पटना, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)। बिहार के मधुबनी जिले में स्थित बिस्फी विधानसभा क्षेत्र मिथिला की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यह मधुबनी संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है और इसके अंतर्गत बिस्फी प्रखंड की 28 और रहिका प्रखंड की 12 ग्राम पंचायतें आती हैं। बिस्फी विधानसभा सीट चुनावों के हिसाब से भाजपा के लिए मायने रखती है, क्योंकि 2020 में यहां पहली बार जीती पार्टी के लिए यहां सीट बरकरार रखने की चुनौती होगी।
बिस्फी क्षेत्र मिथिला की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है और 14वीं शताब्दी के महान मैथिली कवि विद्यापति के पैतृक गांव के रूप में ऐतिहासिक महत्व रखता है, जिन्होंने मैथिली साहित्य को समृद्ध किया। इसके अलावा, बिस्फी क्षेत्र प्राचीन विद्वानों जैसे याज्ञवल्क्य और चंद्रेश्वर ठाकुर से जुड़ा हुआ है, जो इसे मैथिली बौद्धिक परंपरा का एक प्रमुख केंद्र बनाते हैं।
क्षेत्र में सौराठ स्थित मिथिला चित्रकला संस्थान, सौराठ सभागाछी, महाकवि विद्यापति की जन्मस्थली बिस्फी और कपिलेश्वर महादेव मंदिर जैसी सांस्कृतिक धरोहरें मौजूद हैं।
कपिलेश्वर महादेव मंदिर इस क्षेत्र की आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक है। भगवान शिव का भव्य मंदिर कपिल मुनि के नाम पर रखा गया है। कपिल मुनि ने ‘सांख्य दर्शन’ को विश्व को दिया था। एक जनश्रुति के अनुसार, राजा जनक प्रतिदिन इस मंदिर में जलाभिषेक करने आते थे, इसलिए इसे ‘मिथिला का बाबाधाम’ भी कहा जाता है।
भौगोलिक दृष्टि से बिस्फी बाढ़-प्रवण मिथिला क्षेत्र में स्थित है। यहां का समतल और उपजाऊ भूभाग कृषि के लिए अनुकूल है, जहां धान, गेहूं और मसूर मुख्य फसलें हैं। हालांकि, सीमित सिंचाई सुविधाओं के कारण यहां के किसान मानसूनी बारिश पर निर्भर हैं। क्षेत्र में सड़क, स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र जैसी बुनियादी सुविधाएं अविकसित हैं।
बिस्फी विधानसभा सीट 1967 में गठित हुई थी और तब से अब तक कुल 14 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इस क्षेत्र में सीपीआई ने पांच बार, कांग्रेस ने चार बार, आरजेडी और निर्दलीय उम्मीदवारों ने दो-दो बार जीत हासिल की है। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में पहली बार भाजपा ने यहां सफलता पाई, जब भाजपा उम्मीदवार हरिभूषण ठाकुर ने आरजेडी प्रत्याशी फैयाज अहमद को पराजित किया।
–आईएएनएस
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