप में कार्य करता है, जो एयरोस्पेस सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए वर्ल्ड-क्लास टैलेंट और रिसर्च प्रदान करता है।
एयरबस हेलीकॉप्टर्स ने अगस्त में अपने एच125 हेलीकॉप्टर के फ्यूजलेज के निर्माण के लिए महिंद्रा एरोस्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को एक कॉन्ट्रैक्ट दिया था, जो दोनों कंपनियों के बीच सहयोग और सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को मजबूत करता है।
–आईएएनएस
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