मुंबई, 20 सितंबर (आईएएनएस)। अमेरिका के ट्रंप प्रशासन द्वारा एच1बी वीजा शुल्क को 100,000 डॉलर (करीब 84 लाख रुपए) सालाना करने के फैसले ने भारतीय आईटी पेशेवरों में हड़कंप मचा दिया है। इस कदम का सबसे ज्यादा असर भारत पर पड़ेगा, जहां 71 प्रतिशत एच1बी वीजा भारतीयों को मिलते हैं। इस मुद्दे पर शिवसेना (यूबीटी) नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने शनिवार को केंद्र सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया।
शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक लंबा पोस्ट साझा किया। उन्होंने एच1बी वीजा के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने ‘चौंकाने वाली चुप्पी’ बताते हुए कहा कि यह न केवल पेशेवरों बल्कि कंपनियों और युवाओं की आकांक्षाओं पर प्रहार है।
ठाकरे ने पोस्ट में लिखा, “समस्या सिर्फ हमले की नहीं है, उससे भी बड़ी समस्या केंद्र सरकार की चौंकाने वाली चुप्पी है। अगर ‘आत्मनिर्भर भारत’, ‘मेक इन इंडिया’ और ऐसे ही दूसरे नारे वाकई लागू होते, तो इतनी अराजकता न होती। डॉलर के मुकाबले कमजोर होते रुपए और टैरिफ ने हमें पहले ही बुरी तरह प्रभावित किया है, और सत्ताधारी पार्टी की बातें चाहे कितनी भी दिखावटी या साहसिक लगें, हमें कड़वी सच्चाई को देखना होगा।”
उन्होंने आगे कहा कि अब एच1बी वीजा शुल्क का असर लाखों कामकाजी पेशेवरों, उन्हें नौकरी देने वाली कंपनियों और हजारों युवा आकांक्षाओं पर पड़ेगा, जो अपना करियर और बेहतर दुनिया बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
ठाकरे ने कहा, “मैं विदेश यात्राओं के शानदार 11 सालों पर और यह भी नहीं कहूंगा कि क्या यह किसी विदेश नीति में तब्दील होता है, लेकिन हम भारतीयों को अपनी सरकार को हमसे और अमेरिका से बात करते हुए सुनने की जरूरत है। भारत-अमेरिका के बीच अच्छे संबंध विश्व के लिए बहुत अच्छी बात है, लेकिन हमारी सरकार की चुप्पी उन लोगों के लिए पूर्ण अंधकार है।”
बता दें कि ट्रंप ने 19 सितंबर को इस घोषणा पर हस्ताक्षर किए, जो 21 सितंबर से लागू हो जाएगी। वर्तमान में शुल्क 2,000-5,000 डॉलर के बीच है, लेकिन नया शुल्क 12 महीने के लिए अनिवार्य होगा, जिसे बाद में बढ़ाया जा सकता है।
–आईएएनएस
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