नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष को पापांकुशा एकादशी शुक्रवार को है। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
विष्णु पुराण के अनुसार, विंध्याचल पर्वत पर क्रोधन नामक एक क्रूर और हिंसक बहेलिया रहता था। उसका जीवन हिंसा, लूटपाट, मद्यपान और बुरी संगति में बीतता था।
जब उसके पापों का घड़ा भर गया तब यमराज ने अपने दूत को उसे लेने के लिए भेजा। दूत ने उसे एक दिन का समय दिया था। मृत्यु की खबर सुनकर क्रोधन भयभीत हो गया। वह महर्षि अंगिरा की शरण में गया और उनसे अपनी जिंदगी का दुखड़ा सुनाते हुए उनसे पापमुक्ति का उपाय पूछा। महर्षि ने उसे आश्विन शुक्ल पक्ष की पापांकुशा एकादशी का व्रत विधि-विधान से करने की सलाह दी।
क्रोधन ने पूरे विधि-विधान से भगवान विष्णु का व्रत किया और उसे अपने सभी पापों से मुक्ति मिल गई।
क्रोधन ने महर्षि के निर्देशानुसार इस एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु की पूजा की। भगवान की कृपा से उसके सभी पाप नष्ट हो गए। मृत्यु के बाद जब यमदूत उसे यमलोक लेने आए, तो वे आश्चर्यचकित रह गए, क्योंकि पापांकुशा एकादशी के प्रभाव से क्रोधन के सारे पाप मिट चुके थे। यमदूत खाली हाथ लौटे, और क्रोधन को बैकुंठ लोक में स्थान मिला।
पापांकुशा एकादशी के दिन भक्तों को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करने के बाद पूजा स्थल को स्वच्छ कर एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाना चाहिए। भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और घी का दीपक जलाएं। उन्हें पीले फूल, ऋतुफल, पंचामृत, तुलसी पत्र और पीले वस्त्र अर्पित करें। ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें। इस दिन फलाहार या निर्जल व्रत रखें और रात में भगवान के भजन-कीर्तन करें। मन को शांत और पवित्र रखना अति आवश्यक है।
इस पावन दिन पर गाय, भूमि, जल, अन्न, सोना, तिल, छाता और जूते आदि का दान करना शुभ माना जाता है। दीन-दुखियों को भोजन कराने से पुण्य की प्राप्ति होती है। यदि व्रत न रख सकें, तो इस दिन चावल का सेवन न करें।
पापांकुशा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और जीवन के कष्टों से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। यह पर्व न केवल पापों से छुटकारा दिलाता है, बल्कि भक्तों को आध्यात्मिक शांति और समृद्धि भी प्रदान करता है।
–आईएएनएस
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