deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home ताज़ा समाचार

‘उड़िया’ भाषा के प्रहरी ‘कबिबर’ राधानाथ राय, साहित्य से सांस्कृतिक पहचान की रक्षा तक की प्रेरणादायक गाथा

देशबन्धु by देशबन्धु
September 26, 2025
in ताज़ा समाचार
0
0
SHARES
0
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 26 सितंबर (आईएएनएस)। यह गाथा है ओडिया साहित्य के आधुनिक युग के जनक, ‘कबिबर’ राधानाथ राय की, जो मात्र एक कवि नहीं, बल्कि ओडिया भाषा के सजग प्रहरी भी बनकर उभरे। जब उड़ीसा ब्रिटिश शासन के अधीन था और बंगालियों को प्रशासनिक और शैक्षणिक व्यवस्था में विशेष दर्जा प्राप्त था, कुछ प्रभावशाली शिक्षाविदों ने यह प्रचार शुरू कर दिया कि ‘उड़िया’ बस बंगाली की एक ‘उपभाषा’ है। इसका नतीजा साफ था। उड़िया को स्कूलों से हटाने और ओडिशा की पहचान को धुंधला करने की तैयारी चल रही थी। ऐसे नाजुक समय में, राधानाथ राय ने अपनी लेखनी से इस षड्यंत्र को न केवल विफल कर दिया, बल्कि ओडिया भाषा को उसका सम्मानजनक स्थान दिलाने में निर्णायक भूमिका भी निभाई।

READ ALSO

पिछले एक साल में भारत-चीन द्विपक्षीय सहयोग में हुई उल्लेखनीय प्रगति : किन योंग

जुबीन गर्ग के मैनेजर ने उनके गीतों के स्वामित्व के बारे में दिया स्पष्टीकरण, वित्तीय मामलों से जुड़ी अफवाहों को किया खारिज

राधानाथ राय का जन्म 28 सितंबर 1848 को बालेश्वर जिले के केदारपुर गांव में एक जमींदार परिवार में हुआ था, जो उस समय बंगाल प्रेसीडेंसी के अधीन था और अब ओडिशा में है। अपने प्रारंभिक जीवन में उन्होंने उड़िया और बंगाली दोनों भाषाओं में रचनाएं कीं, लेकिन बाद में पूरी तरह से उड़िया में ही लेखन करने लगे। इसके पीछे की एक बड़ी वजह अगर मानी जाए तो ‘उड़िया’ भाषा के अस्तित्व को जिंदा रखना था।

ADVERTISEMENT

‘ओडिया वर्चुअल अकादमी’ की वेबसाइट पर उल्लेख मिलता है कि कुछ बंगाली शिक्षाविदों ने यह प्रचार करना शुरू किया कि उड़िया भाषा, बंगाली की एक उपभाषा है और इसे स्कूलों से हटाया जाना चाहिए। इस षड्यंत्र का परिणाम यह हुआ कि उड़िया छात्रों के लिए बंगाली पाठ्यपुस्तकें अनिवार्य कर दी गईं।

इसके खिलाफ आवाज उठी और बालासोर के तत्कालीन कलेक्टर जॉन बीम्स ने सबसे पहले यह साबित करने की कोशिश की कि उड़िया, बंगाली से अधिक प्राचीन है और इसका साहित्य अधिक समृद्ध है।

उड़िया भाषा में न तो पर्याप्त शिक्षक थे, न ही पाठ्यपुस्तकें। ऐसे कठिन समय में राधानाथ राय, फकीर मोहन सेनापति और मधुसूदन राव जैसे प्रबुद्ध साहित्यकारों ने मोर्चा संभाला।

ADVERTISEMENT

उस समय राधानाथ राय, ओडिशा स्कूल एसोसिएशन के निरीक्षक थे। उन्होंने फकीर मोहन और मधुसूदन के साथ मिलकर स्कूली पाठ्य पुस्तकें लिखने को बढ़ावा देने का प्रयास किया। उनके दबाव में उड़िया लोगों पर बंगाली भाषा थोपने की साजिश नाकाम कर दी गई।

राधानाथ राय का योगदान सिर्फ यहां तक सीमित नहीं था। वे कविता और साहित्य की दिशा में आगे बढ़े।

उन्होंने उड़िया भाषा में लेखन शुरू किया और ‘केदार गौरी’, ‘महायात्रा नंदीकेश्वरी’, ‘चिलिका’, ‘महायात्रा- जाजतिकेशरी’, ‘तुलसीस्तबक’, ‘उर्वशी’, ‘दरबार’, ‘दशरथ बियोग’, ‘सावित्री चरित्र’ और ‘महेंद्र गिरि’ जैसे कई प्रसिद्ध काव्य और महाकाव्य लिखे।

उनका काव्य-संग्रह ‘दरबार’ साल 1894 में प्रकाशित हुआ, जिसे समकालीन साहित्य में सराहा गया। ‘दरबार’ उनका एक व्यंग्यात्मक काव्य है, जिसमें उन्होंने ओडिशा के उस समय के जमींदारों और शासकों की कड़ी आलोचना की, जो ब्रिटिश अधिकारियों के दरबारों में शामिल होकर आम जनता की भलाई के लिए कुछ नहीं कर रहे थे।

इसके अलावा, उन्होंने 15 से अधिक निबंध लिखे। अपने मूल कार्यों के अलावा, वे लैटिन साहित्य से अनुवाद और रूपांतरण के लिए भी जाने जाते हैं, जिनमें ‘उषा’, ‘चंद्रभागा’ और ‘पार्वती’ शामिल हैं।

सिर्फ यही नहीं, ‘चिलिका’ जैसी रचनाएं आज भी उनकी प्रगतिशील सोच की मिसाल हैं।

राधानाथ राय का लेखन सिर्फ साहित्यिक नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी क्रांतिकारी था। उन्होंने शासकों, अत्याचारियों और समाज में व्याप्त रूढ़ियों का विरोध किया। उनके काव्य में देशभक्ति, परंपरागत धार्मिक मान्यताओं पर प्रश्न, और सामाजिक चेतना के स्वर प्रमुख थे। इसी कारण वे अपने समय के शासकों की नाराजगी का शिकार भी हुए।

राधानाथ राय को बामरा रियासत के तत्कालीन राजा सुधल देव ने ‘कबिबर’ की उपाधि से सम्मानित किया था। यह सम्मान उनकी साहित्यिक उपलब्धियों का प्रतीक था।

ADVERTISEMENT

–आईएएनएस

डीसीएच/एएस

देशबन्धु

Related Posts

ताज़ा समाचार

पिछले एक साल में भारत-चीन द्विपक्षीय सहयोग में हुई उल्लेखनीय प्रगति : किन योंग

September 27, 2025
ताज़ा समाचार

जुबीन गर्ग के मैनेजर ने उनके गीतों के स्वामित्व के बारे में दिया स्पष्टीकरण, वित्तीय मामलों से जुड़ी अफवाहों को किया खारिज

September 27, 2025
ताज़ा समाचार

जम्मू-कश्मीर : हायर सेकेंडरी पार्ट II उत्तीर्ण छात्रों को 29 सितंबर से कॉलेज में प्रवेश

September 27, 2025
गृह मंत्री अमित शाह ने पटना में भाजपा नेताओं के साथ की बैठक, चुनावी रणनीतियों पर की चर्चा
ताज़ा समाचार

गृह मंत्री अमित शाह ने पटना में भाजपा नेताओं के साथ की बैठक, चुनावी रणनीतियों पर की चर्चा

September 27, 2025
ताज़ा समाचार

आंध्र प्रदेश के राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने पवन कल्याण के जल्द स्वस्थ होने की कामना की

September 27, 2025
ताज़ा समाचार

मैं वास्तव में जुबीन गर्ग के बारे में ज्यादा नहीं जानती: जया प्रदा

September 27, 2025
Next Post

सूर्यकुमार यादव पर आईसीसी ने लगाया भारी जुर्माना, पहलगाम आतंकी हमले का किया था जिक्र

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

114153
Total views : 6016780
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In