कोलकाता, 22 सितंबर (आईएएनएस)। कोलकाता की दुर्गा पूजा अपनी अनूठी थीम्स, भव्य पंडालों और कलात्मक प्रतिमाओं के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यूनेस्को ने इसे अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की सूची में शामिल कर दुनिया भर में इसकी पहचान मजबूत की। नवरात्रि के पहले दिन से ही कोलकाता के अलग-अलग इलाकों में पंडाल सजने लगे हैं।
इस बार दक्षिण कोलकाता के अशोक नगर पार्क सार्वजनिन दुर्गा उत्सव कमेटी ने बांग्ला भाषा को बढ़ावा देने वाली थीम चुनी है। उन्होंने थीम को ‘बंगला, आमार मायेर भाषा’ यानी ‘बंगला, मेरी मां की भाषा’ नाम दिया है।
यह थीम बंगालियों की मातृभाषा ‘बांग्ला’ को संरक्षित और प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है, जो नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का प्रयास है। पंडाल को पूरी तरह बांग्ला वर्णमाला से सजाया गया है, जहां चारों ओर स्वरलिपि और व्यंजन अक्षरों की चमकदार सजावट नजर आती है।
दुर्गा प्रतिमा की डिजाइन भी अनोखी है, जहां ‘मां दुर्गा’ की गोद में विराजमान ‘मां लक्ष्मी’ और ‘मां सरस्वती’ बांग्ला वर्णमाला की पुस्तकें हाथों में थामे हुए हैं, जो भाषा के माध्यम से ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक है।
दुर्गा उत्सव कमेटी की सदस्य स्वागता गांगुली ने आईएएनएस से बातचीत में बताया कि इस बार दुर्गा पंडाल के जरिए बांग्ला भाषा को प्रमुखता से दिखाया गया है। कमेटी का उद्देश्य है कि आधुनिकता की दौड़ में युवा बंगाली अपनी भाषा से वंचित न हों और दुर्गा पूजा के माध्यम से उन तक यह संदेश पहुंचे कि अपनी भाषा को सीखना जरूरी है। इसलिए हम दुर्गा पंडाल के जरिए बांग्ला भाषा को प्रमोट कर रहे हैं।
इसके अलावा, पंडाल में भारत की महान हस्तियों की तस्वीर भी लगाई है, जिनमें गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर और बंकिम चंद्र चटर्जी भी शामिल हैं।
यह थीम नवरात्रि के भक्ति भाव को सांस्कृतिक गौरव से जोड़ती है, जहां पंडाल में बांग्ला साहित्य, कविताओं और लोकगीतों की प्रदर्शनी भी लगाई गई है।
कोलकाता की सड़कों पर उत्साह चरम पर है और श्रद्धालु भी इन थीम-आधारित पंडलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
–आईएएनएस
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