इंदौर. स्वच्छता में लगातार नई मिसालें कायम करने वाला इंदौर अब देश का पहला भिक्षुक मुक्त शहर बना चुका है. इस उपलब्धि को बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन ने अभियान को और सख्त बना दिया है. शहर में किसी भी भिक्षुक की सही सूचना देने वाले नागरिक को अब 1000 रुपये का इनाम दिया जाएगा.
कलेक्टर शिवम वर्मा की अध्यक्षता में हुई विशेष बैठक में भिक्षावृत्ति उन्मूलन के लिए नई रणनीति तैयार की गई. कलेक्टर ने कहा कि इंदौर की स्वच्छता केवल सफाई तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक स्वच्छता भी हमारी प्राथमिकता है. उन्होंने इसे आत्मनिर्भर समाज की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया.
प्रमुख स्थलों पर निगरानी और जन-सहभागिता – अभियान के तहत बड़ा गणपति मंदिर, रेलवे स्टेशन, सत्य साईं चौराहा समेत शहर के अन्य प्रमुख स्थानों पर विशेष निगरानी रखी जाएगी. प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि अगर कहीं कोई व्यक्ति भिक्षा मांगता नजर आए, तो उसकी सटीक सूचना हेल्पलाइन नंबर पर दें. सूचना के सत्यापन के बाद सूचनाकर्ता को पुरस्कृत किया जाएगा.
भिक्षुकों के पुनर्वास के लिए रेस्क्यू टीम सक्रिय – प्रशासन ने केवल रोकथाम पर ही नहीं, बल्कि पुनर्वास पर भी जोर दिया है. इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग, नगर निगम, होमगार्ड, श्रम विभाग, राजकीय बाल संरक्षण आश्रम और विशेष पुलिस किशोर इकाई के अधिकारियों की एक रेस्क्यू टीम बनाई गई है, जो शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में सक्रिय रहेगी.
आजीविका और सुधार के अवसर – कलेक्टर ने निर्देश दिए कि भिक्षावृत्ति में शामिल लोगों की काउंसलिंग कर उन्हें आजीविका से जोड़ा जाए. इसके साथ ही जो लोग नशा करते हैं या अपराध में लिप्त पाए जाते हैं, उन्हें सुधार गृह भेजा जाएगा, ताकि वे समाज की मुख्यधारा से दोबारा जुड़ सकें.
जन-जागरूकता और सहभागिता पर जोर – अभियान की सफलता के लिए जन-जागरूकता को अभियान का मुख्य हिस्सा बनाया गया है. “बच्चों को भीख नहीं, सीख दीजिए” और “आओ मिलकर भिक्षावृत्ति मुक्त इंदौर बनाएं” जैसे संदेश शहर भर में लगाए जाएंगे. इसके अलावा नुक्कड़ नाटकों और सामाजिक संस्थाओं की मदद से भी लोगों को संवेदनशील बनाया जाएगा.
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अब तक 800 भिक्षुकों का पुनर्वास पूरा – बैठक में बताया गया कि पिछले अभियान में 4500 लोगों को रेस्क्यू किया गया था, जिनमें से 800 लोगों का सफल पुनर्वास हो चुका है. इनमें 115 बच्चे और किशोर शामिल हैं. साथ ही भीख मांगने वाले 172 बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़कर विभिन्न स्कूलों में प्रवेश दिलाया गया है.