रामनगर (कर्नाटक), 16 दिसम्बर (आईएएनएस)। कर्नाटक पुलिस ने रामनगर जिले के मगादी स्थित कंचुगल बंदे मठ के बसावलिंग श्री स्वामीजी की आत्महत्या के मामले में एक स्थानीय अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
रामनगर के एसपी संतोष बाबू ने शुक्रवार को बताया कि पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ 216 पेज की चार्जशीट दाखिल की है। चार्जशीट के मुताबिक इस मामले में चार लोग शामिल थे, जबकि तीन को गिरफ्तार कर लिया गया है।
वीडियो एडिट करने वाले चौथे आरोपी बीसी सुरेश को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। अधिकारी ने कहा कि पुलिस ने मामले के संबंध में 72 गवाहों पर विचार किया है। जांच में पता चला है कि मृतक स्वामीजी ने दो डेथ नोट लिखे थे, एक मठ के लिए और दूसरा पुलिस के लिए। इसी साल फरवरी में स्वामीजी के खिलाफ साजिश रची गई थी। वीडियो कॉल अप्रैल के महीने में रिकॉर्ड किए गए थे। एसपी संतोष बाबू ने कहा कि उत्पीड़न के बाद 24 अक्टूबर को स्वामीजी ने आत्महत्या कर ली थी।
सूत्रों के मुताबिक चार्जशीट में प्रमुख रूप से एक युवती और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही श्रद्धालु नीलांबिके की भूमिका का जिक्र किया गया है। आरोपी महिला ने मृतक स्वामीजी के लिए गहरी रंजिश रखी। पुलिस ने कहा कि एक अन्य संत सहित अन्य आरोपी व्यक्तियों की मिलीभगत से उसने हनी ट्रैप को अंजाम दिया। चार्जशीट में कहा गया है कि प्रतिशोध और लालच हनी ट्रैप और मृतक संत को प्रताड़ित करने के कारण थे, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने आत्महत्या की।
इस मामले में पुलिस ने कन्नूरू मठ के मृत्युंजय स्वामीजी, डोड्डाबल्लापुर की नीलम्बिके उर्फ चंदा और तुमकुरु के एक वकील महादेवैया को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था और पुलिस को बताया था कि वह मृतक संत से नफरत करते थे और उसे गद्दी से उतारना चाहते थे।
अभियुक्त मृत्युंजय स्वामीजी की नजर धनाढ्य कंचुगल बड़े मठ के सिंहासन पर थी। मठ में भक्तों की एक बड़ी संख्या थी, जिसके पास बेंगलुरु के पास 80 एकड़ से अधिक भूमि थी, आरक्षित निधि थी और कई शिक्षा संस्थान थे। आरोपी संत, मृतक संत के चचेरे भाई ने अपने मठ को चलाने के लिए धन के लिए यह किया। वह धन के लिए तुमकुरु के सिद्धगंगा मठ पर निर्भर था। लेकिन, सिद्धगंगा मठ ने आरोपी स्वामीजी से खुद को दूर कर लिया था।
पुलिस जांच में कहा गया है कि आरोपी ने सिद्धगंगा मठ के पुजारी के खिलाफ शिकायत करने के लिए मृतक साधु से गहरी रंजिश रखी। उसने मृतक को समझाने के लिए एक अन्य आरोपी नीलांबिके का इस्तेमाल किया। लिंगायत मठों के स्वामीजी के साथ नीलमबाइक के अच्छे संबंध थे। वह मृतक द्रष्टा के भी करीब थी। वह उस पर क्रोधित थी क्योंकि उसने अन्य स्वामीजी के बारे में बुरा बोलने के बारे में उसकी बातचीत को रिकॉर्ड किया था और ऑडियो क्लिप भेजी थी।
नीलम्बिके ने मृत साधु को फंसाया और ऑडियो और वीडियो क्लिप हासिल कर आरोपी साधु को सौंप दिया। अधिवक्ता महादेवैया ने उन्हें संपादित करवाया, और फिर ब्लैकमेल किया गया। आरोपी व्यक्तियों ने सोचा था कि बसवलिंग पद छोड़ देंगे। लेकिन, साधु ने 24 अक्टूबर को मठ के परिसर में आत्महत्या कर ली।
–आईएएनएस
केसी/एएनएम