कोच्चि, 30 मार्च (आईएएनएस)। हाईकोर्ट द्वारा हाथियों के निवास वाले इलाके में आदिवासियों को बसाने पर रोक लगाने पर पहाड़ी जिले इडुक्की के 10 गांवों के लोग गुरुवार को सड़क पर उतर आए और कोच्चि-धनुषकोडी राजमार्ग पर जाम लगा दिया।
प्रदर्शनकारी केरल उच्च न्यायालय के बुधवार के फैसले से नाखुश हैं। वे इलाके में घूम रहे जंगली हाथी अरीकोम्बन व दो अन्य हाथियों के उत्पात से परेशान हैं। केरल उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि अगर यह पाया गया कि इडुक्की जिले का वह क्षेत्र जहां अरीकोम्बन सहित ये जंगली हाथी घूम रहे हैं, वहां आदिवासियों को बसाने से पहले हाथियों का निवास स्थान था, तो उस पर राज्य को सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी।
प्रदर्शनकारियों के अनुसार खंडपीठ ने उनकी मदद करने के बजाय, 2000 में क्षेत्र में आदिवासी लोगों के पुनर्वास पर रिकॉर्ड और रिपोर्ट मांगी। अदालत ने कहा कि लोगों को हाथियों के आवास में बसाना ही समस्या की जड़ है।
अदालत ने कहा, हम इसकी जांच करेंगे। यदि यह हाथियों का निवास स्थान था, इस तथ्य से अवगत होने के बावजूद लोगों को वहां बसाया गया, तो हम जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई करेंगे।
पीठ ने कहा, इतिहास में हुई त्रुटियों को बाद में ठीक किया जा सकता है। हमें यह पता लगाने की जरूरत है कि क्या गलती हुई और यदि हां, तो इसे सुधारें।
अरिकोम्बन हाथी की विशेषता यह है कि यह चावल के लिए राशन की दुकानों और घरों पर हमला करता है।
अदालत ने कहा कि वह पांच सदस्यीय समिति का गठन करेगी जो यह तय करेगी कि जंगली हाथी को पकड़ना है और उसे पालतू बनाना है या उसे जंगल के आंतरिक क्षेत्रों में स्थानांतरित करना है।
अदालत ने कहा कि जब तक सामिति का कोई फैसला नहीं आ जाता, तब तक हाथी को पकड़कर कैद में नहीं रखा जा सकता। लेकिन इसकी गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए रेडियो-कॉलर की मदद ली जा सकती है।
गुस्साए प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने कहा, हम अपने विरोध को रोकने नहीं जा रहे हैं और हम ऐसा तभी करेंगे जब कुछ ठोस चीजें सामने आएंगी, क्योंकि हम लगातार डर में जी रहे हैं। जीवन खो रहे हैं और संपत्ति नष्ट हो रही है।
इस बीच, राज्य के वन मंत्री ए.के. सशींद्रन ने कहा कि लोगों को विरोध का अधिकार है।
मंत्री ने कहा, राज्य सभी कानूनी उपायों की खोज में आगे बढ़ेगा और कानूनी सहारा लेगा।
–आईएएनएस
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