अनूपपुर, देशबन्धु. अनूपपुर जनपद की ग्राम पंचायत कदमटोला में निर्माणाधीन आरसीसी पुलिया (बैगा मोहल्ला पहुंच मार्ग) का कार्य सवालों के घेरे में आ गया है. लगभग 9 लाख रुपए की लागत से पांचवें वित्त मद से बनाए गए इस पुलिया में गंभीर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं.
ग्रामीणों का कहना है कि निर्माण कार्य में गुणवत्ता मानकों की घोर अनदेखी, सरपंच-सचिव-इंजीनियर की मिलीभगत और मनमाने ढंग से भुगतान जैसी कई खामियां सामने आई हैं.सूत्रों के अनुसार पुलिया निर्माण के दौरान सेंटिंग प्लेट्स केवल दिखावे के लिए लगाई गईं, जबकि ढलाई का मुख्य भाग बांस की कमटी के सहारे किया गया. कई स्थानों पर लोहे के छड़ों के बीच फासला निर्धारित मापदंड से अधिक रखा गया, जबकि कुछ हिस्सों में छड़ें दिखाई ही नहीं दे रही हैं. ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि रेत और सीमेंट की पर्याप्त मात्रा का उपयोग नहीं किया गया, जिससे पुलिया में अब दरारें पड़ना शुरू हो गई हैं.
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि यह पूरा कार्य सरपंच, सचिव और तकनीकी अमले की मिलीभगत से कराया गया है. पंचायत स्तर पर निर्माण कार्यों में एजेंसी ग्राम पंचायत ही होती है, जिसके तहत सभी भुगतान, निरीक्षण और अनुमोदन इन्हीं अधिकारियों द्वारा किया जाता है. इसके बावजूद निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार की मुख्य वजह है कि निरीक्षण और निगरानी के नाम पर केवल औपचारिकता निभाई जाती है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि निर्माण कार्यों की निगरानी का जिम्मा उपयंत्री स्तर के अधिकारियों का होता है, लेकिन वे सप्ताह में मुश्किल से एक या दो दिन ही फील्ड में जाते हैं, जिससे ग्राम स्तर पर हो रहे भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लग पा रही है. निर्माण स्थल पर सूचना बोर्ड का न लगना भी नियमों का उल्लंघन माना जा रहा है. शासन के निर्देशों के अनुसार, प्रत्येक निर्माण कार्य स्थल पर स्वीकृति वर्ष, स्वीकृत राशि, योजना का नाम, और निर्माण अवधि जैसी जानकारी प्रदर्शित करना अनिवार्य है. बोर्ड न लगाए जाने से कार्य की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न लग गया है.
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ग्रामीणों का कहना है कि यह जानबूझकर जानकारी छुपाने की कोशिश है, ताकि आम जनता निर्माण कार्य की वास्तविक स्थिति से अनजान रहे. जानकारी सामने आई है कि इस पुलिया निर्माण के लिए एस.आर. ट्रेडर्स, कोतमा नामक फर्म को लगभग 7 लाख रुपए का भुगतान किया गया है, जबकि जीएसटी पोर्टल पर उक्त फर्म का पंजीयन वर्ष 2023 में ही स्वतः रद्द हो चुका है. ऐसे में सवाल उठता है कि रद्द जीएसटी वाली फर्म को भुगतान कैसे किया गया और क्या इस संबंध में पंचायत एवं जनपद अधिकारियों ने कोई सत्यापन नहीं किया?
जनपद पंचायत क्षेत्र की अन्य कई ग्राम पंचायतों में भी इसी तरह के भुगतान किए गए हैं. यह गंभीर लापरवाही है, जिसके लिए सेल टैक्स विभाग द्वारा संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया जाना आवश्यक है. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि पूरे मामले की स्वतंत्र जांच कराई जाए, ताकि दोषी अधिकारियों एवं पंचायत प्रतिनिधियों पर कड़ी कार्रवाई की जा सके. उनका कहना है कि शासन की लाखों की राशि का दुरुपयोग कर गुणवत्ताविहीन कार्यों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार की गहराई को उजागर करता है.