जयपुर, 6 अप्रैल (आईएएनएस)। राजस्थान सरकार द्वारा प्रशासन की अनुमति के बिना जिले में सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक झंडे फहराने/फहराने पर दो महीने के लिए प्रतिबंध लगाने के बाद उदयपुर में धारा 144 लागू कर दी गई है।
सरकारी भवनों, पार्को या चौराहों पर कहीं भी कोई झंडा नजर आने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। जिलाधिकारी एवं कलेक्टर ताराचंद मीणा ने आदेश जारी कर निषेधाज्ञा लागू कर दी है।
जिला कलक्टर के इस आदेश को 23 मार्च को गांधी मैदान में बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की धर्मसभा के बाद कुंभलगढ़ किले पर भगवा ध्वज लगाने पर पांच युवकों की हुई गिरफ्तारी से जोड़ा जा रहा है।
कुंभलगढ़ किले पर एक खास रंग के झंडे को भगवा झंडे से बदलने के बयान को लेकर पुलिस ने उसके खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने समेत कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया था। बयान के बाद भगवा झंडा लेकर कुंभलगढ़ किले पहुंचे पांच युवकों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
हालांकि उन्हें रिहा कर दिया गया है, लेकिन शास्त्री के खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद से हिंदू संगठन लगातार विरोध कर रहे हैं। ऐसे में उदयपुर कलेक्टर ने धारा 144 लागू कर दी है।
हालांकि मीणा का कहना है कि इसका शास्त्री के बयान से कोई लेना-देना नहीं है। वे शास्त्री की सभा से पहले ही निषेधाज्ञा लागू करने वाले थे, जिसे अब लागू कर दिया गया है।
कलेक्टर मीणा ने दो माह के लिए निषेधाज्ञा लागू की। आदेश में कहा गया है कि व्यक्तियों और उनके समूहों द्वारा धार्मिक आयोजनों के दौरान सरकारी भवनों, सरकारी उपक्रमों, बोर्ड-निगम भवनों, भवन, पार्क, चौराहों पर बने घेरे, बिजली-टेलीफोन के खंभे जैसी सार्वजनिक संपत्तियों पर धार्मिक प्रतीकों वाले झंडे फहराकर कानून व्यवस्था को प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में कानून व्यवस्था और सामाजिक समरसता के भंग होने की आशंका रहती है। इस मामले में दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 144 के तहत जिले के समस्त शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में बिना सक्षम स्वीकृति के धार्मिक चिन्हों वाले झंडों को लगाने पर रोक लगाने की निषेधाज्ञा लागू की गई है।
इस बीच, उदयपुर की सांसद (भाजपा) दीया कुमारी ने इस आदेश को कानून व्यवस्था के नाम पर आम लोगों के धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का हनन करने का प्रयास करार दिया है।
दीया ने कहा, धार्मिक ध्वज के खिलाफ उदयपुर प्रशासन का यह आदेश राजस्थान में कांग्रेस सरकार की तुष्टीकरण की नीति का ताजा उदाहरण है। यह कानून व्यवस्था के नाम पर आम लोगों के धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का हनन करने का प्रयास है।
इसके अलावा, स्थानीय लोगों ने कहा, यह उत्सव का समय है जब लोग राम नवमी और हनुमान जयंती पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं। यह त्योहार मनाने के उनके अधिकार का हनन है।
शास्त्री के बयानों का संज्ञान लेते हुए और उन्हें भड़काऊ मानते हुए उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। उन्होंने सभा को हरे झंडे को भगवा झंडे से बदलने के लिए कहा था।
–आईएएनएस
एसजीके