जम्मू, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)। नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता शेख बशीर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा और मौजूदा कार्यशैली को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जब आरएसएस की स्थापना हुई थी, तब इसका उद्देश्य देश की एकता, सुख-समृद्धि और विकास के लिए कार्य करना था, लेकिन आज यह संगठन नफरत फैलाने का जरिया बन चुका है।
उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की उस टिप्पणी से सहमति जताई, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘इस्लाम भारत में आया, भारत में है और भारत में रहेगा।’
बशीर ने कहा कि यह बयान समाज में सोच बदलने वाला है, क्योंकि अब तक नफरत ही ज्यादा देखने को मिली थी।
उन्होंने कहा कि भारत का संविधान सभी को अपने-अपने धर्म के अनुसार जीने की स्वतंत्रता देता है और हमें ‘जियो और जीने दो’ की नीति पर चलना चाहिए। बशीर ने आरएसएस के शताब्दी वर्ष पूरे होने पर संगठन और मोहन भागवत को भी बधाई दी। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को आने वाले सौ वर्षों के बारे में समझना होगा, ताकि भारत और मजबूत बन सके।
शेख बशीर ने देश की तरक्की पर बात करते हुए साफ कहा कि इसमें आरएसएस की कोई भूमिका नहीं है। भारत आज तकनीक के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है और इसका श्रेय पंडित जवाहरलाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री जैसे नेताओं को जाता है, न कि भारतीय जनता पार्टी या आरएसएस को।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि हाल ही में पहलगाम की घटना से पहले भी कई हमले हुए हैं और इन परिस्थितियों से निपटने में देश ने काफी चुनौतियों का सामना किया है।
शेख बशीर ने आगे कहा कि वे आरएसएस को आतंकवादी संगठन नहीं कहेंगे, लेकिन यह जरूर मानते हैं कि समाज में नफरत फैलाने में संगठन का अहम योगदान रहा है। अगर 2025 के दौर में आगे बढ़ना है, तो खुले दिल और आपसी सद्भाव के साथ जीना होगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के उस बयान पर भी शेख बशीर ने प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर पाकिस्तान ने हिमाकत की तो उसकी भौगोलिक स्थिति बदल दी जाएगी। बशीर ने कहा कि रक्षा मंत्री होने के नाते उन्हें इस तरह के बयान देने का अधिकार है, लेकिन व्यावहारिक तौर पर हम अपने पड़ोसी मुल्क को बदल नहीं सकते। यही बात पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी कही थी।
–आईएएनएस
एएसएच/एबीएम