उमरिया देशबन्धु. पाली–घुनघुटी क्षेत्र आज अवैध रेत कारोबार का गढ़ बन चुका है। ओदरी गाहिरा नाला, बेली, चौरी, हथपुर, चंदपुर, चंदनिया, कन्नबाहर और अमिलिहा—इन गांवों की नदियाँ अब जीवन नहीं, कारोबार का जरिया बन गई हैं। शाम ढलते ही ट्रैक्टरों के काफिले निकल पड़ते हैं और नदी-नालों का सीना चीरते हुए रेत लूट ली जाती है। यह लूट सफेदपोशों की छत्रछाया और विभागीय मिलीभगत से ही संभव है।
यह केवल अवैध खनन नहीं, पर्यावरण पर हमला है
जलस्रोत सूख रहे हैं, तटबंध टूट रहे हैं और नदियों का स्वरूप बदल रहा है। विशेषज्ञ पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि अगर यह खेल नहीं रुका तो आने वाले समय में भूजल स्तर खत्म हो जाएगा, बाढ़ और सूखे की मार बढ़ेगी, और ग्रामीण जीवन संकट में पड़ जाएगा।
प्रशासन की चुप्पी अपराध से कम नहीं
पाली थाना और घुनघुटी चौकी क्षेत्र में अवैध कारोबार सबकी आँखों के सामने चल रहा है, फिर भी खनिज और राजस्व विभाग दिखावटी कार्रवाइयों से आगे नहीं बढ़ते। ट्रैक्टर रोककर कागजों में जब्ती दिखाना आसान है, लेकिन असली सवाल यह है कि अवैध खदानों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती? क्या माफियाओं से मिलीभगत ही इस खामोशी की वजह है?
यह सवाल अब हर ग्रामीण पूछ रहा है
गांव-गांव में यह गोरखधंधा फैल चुका है, युवाओं को रोजगार नहीं, बल्कि इस काले कारोबार की दलदल में धकेला जा रहा है। नदियों की पहचान मिट रही है, और भविष्य की पीढ़ियाँ केवल किताबों में ही इनका नाम पढ़ेंगी।
स्पष्ट है
जब तक प्रशासन ईमानदारी और सख्ती से कार्रवाई नहीं करेगा, तब तक यह रेत माफिया फलते-फूलते रहेंगे और जनपद का पर्यावरण, जल स्रोत और ग्रामीण जीवन बर्बादी की ओर जाता रहेगा। यह केवल कानून-व्यवस्था का नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य का सवाल है।