नई दिल्ली, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। ब्राजील के योग गुरु और पद्मश्री से सम्मानित आचार्य जोनास मसेट्टी ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और वैदिक परंपराओं को युवाओं तक पहुंचाने के लिए एक अनूठा कदम उठाया है।
उन्होंने ‘साम्ब शिव महोत्सव’ की शुरुआत की है, जो भारत के प्रमुख विश्वविद्यालयों में आयोजित होने वाला एक अंतर-सांस्कृतिक कार्यक्रम है। इस पहल का उद्देश्य युवाओं को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ना और वेदांत के मूल्यों को उनके जीवन में समाहित करने के लिए प्रेरित करना है।
आचार्य जोनास का मानना है कि यह पुरस्कार उनके लिए केवल एक सम्मान नहीं, बल्कि भारत के प्रति उनकी जिम्मेदारी को और गहरा करने का अवसर है।
उन्होंने कहा, “पद्मश्री पुरस्कार मिलने के बाद मेरे और मेरे परिवार के दिल में यह भावना जागी कि हमें भारत के लिए कुछ करना चाहिए। हमने तय किया कि युवाओं को उनकी संस्कृति का महत्व समझाने के लिए साम्बा शिव महोत्सव एक सशक्त माध्यम हो सकता है।”
यह महोत्सव भारतीय संस्कृति, वेदांत और वैदिक परंपराओं को आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत करने का प्रयास करता है, ताकि युवा इसे अपने दैनिक जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित हों।
उन्होंने बताया कि वेदांत और वैदिक परंपराओं को समझने में सबसे बड़ी बाधा भाषा है। इसे दूर करने के लिए यह महोत्सव एक सेतु का काम करता है।
आचार्य जोनास ने कहा, “पश्चिम में हमारे पास लगभग दो लाख से अधिक लोग हैं, जो सामान्य जीवन जीते हुए वेदांत के ज्ञान और मूल्यों को अपनाते हैं। पुरुष, महिलाएं, युवा और बुजुर्ग, सभी इस परंपरा का हिस्सा हैं। यही संदेश हम भारत के युवाओं तक पहुंचाना चाहते हैं कि वेदांत केवल सिद्धांत नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक व्यावहारिक तरीका है।”
साम्बा शिव महोत्सव में सांस्कृतिक प्रदर्शन, व्याख्यान, कार्यशालाएं और संवाद सत्र शामिल हैं, जो भारतीय और पश्चिमी संस्कृतियों के बीच सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास करते हैं।
यह आयोजन न केवल भारत की प्राचीन परंपराओं को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि ये मूल्य आधुनिक जीवन में भी प्रासंगिक हैं।
आचार्य जोनास का यह प्रयास भारत और विश्व के बीच सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
–आईएएनएस
एकेएस/डीएससी