जबलपुर. मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी (जेनको) ने बिजली उत्पादन बढ़ाने के लिए अपनी रणनीति बदल दी है. पहले जहां कंपनी 1320 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाली नई इकाइयों के लिए पार्टनरशिप मॉडल पर काम करने जा रही थी, वहीं अब बैंक लोन से प्रोजेक्ट शुरू करने का फैसला लिया गया है.
23 हजार करोड़ की लागत से बनेगा पावर प्रोजेक्ट
जेनको बोर्ड ने अमरकंटक और सारणी थर्मल पावर स्टेशन में 660-660 मेगावाट की दो इकाइयां स्थापित करने को मंजूरी दी है. दोनों प्रोजेक्ट पर करीब 23 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. निर्माण कार्य के लिए भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) को जिम्मेदारी दी गई है और अगले एक माह में काम शुरू हो जाएगा.
अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल तकनीक से होगा उत्पादन
नई इकाइयों में अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल (USC) तकनीक का इस्तेमाल होगा, जिससे उच्च तापमान पर कम कोयले में ज्यादा बिजली उत्पादन किया जा सकेगा. यह तकनीक पर्यावरण के अनुकूल भी होगी. पांच साल की समयसीमा के साथ मार्च 2030 तक ये इकाइयां बिजली उत्पादन शुरू कर देंगी.
लागत का बंटवारा
* अमरकंटक यूनिट (660 मेगावाट): 11,476.31 करोड़ रुपये
* सारणी यूनिट (660 मेगावाट): 11,678.74 करोड़ रुपये
इस कुल लागत में से 20% राशि राज्य सरकार वहन करेगी. अमरकंटक इकाई के लिए 365 करोड़ और सारणी इकाई के लिए 431 करोड़ रुपये सरकार देगी. बाकी 80% राशि बैंक लोन के माध्यम से जुटाई जाएगी.
वर्तमान बिजली उत्पादन और नई क्षमता
* सारणी (सतपुड़ा थर्मल पावर स्टेशन) : 1330 मेगावाट
* अमरकंटक थर्मल पावर स्टेशन : 210 मेगावाट
* जेनको के थर्मल पावर स्टेशनों की मौजूदा क्षमता : 5420 मेगावाट
* हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट क्षमता : 1500 मेगावाट
नई इकाइयों के शुरू होने के बाद जेनको की थर्मल पावर उत्पादन क्षमता में 1320 मेगावाट का इजाफा होगा.
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जेनको प्रबंधन का दावा
जेनको के कमर्शियल डायरेक्टर मिलिंद भंडाकर के अनुसार, “एक महीने के भीतर निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा. दस्तावेजी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं. नई इकाइयों से मध्यप्रदेश की बिजली जरूरतें बड़ी सहजता से पूरी होंगी.”