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ग्रहण के दौरान भी खुले रहते हैं इन प्रसिद्ध मंदिरों के कपाट, जानिए रहस्य और मान्यता

देशबन्धु by देशबन्धु
September 20, 2025
in ताज़ा समाचार
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नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)। हिंदू धर्म में ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है। मान्यता है कि ग्रहण के दौरान वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है, जिसके चलते इस समय कई धार्मिक और सामाजिक कार्य वर्जित होते हैं। सूतक काल लगते ही सभी मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और ग्रहण समाप्त होने के बाद गंगाजल से शुद्धिकरण कर पुनः पूजा आरंभ होती है। हालांकि भारत में कुछ ऐसे प्रसिद्ध मंदिर हैं, जो ग्रहण काल में भी खुले रहते हैं। इन मंदिरों से जुड़ी मान्यताएं और कथाएं इन्हें और भी विशेष बनाती हैं।

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मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर ग्रहण काल में भी भक्तों के लिए खुला रहता है। मान्यता है कि कालों के काल महाकाल स्वयं मृत्यु और काल के स्वामी हैं। ऐसे में उन पर ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। हालांकि इस दौरान शिवलिंग को स्पर्श करना मना होता है और आरती का समय बदला जाता है, लेकिन भक्तों को दर्शन की अनुमति रहती है।

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राजस्थान के बीकानेर स्थित लक्ष्मीनाथ मंदिर भी ग्रहण काल में खुला रहता है। कथा है कि एक बार ग्रहण के दौरान भगवान को न भोग लगाया गया और न आरती हुई। तब भगवान ने एक हलवाई को स्वप्न में आकर भूख की व्यथा सुनाई। तभी से इस मंदिर में ग्रहण के दौरान भी कपाट खुले रखने की परंपरा शुरू हुई।

राजस्थान के नाथद्वारा में स्थित श्रीनाथजी मंदिर भी ग्रहण काल में बंद नहीं होता। मान्यता है कि जिस प्रकार भगवान श्रीनाथ ने गिरिराज पर्वत उठाकर ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था, वैसे ही वे भक्तों को ग्रहण के दुष्प्रभाव से सुरक्षित रखते हैं। इस दौरान केवल दर्शन होते हैं, बाकी पूजा-विधि टाल दी जाती है।

केरल के कोट्टायम जिले में स्थित थिरुवरप्पु श्रीकृष्ण मंदिर की विशेष मान्यता है। यहां भगवान को समय पर भोग न लगाने पर मूर्ति क्षीण होने लगती है। एक बार सूर्य ग्रहण के दौरान कपाट बंद कर दिए गए तो भगवान की कमरपेटी भूख के कारण गिर गई। तब से यहां सूतक काल लागू नहीं होता और मंदिर ग्रहण के समय भी खुला रहता है।

दिल्ली का प्रसिद्ध सिद्धपीठ कालकाजी मंदिर ग्रहण काल में भी खुला रहता है। मान्यता है कि मां कालका के अधीन सभी ग्रह और नक्षत्र हैं, इसलिए ग्रहण का उन पर कोई प्रभाव नहीं होता। यही कारण है कि दिल्ली में जहां अन्य सभी मंदिर बंद हो जाते हैं, वहीं कालकाजी मंदिर दर्शन के लिए खुला रहता है।

देवभूमि उत्तराखंड का कल्पेश्वर तीर्थ भी ग्रहण काल में बंद नहीं होता। मान्यता है कि इसी स्थान पर भगवान शिव ने अपनी जटाओं से गंगा के प्रवाह को नियंत्रित किया था। इसलिए यहां ग्रहण काल में भी श्रद्धालुओं के लिए मंदिर खुले रहते हैं।

बिहार के गया में स्थित विष्णुपद मंदिर भगवान विष्णु के चरण चिन्हों पर बना है। यहां पितरों के तर्पण का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस मंदिर में ग्रहण काल में भी कपाट बंद नहीं होते। भक्त इस समय भी भगवान के चरणों के दर्शन कर सकते हैं।

–आईएएनएस

पीआईएम/डीएससी

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