पटना, 20 सितंबर (आईएएनएस)। बिहार सरकार के नगर विकास मंत्री जीवेश मिश्रा ने राजद नेता तेजस्वी यादव को कानूनी नोटिस भेजा है। आरोप है कि तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया और प्रेस के माध्यम से झूठे, भ्रामक और मानहानिकारक बयान दिए हैं, जिनका मकसद मंत्री की छवि को नुकसान पहुंचाना और राजनीतिक लाभ उठाना है।
मंत्री जीवेश मिश्रा, जो दरभंगा जिले के जाले प्रखंड के रहने वाले हैं, ने अपने वकील के माध्यम से तेजस्वी यादव को लीगल नोटिस भेजा है। इस नोटिस में कहा गया है कि मंत्री पूर्व में एक दवा कंपनी ‘मेसर्स आल्टो हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड’ के निदेशक रहे हैं, जो औषधि व्यापार से जुड़ी थी।
साल 2012 में, राजस्थान के राजसमंद जिले के ड्रग कंट्रोल अधिकारी ने एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें 16 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इसमें मंत्री जीवेश मिश्रा की कंपनी का भी नाम था। यह केस सीजेएम, राजसमंद की अदालत में चला, जिसका क्रिमिनल केस नंबर 96/2012 था।
मामला सिप्रोलिन 500 नाम की टैबलेट से जुड़ा था, जिसमें सिप्रोफ्लोक्सासिन 500 एमजी की मात्रा होनी चाहिए थी। यह दवा फ्रांसिस बायोटेक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बनाई गई थी और आल्टो हेल्थ केयर इसे एक अधिकृत डिस्ट्रीब्यूटर के रूप में खरीद कर आगे वितरित करती थी।
जांच में पाया गया कि टैबलेट में सिप्रोफ्लोक्सासिन की मात्रा 92.339 प्रतिशत थी, जो कि मान्य सीमा 90 प्रतिशत से 110 प्रतिशत के भीतर आती है। हालांकि, दवा डिजॉल्यूशन टेस्ट में फेल पाई गई। लेकिन, महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी लैब रिपोर्ट में इसे मिसब्रांडेड, मिलावटी या नकली नहीं बताया गया।
4 जून 2025 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, राजसमंद की अदालत ने अपने फैसले में कहा कि यह मामला तकनीकी प्रकृति का है, ना कि जानबूझकर की गई कोई गलती। चूंकि सभी आरोपियों ने 12 साल तक मुकदमा झेला था और उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं था, इसलिए उन्हें प्रोबेशन ऑफ ऑफेंडर्स एक्ट 1958 के तहत राहत दी गई।
किसी भी आरोपी को कोई सजा नहीं सुनाई गई, बल्कि एक साल तक ऐसा अपराध दोबारा न करने का बांड भरवाया गया और प्रत्येक को 7,000 रुपए की लागत जमा करने का निर्देश दिया गया। इसके अलावा, 30 जून 2025 को सेशंस कोर्ट ने इस आदेश पर स्टे भी दे दिया है, यानी मामला अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है।
इसके बावजूद, नोटिस में कहा गया है कि तेजस्वी यादव ने 15 सितंबर को अपने फेसबुक अकाउंट के माध्यम से यह झूठा दावा किया कि जीवेश मिश्रा नकली दवाइयों की बिक्री में शामिल थे। दवा चोरी में दोषी पाए गए हैं। मंत्री का कहना है कि उन्होंने कभी दवा चोरी नहीं की और ना ही इस तरह का कोई आरोप कभी अदालत में साबित हुआ है।
जारी नोटिस के मुताबिक, तेजस्वी यादव ने अपने फेसबुक पोस्ट में 15 सितंबर को लिखा था कि नकली दवा बेचकर लोगों की जान से खिलवाड़ करने वाला दवा चोरी में सजायाफ्ता मंत्री जीवेश मिश्रा सीएम नीतीश कुमार की कैबिनेट में मंत्री बने बैठे हैं। 16 सितंबर को तेजस्वी ने फिर से पोस्ट कर लिखा, “नकली दवा बेचने वाले बिहार सरकार में भाजपा के भ्रष्ट दवा चोर मंत्री जीवेश मिश्रा।”
वकील के अनुसार, तेजस्वी यादव का यह बयान पूरी तरह से झूठा, भ्रामक और दुर्भावनापूर्ण है, जिसका मकसद मंत्री की राजनीतिक और सामाजिक छवि को धूमिल करना है।
नोटिस में तेजस्वी यादव से तुरंत अपने बयान वापस लेने, सार्वजनिक रूप से माफी मांगने और आगे इस प्रकार के बयान न देने की चेतावनी दी गई है। ऐसा न करने की स्थिति में कानूनी कार्रवाई करने की बात कही गई है।
–आईएएनेस
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