चंडीगढ़, 5 अक्टूबर (आईएएनएस)। पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने मोहाली के फेज-11 (सेक्टर-65) स्थित अत्याधुनिक फल एवं सब्जी मंडी को पुडा (पीयूडीए) को हस्तांतरित करने के पंजाब मंडी बोर्ड के हालिया निर्णय पर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने इस मामले को जनहित और निष्पक्षता से जुड़ा बताते हुए राज्यपाल से इस निर्णय की स्वतंत्र समीक्षा कराने की अपील की है।
जानकारी के अनुसार, पंजाब मंडी बोर्ड ने 25 सितंबर 2025 को मोहाली के फेज-11 में स्थित लगभग 12 एकड़ भूमि को कलेक्टर (सर्किल) दर पर पुडा को हस्तांतरित करने का संकल्प पारित किया था। इस प्रक्रिया से मंडी बोर्ड को लगभग 700 करोड़ रुपए की अनुमानित प्राप्ति हुई थी। निर्णय के अनुसार, जिन आवंटियों को पहले दुकानों का आवंटन किया गया था, उन्हें 6 प्रतिशत ब्याज सहित धनवापसी का प्रावधान किया गया है। हालांकि जुलाई 2025 में 15 दोमंजिला दुकानें आवंटित और हस्तांतरित की जा चुकी हैं, जिनमें व्यापारिक गतिविधियां भी शुरू हो चुकी हैं।
विपक्ष के नेता ने कहा कि यह निर्णय एक चालू सार्वजनिक बाजार को समाप्त करने जैसा है, जिससे छोटे व्यापारियों को अस्थिरता का सामना करना पड़ रहा है जिन्होंने सद्भावना से निवेश किया था। इससे न केवल मंडी के वास्तविक बाजार मूल्य का ह्रास होगा, बल्कि शहरी खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में भी व्यवधान उत्पन्न हो सकता है, जिससे उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों को नुकसान झेलना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि यह निर्णय किसानों की आय और पहुंच को प्रभावित करेगा, क्योंकि शहरी मंडियां केवल संपत्ति नहीं बल्कि उत्पादन और उपभोग के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी होती हैं। मंडी बंद होने से किसानों को लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी और उन्हें कमजोर कीमतों पर अपनी उपज बेचनी पड़ सकती है। वहीं, उपभोक्ताओं के लिए खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि और गुणवत्ता में गिरावट की संभावना बढ़ जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि नीलामी-खरीदारों की वैध अपेक्षाओं की अनदेखी की जा रही है। जिन्होंने जुलाई 2025 में दुकानों का आवंटन प्राप्त कर व्यापार शुरू किया, वे अब इस निर्णय से प्रभावित होंगे। केवल 6 प्रतिशत ब्याज सहित धनवापसी से उनके निवेश, अवसरों और आजीविका की भरपाई नहीं हो सकती। इससे सरकारी प्रक्रियाओं में जनता का विश्वास कमजोर होगा।
विपक्ष के नेता ने कलेक्टर दर पर हस्तांतरण की प्रक्रिया को भी सवालों के घेरे में रखा। उनके अनुसार, यह निष्पक्ष बाजार मूल्य निर्धारण का विकल्प नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि यदि भूमि का पुनः उपयोग किया जाना है, तो यह प्रक्रिया पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी होनी चाहिए, जिससे पंजाब के लोगों को अधिकतम लाभ मिल सके।
उन्होंने आरोप लगाया कि इस निर्णय से पहले हितधारकों से कोई परामर्श नहीं लिया गया, न ही कोई स्वतंत्र मूल्यांकन कराया गया और न ही यह स्पष्ट किया गया कि वैकल्पिक मंडी के निर्माण तक मौजूदा मंडी का संचालन कैसे जारी रहेगा।
उन्होंने यह सवाल उठाए कि मौजूदा चालू मंडी को बंद करने से कौन सी सार्वजनिक समस्या का समाधान होगा, वास्तविक बाजार दरों और कलेक्टर दर की तुलना का स्वतंत्र मूल्यांकन कहां है और पहले से व्यापार शुरू कर चुके आवंटियों को किस प्रकार मुआवजा दिया जाएगा।
विपक्ष के नेता ने कहा कि पंजाब को कम नहीं, बल्कि अधिक और आधुनिक कृषि मंडियों की आवश्यकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि फेज-11 मंडी में कोई परिचालन संबंधी दिक्कतें हैं, तो उन्हें पेशेवर संचालन, ई-गेट, कोल्ड-चेन, स्वच्छता और ट्रैफिक प्रबंधन जैसी व्यवस्थाओं से सुधारा जा सकता है।
उन्होंने राज्यपाल से आग्रह किया कि पंजाब मंडी बोर्ड के 25 सितंबर 2025 के निर्णय पर तत्काल रिपोर्ट मंगवाई जाए और इसकी स्वतंत्र समीक्षा कराई जाए। साथ ही, उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि जब तक कोई वैकल्पिक मंडी पूरी तरह संचालित नहीं हो जाती, तब तक फेज-11 मंडी में यथास्थिति बनाए रखी जाए और किसी भी आवंटी को जबरन धनवापसी या रद्दीकरण के लिए विवश न किया जाए। उन्होंने अंत में सुझाव दिया कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एक स्वतंत्र समिति का गठन किया जाए।
–आईएएनएस
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