मुंबई, 30 सितंबर (आईएएनएस)। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एफएंडओ (फ्यूचर एंड ऑप्शंस) के लिए सख्त नियमों का ऐलान किया है और यह नए नियम एक अक्टूबर से प्रभावी होंगे।
नए नियमों के तहत डेरिवेटिव ट्रेडिंग में पॉजिशन लिमिट को सख्त किया गया है। साथ ही, बैन में गए स्टॉक की पॉजिशन के लिए नियमों में संशोधन और मॉनिटरिंग को बढ़ाया गया है।
नए नियमों का उद्देश्य अत्यधिक सट्टेबाजी को कम करना और जोखिम को कैश मार्केट एक्टिविटी के साथ संरेखित करना है।
मार्केट रेगुलेटर ने कहा कि मार्केट-वाइड पॉजिशन लिमिट (एमडब्ल्यूपीएल) और बेट्स की अधिकतम सीमाएं कैश वॉल्यूम और शेयर के फ्री फ्लोट से लिंक्ड होंगी और इसे फ्री फ्लोट के 15 प्रतिशत या एक्सचेंजों में कैश वॉल्यूम के 65 गुना में से जो भी कम हो, के रूप में निर्धारित किया गया है।
सेबी ने कहा कि मार्केट वाइड पॉजिशन लिमिट (एमडब्ल्यूपीएल) को रोलिंग कैश वॉल्यूम डेटा के आधार पर तिमाही रूप से अपडेट किया जाएगा। सेबी को उम्मीद है कि एमडब्ल्यूपीएल को कैश मार्केट से लिंक करने से बाजार में सट्टेबाजी का जोखिम कम हो जाएगा।
सेबी ने कहा, “बैन में प्रवेश के बाद, दिन के अंत में फ्यूचर इक्विवेलेंट ओपन इंटरेस्ट में कमी आनी चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि पहले दिन के अंत में डेल्टा स्थिति (+10) या (-10) है, तो दूसरे दिन के अंत तक यह घटकर 0 रह सकती है।”
जब किसी शेयर के लिए मार्केट ओपन इंटरेस्ट उस शेयर के एमडब्ल्यूपीएल के 95 प्रतिशत से अधिक हो जाता है, तो ब्रोकर और ट्रेडर केवल ऑफसेटिंग पोजीशन के माध्यम से अपनी पोजीशन कम करने के लिए ही ट्रेड कर सकते हैं।
बाजार नियामक 3 नवंबर, 2025 से एकल शेयरों के लिए एमडब्ल्यूपीएल की इंट्राडे निगरानी भी शुरू करेगा। क्लियरिंग कॉर्पोरेशन इंट्राडे ट्रेडिंग सत्र के दौरान कम से कम चार बार निगरानी करेंगे। यदि उल्लंघन होता है, तो एक्सचेंज अतिरिक्त निगरानी मार्जिन लगाने सहित कार्रवाई करेंगे।
बाजार नियामक की ओर से बताया गया कि 6 दिसंबर, 2025 से ट्रेडिंग सुविधा और तरलता प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए प्री-ओपन सेशन को एफएंडओ तक बढ़ा दिया जाएगा, जैसा कि नकद बाजार में होता है।
–आईएएनएस
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