नई दिल्ली, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। पेरेंट्स को महंगे दाम पर किताबें और ड्रेस खरीदने के लिए बाध्य करने वाले प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ शिक्षा निदेशालय सख्त कार्रवाई करेगा। दिल्ली में शिक्षा विभाग को निर्देश देते हुए कहा गया है कि जो प्राइवेट स्कूल किताबें व स्कूल ड्रेस के नाम पर पेरेंट्स से मोटा पैसा कमा रहे हैं, पेरेंट्स को किसी खास वेंडर या दुकान से महंगी किताबें और स्कूल ड्रेस खरीदने के लिए बाध्य कर रहे हैं, उनके खिलाफ तुरंत एक्शन लिया जाए।
दिल्ली के शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षा निदेशालय को निर्देश दिए हैं कि कोई भी प्राइवेट स्कूल जो शिक्षा निदेशालय द्वारा किताबें व स्कूल ड्रेस को लेकर जारी गाइडलाइन्स की अवहेलना कर रहा है, उसे बख्शा न जाए। शिक्षा मंत्री ने अपने निर्देश में कहा है कि या तो प्राइवेट स्कूल पेरेंट्स को विशिष्ट विक्रेताओं से किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए मजबूर करना बंद करें या फिर कड़ी कार्यवाही का सामना करने को तैयार रहे। साथ ही शिक्षा मंत्री ने शिक्षा विभाग को निदेशरें का पालन नहीं करने वाले स्कूलों के खिलाफ जांच करने और गाइडलाइन्स के उल्लंघन के मामले में कार्रवाई शुरू करने का निर्देश भी दिए हैं।
बता दे कि पिछले कुछ दिनों से शिक्षा मंत्रालय को लगातार शिकायतें मिल रही थी कि प्राइवेट स्कूलों द्वारा पेरेंट्स को खास दुकानों या वेंडरों से महंगी किताबें और स्कूल ड्रेस खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है। प्राइवेट स्कूल इस बाबत पिछले साल जारी शिक्षा विभाग के गाइडलाइन्स का पालन नहीं कर रहे हैं। पिछले दिनों इस मुद्दे को लेकर कुछ पेरेंट्स ने भी शिक्षा मंत्री से मिलाकर उन्हें अपनी समस्या से अवगत करवाया है।
इसका संज्ञान लेते हुए शिक्षा मंत्री आतिशी ने शिक्षा निदेशालय को एक आदेश किया है। इस आदेश में कहा गया है कि जो भी स्कूल किसी विशिष्ट विक्रेता से ऊंची कीमतों पर स्कूल ड्रेस व किताबें खरीदने को बाध्य कर रहा है, उन्हें चिन्हित कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
शिक्षा मंत्री ने निर्देशों का पालन नहीं करने वाले स्कूलों के खिलाफ जांच करने और गाइडलाइन्स के उल्लंघन के मामले में कार्रवाई शुरू करने का निर्देश भी दिए हैं।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि हर पेरेंट्स को नए सेशन से पहले आने वाले सत्र के लिए किताबों व ड्रेस के बारे में उचित जानकारी प्राप्त करने का पूरा अधिकार है ताकि वो अपने सुविधा के अनुसार इसकी व्यवस्था कर सके न कि स्कूल उन्हें ये चीजें खुद से या अपनी पसंदीदा दुकानों से खरीदने के लिए मजबूर करें।
शिक्षा निदेशालय के गाइडलाइन्स के तहत निजी स्कूलों को नए सत्र में प्रयोग में आने वाले किताबों व अन्य स्टडी मटेरियल की कक्षावार सूची नियमानुसार स्कूल की वेबसाइट और विशिष्ट स्थानों पर पहले से ही प्रदर्शित करनी होती है ताकि अभिभावकों को इसके बारे में जागरूक किया जा सके। इसके अलावा स्कूल को अपनी वेबसाइट पर स्कूल के नजदीक के कम से कम 5 दुकानों का पता और टेलीफोन नंबर भी प्रदर्शित करना होता है, जहां से पेरेंट्स किताबें और स्कूल ड्रेस खरीद सकें। साथ ही शिक्षा निदेशालय की इस गाइडलाइन्स में ये भी स्पष्ट किया गया है कि कोई भी प्राइवेट स्कूल कम से कम 3 साल तक स्कूल ड्रेस के रंग, डिजाइन व अन्य स्पेसिफिकेशन को नहीं बदल सकता है।
–आईएएनएस
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