deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home ताज़ा समाचार

समान नागरिक संहिता का विरोध करने वाले हैं अंबेडकर विरोधी : भाजपा

by
December 18, 2022
in ताज़ा समाचार
0
समान नागरिक संहिता का विरोध करने वाले हैं अंबेडकर विरोधी : भाजपा
0
SHARES
1
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। देश की एकता और अखंडता के लिए समान नागरिक संहिता को अनिवार्य बताते हुए भाजपा ने इसका विरोध करने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं को भारतीय संविधान निमार्ताओं और बाबा साहेब अंबेडकर की ²ष्टि का विरोध करने वाला करार दे दिया है।

भाजपा के तेवर से यह साफ-साफ नजर आ रहा है कि इसे लेकर आने वाले दिनों में पार्टी और केंद्र सरकार कोई बड़ा कदम उठा सकती है। यह भी कहा जा रहा है कि 2024 के लोक सभा चुनाव में समान नागरिक संहिता एक बड़ा चुनावी मुद्दा भी बनने जा रहा है।

READ ALSO

महाराष्ट्र में 77 सामाजिक आंदोलनकारियों पर दर्ज मामले वापस लेने की सिफारिश

नशा मुक्त भारत अभियान के तहत दिल्ली पुलिस की कार्रवाई, भारी मात्रा में मादक पदार्थ नष्ट

आईएएनएस के साथ खास बातचीत करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विचारक एवं भाजपा राज्य सभा सांसद राकेश सिन्हा ने कहा कि भारतीय संविधान के निर्माण के समय पर संविधान सभा में भी समान नागरिक संहिता पर बहस हुई थी और संविधान निमार्ताओं ने ही इसे राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों में जोड़ा था।

राकेश सिन्हा ने समान नागरिक संहिता का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं को अंबेडकर विरोधी करार देते हुए कहा कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वो भारतीय संविधान के निर्माताओं और बाबा साहेब अंबेडकर की ²ष्टि का विरोध कर रहे हैं, जिस ²ष्टि में देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक कानून की आवश्यकता महसूस की गई थी।

विरोधी दलों पर निशाना साधते हुए सिन्हा ने आईएएनएस से कहा कि विपक्ष को यह बताना चाहिए कि यूरोप की जिन उदारवादी लोकतंत्र (देशों) की वो बात करते हैं, उस यूरोप का ऐसा कौन सा देश है जहां समान नागरिक संहिता कानून लागू नहीं है? उन्होंने विपक्ष को ऐसे किसी देश का नाम बताने की चुनौती भी दी।

आईएएनएस से बात करते हुए भाजपा सांसद ने कहा कि भारत की एकता और अखंडता के लिए एवं खासकर महिलाओं के सम्मान और अधिकार के लिए समान नागरिक कानून आवश्यक ही नहीं बल्कि अनिवार्य है और पहले ही इसे लेकर बहुत विलंब हो चुका है।

दरअसल, देश में समान नागरिक संहिता लागू करना शुरूआत से ही जनसंघ और भाजपा का कोर एजेंडा रहा है। भाजपा अपने चुनावी घोषणापत्र में भी इसे लागू करने का वादा करती रही है।

हाल ही में हुए गुजरात विधान सभा चुनाव के लिए जारी संकल्प पत्र में भी भाजपा ने यह वादा किया था कि राज्य में सरकार बनाने के बाद भाजपा समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड कमेटी की सिफारिशों के पूर्ण क्रियान्वयन को सुनिश्चित करेगी। उत्तराखंड की भाजपा सरकार यूसीसी को लेकर पहले ही एक समिति का गठन कर चुकी है।

संसद के वर्तमान में चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान हाल ही में भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं राज्य सभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने विपक्षी दलों के भारी विरोध और हंगामे के बीच राज्य सभा में प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में भारत में समान नागरिक संहिता विधेयक-2020 को पेश कर भाजपा के इरादे को जाहिर कर दिया है।

यह माना जा रहा है कि भाजपा ने एक रणनीति के तहत उच्च सदन में प्राइवेट मेंबर बिल के तौर समान नागरिक संहिता से जुड़े विधेयक को पेश करवाया है।

आईएएनएस के साथ खास बातचीत करते हुए किरोड़ी लाल मीणा ने स्वयं ही यह दावा किया कि उन्होंने अपनी पार्टी (भाजपा) की सहमति से ही राज्य सभा में इस बिल को पेश किया है।

उन्होंने यह भी कहा कि इस विधेयक को प्राइवेट मेंबर बिल में रूप में पेश करने को एक लिटमस टेस्ट कहा जा सकता है और इस पर चर्चा के दौरान सरकार अपने स्तर पर इस बिल को लाने का वादा कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में भी यह बहुमत से संसद से पास तो हो जाएगा लेकिन उन्हें लगता है कि यह बिल लाना पड़ेगा (सरकार भविष्य में इससे जुड़े बिल को अपने स्तर पर पेश करेगी) और दोनों सदनों में चर्चा के बाद यह पास होगा।

दरअसल, शुरूआत से ही भाजपा के एजेंडे में तीन महत्वपूर्ण कोर इश्यू- जम्मू कश्मीर से धारा 370 को खत्म करना, अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण करना और देश में समान नागरिक संहिता कानून लागू करना शामिल रहा है।

भाजपा के इन तीनों कोर एजेंडे में से अब सिर्फ एक समान नागरिक संहिता को लागू करना शेष रह गया है और इसलिए यह कहा जा रहा है कि भाजपा सरकार जल्द ही इस वादे को भी राष्ट्रीय स्तर पर पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ा सकती है।

–आईएएनएस

एसटीपी/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। देश की एकता और अखंडता के लिए समान नागरिक संहिता को अनिवार्य बताते हुए भाजपा ने इसका विरोध करने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं को भारतीय संविधान निमार्ताओं और बाबा साहेब अंबेडकर की ²ष्टि का विरोध करने वाला करार दे दिया है।

भाजपा के तेवर से यह साफ-साफ नजर आ रहा है कि इसे लेकर आने वाले दिनों में पार्टी और केंद्र सरकार कोई बड़ा कदम उठा सकती है। यह भी कहा जा रहा है कि 2024 के लोक सभा चुनाव में समान नागरिक संहिता एक बड़ा चुनावी मुद्दा भी बनने जा रहा है।

आईएएनएस के साथ खास बातचीत करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विचारक एवं भाजपा राज्य सभा सांसद राकेश सिन्हा ने कहा कि भारतीय संविधान के निर्माण के समय पर संविधान सभा में भी समान नागरिक संहिता पर बहस हुई थी और संविधान निमार्ताओं ने ही इसे राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों में जोड़ा था।

राकेश सिन्हा ने समान नागरिक संहिता का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं को अंबेडकर विरोधी करार देते हुए कहा कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वो भारतीय संविधान के निर्माताओं और बाबा साहेब अंबेडकर की ²ष्टि का विरोध कर रहे हैं, जिस ²ष्टि में देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक कानून की आवश्यकता महसूस की गई थी।

विरोधी दलों पर निशाना साधते हुए सिन्हा ने आईएएनएस से कहा कि विपक्ष को यह बताना चाहिए कि यूरोप की जिन उदारवादी लोकतंत्र (देशों) की वो बात करते हैं, उस यूरोप का ऐसा कौन सा देश है जहां समान नागरिक संहिता कानून लागू नहीं है? उन्होंने विपक्ष को ऐसे किसी देश का नाम बताने की चुनौती भी दी।

आईएएनएस से बात करते हुए भाजपा सांसद ने कहा कि भारत की एकता और अखंडता के लिए एवं खासकर महिलाओं के सम्मान और अधिकार के लिए समान नागरिक कानून आवश्यक ही नहीं बल्कि अनिवार्य है और पहले ही इसे लेकर बहुत विलंब हो चुका है।

दरअसल, देश में समान नागरिक संहिता लागू करना शुरूआत से ही जनसंघ और भाजपा का कोर एजेंडा रहा है। भाजपा अपने चुनावी घोषणापत्र में भी इसे लागू करने का वादा करती रही है।

हाल ही में हुए गुजरात विधान सभा चुनाव के लिए जारी संकल्प पत्र में भी भाजपा ने यह वादा किया था कि राज्य में सरकार बनाने के बाद भाजपा समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड कमेटी की सिफारिशों के पूर्ण क्रियान्वयन को सुनिश्चित करेगी। उत्तराखंड की भाजपा सरकार यूसीसी को लेकर पहले ही एक समिति का गठन कर चुकी है।

संसद के वर्तमान में चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान हाल ही में भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं राज्य सभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने विपक्षी दलों के भारी विरोध और हंगामे के बीच राज्य सभा में प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में भारत में समान नागरिक संहिता विधेयक-2020 को पेश कर भाजपा के इरादे को जाहिर कर दिया है।

यह माना जा रहा है कि भाजपा ने एक रणनीति के तहत उच्च सदन में प्राइवेट मेंबर बिल के तौर समान नागरिक संहिता से जुड़े विधेयक को पेश करवाया है।

आईएएनएस के साथ खास बातचीत करते हुए किरोड़ी लाल मीणा ने स्वयं ही यह दावा किया कि उन्होंने अपनी पार्टी (भाजपा) की सहमति से ही राज्य सभा में इस बिल को पेश किया है।

उन्होंने यह भी कहा कि इस विधेयक को प्राइवेट मेंबर बिल में रूप में पेश करने को एक लिटमस टेस्ट कहा जा सकता है और इस पर चर्चा के दौरान सरकार अपने स्तर पर इस बिल को लाने का वादा कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में भी यह बहुमत से संसद से पास तो हो जाएगा लेकिन उन्हें लगता है कि यह बिल लाना पड़ेगा (सरकार भविष्य में इससे जुड़े बिल को अपने स्तर पर पेश करेगी) और दोनों सदनों में चर्चा के बाद यह पास होगा।

दरअसल, शुरूआत से ही भाजपा के एजेंडे में तीन महत्वपूर्ण कोर इश्यू- जम्मू कश्मीर से धारा 370 को खत्म करना, अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण करना और देश में समान नागरिक संहिता कानून लागू करना शामिल रहा है।

भाजपा के इन तीनों कोर एजेंडे में से अब सिर्फ एक समान नागरिक संहिता को लागू करना शेष रह गया है और इसलिए यह कहा जा रहा है कि भाजपा सरकार जल्द ही इस वादे को भी राष्ट्रीय स्तर पर पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ा सकती है।

–आईएएनएस

एसटीपी/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। देश की एकता और अखंडता के लिए समान नागरिक संहिता को अनिवार्य बताते हुए भाजपा ने इसका विरोध करने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं को भारतीय संविधान निमार्ताओं और बाबा साहेब अंबेडकर की ²ष्टि का विरोध करने वाला करार दे दिया है।

भाजपा के तेवर से यह साफ-साफ नजर आ रहा है कि इसे लेकर आने वाले दिनों में पार्टी और केंद्र सरकार कोई बड़ा कदम उठा सकती है। यह भी कहा जा रहा है कि 2024 के लोक सभा चुनाव में समान नागरिक संहिता एक बड़ा चुनावी मुद्दा भी बनने जा रहा है।

आईएएनएस के साथ खास बातचीत करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विचारक एवं भाजपा राज्य सभा सांसद राकेश सिन्हा ने कहा कि भारतीय संविधान के निर्माण के समय पर संविधान सभा में भी समान नागरिक संहिता पर बहस हुई थी और संविधान निमार्ताओं ने ही इसे राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों में जोड़ा था।

राकेश सिन्हा ने समान नागरिक संहिता का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं को अंबेडकर विरोधी करार देते हुए कहा कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वो भारतीय संविधान के निर्माताओं और बाबा साहेब अंबेडकर की ²ष्टि का विरोध कर रहे हैं, जिस ²ष्टि में देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक कानून की आवश्यकता महसूस की गई थी।

विरोधी दलों पर निशाना साधते हुए सिन्हा ने आईएएनएस से कहा कि विपक्ष को यह बताना चाहिए कि यूरोप की जिन उदारवादी लोकतंत्र (देशों) की वो बात करते हैं, उस यूरोप का ऐसा कौन सा देश है जहां समान नागरिक संहिता कानून लागू नहीं है? उन्होंने विपक्ष को ऐसे किसी देश का नाम बताने की चुनौती भी दी।

आईएएनएस से बात करते हुए भाजपा सांसद ने कहा कि भारत की एकता और अखंडता के लिए एवं खासकर महिलाओं के सम्मान और अधिकार के लिए समान नागरिक कानून आवश्यक ही नहीं बल्कि अनिवार्य है और पहले ही इसे लेकर बहुत विलंब हो चुका है।

दरअसल, देश में समान नागरिक संहिता लागू करना शुरूआत से ही जनसंघ और भाजपा का कोर एजेंडा रहा है। भाजपा अपने चुनावी घोषणापत्र में भी इसे लागू करने का वादा करती रही है।

हाल ही में हुए गुजरात विधान सभा चुनाव के लिए जारी संकल्प पत्र में भी भाजपा ने यह वादा किया था कि राज्य में सरकार बनाने के बाद भाजपा समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड कमेटी की सिफारिशों के पूर्ण क्रियान्वयन को सुनिश्चित करेगी। उत्तराखंड की भाजपा सरकार यूसीसी को लेकर पहले ही एक समिति का गठन कर चुकी है।

संसद के वर्तमान में चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान हाल ही में भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं राज्य सभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने विपक्षी दलों के भारी विरोध और हंगामे के बीच राज्य सभा में प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में भारत में समान नागरिक संहिता विधेयक-2020 को पेश कर भाजपा के इरादे को जाहिर कर दिया है।

यह माना जा रहा है कि भाजपा ने एक रणनीति के तहत उच्च सदन में प्राइवेट मेंबर बिल के तौर समान नागरिक संहिता से जुड़े विधेयक को पेश करवाया है।

आईएएनएस के साथ खास बातचीत करते हुए किरोड़ी लाल मीणा ने स्वयं ही यह दावा किया कि उन्होंने अपनी पार्टी (भाजपा) की सहमति से ही राज्य सभा में इस बिल को पेश किया है।

उन्होंने यह भी कहा कि इस विधेयक को प्राइवेट मेंबर बिल में रूप में पेश करने को एक लिटमस टेस्ट कहा जा सकता है और इस पर चर्चा के दौरान सरकार अपने स्तर पर इस बिल को लाने का वादा कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में भी यह बहुमत से संसद से पास तो हो जाएगा लेकिन उन्हें लगता है कि यह बिल लाना पड़ेगा (सरकार भविष्य में इससे जुड़े बिल को अपने स्तर पर पेश करेगी) और दोनों सदनों में चर्चा के बाद यह पास होगा।

दरअसल, शुरूआत से ही भाजपा के एजेंडे में तीन महत्वपूर्ण कोर इश्यू- जम्मू कश्मीर से धारा 370 को खत्म करना, अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण करना और देश में समान नागरिक संहिता कानून लागू करना शामिल रहा है।

भाजपा के इन तीनों कोर एजेंडे में से अब सिर्फ एक समान नागरिक संहिता को लागू करना शेष रह गया है और इसलिए यह कहा जा रहा है कि भाजपा सरकार जल्द ही इस वादे को भी राष्ट्रीय स्तर पर पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ा सकती है।

–आईएएनएस

एसटीपी/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। देश की एकता और अखंडता के लिए समान नागरिक संहिता को अनिवार्य बताते हुए भाजपा ने इसका विरोध करने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं को भारतीय संविधान निमार्ताओं और बाबा साहेब अंबेडकर की ²ष्टि का विरोध करने वाला करार दे दिया है।

भाजपा के तेवर से यह साफ-साफ नजर आ रहा है कि इसे लेकर आने वाले दिनों में पार्टी और केंद्र सरकार कोई बड़ा कदम उठा सकती है। यह भी कहा जा रहा है कि 2024 के लोक सभा चुनाव में समान नागरिक संहिता एक बड़ा चुनावी मुद्दा भी बनने जा रहा है।

आईएएनएस के साथ खास बातचीत करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विचारक एवं भाजपा राज्य सभा सांसद राकेश सिन्हा ने कहा कि भारतीय संविधान के निर्माण के समय पर संविधान सभा में भी समान नागरिक संहिता पर बहस हुई थी और संविधान निमार्ताओं ने ही इसे राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों में जोड़ा था।

राकेश सिन्हा ने समान नागरिक संहिता का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं को अंबेडकर विरोधी करार देते हुए कहा कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वो भारतीय संविधान के निर्माताओं और बाबा साहेब अंबेडकर की ²ष्टि का विरोध कर रहे हैं, जिस ²ष्टि में देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक कानून की आवश्यकता महसूस की गई थी।

विरोधी दलों पर निशाना साधते हुए सिन्हा ने आईएएनएस से कहा कि विपक्ष को यह बताना चाहिए कि यूरोप की जिन उदारवादी लोकतंत्र (देशों) की वो बात करते हैं, उस यूरोप का ऐसा कौन सा देश है जहां समान नागरिक संहिता कानून लागू नहीं है? उन्होंने विपक्ष को ऐसे किसी देश का नाम बताने की चुनौती भी दी।

आईएएनएस से बात करते हुए भाजपा सांसद ने कहा कि भारत की एकता और अखंडता के लिए एवं खासकर महिलाओं के सम्मान और अधिकार के लिए समान नागरिक कानून आवश्यक ही नहीं बल्कि अनिवार्य है और पहले ही इसे लेकर बहुत विलंब हो चुका है।

दरअसल, देश में समान नागरिक संहिता लागू करना शुरूआत से ही जनसंघ और भाजपा का कोर एजेंडा रहा है। भाजपा अपने चुनावी घोषणापत्र में भी इसे लागू करने का वादा करती रही है।

हाल ही में हुए गुजरात विधान सभा चुनाव के लिए जारी संकल्प पत्र में भी भाजपा ने यह वादा किया था कि राज्य में सरकार बनाने के बाद भाजपा समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड कमेटी की सिफारिशों के पूर्ण क्रियान्वयन को सुनिश्चित करेगी। उत्तराखंड की भाजपा सरकार यूसीसी को लेकर पहले ही एक समिति का गठन कर चुकी है।

संसद के वर्तमान में चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान हाल ही में भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं राज्य सभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने विपक्षी दलों के भारी विरोध और हंगामे के बीच राज्य सभा में प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में भारत में समान नागरिक संहिता विधेयक-2020 को पेश कर भाजपा के इरादे को जाहिर कर दिया है।

यह माना जा रहा है कि भाजपा ने एक रणनीति के तहत उच्च सदन में प्राइवेट मेंबर बिल के तौर समान नागरिक संहिता से जुड़े विधेयक को पेश करवाया है।

आईएएनएस के साथ खास बातचीत करते हुए किरोड़ी लाल मीणा ने स्वयं ही यह दावा किया कि उन्होंने अपनी पार्टी (भाजपा) की सहमति से ही राज्य सभा में इस बिल को पेश किया है।

उन्होंने यह भी कहा कि इस विधेयक को प्राइवेट मेंबर बिल में रूप में पेश करने को एक लिटमस टेस्ट कहा जा सकता है और इस पर चर्चा के दौरान सरकार अपने स्तर पर इस बिल को लाने का वादा कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में भी यह बहुमत से संसद से पास तो हो जाएगा लेकिन उन्हें लगता है कि यह बिल लाना पड़ेगा (सरकार भविष्य में इससे जुड़े बिल को अपने स्तर पर पेश करेगी) और दोनों सदनों में चर्चा के बाद यह पास होगा।

दरअसल, शुरूआत से ही भाजपा के एजेंडे में तीन महत्वपूर्ण कोर इश्यू- जम्मू कश्मीर से धारा 370 को खत्म करना, अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण करना और देश में समान नागरिक संहिता कानून लागू करना शामिल रहा है।

भाजपा के इन तीनों कोर एजेंडे में से अब सिर्फ एक समान नागरिक संहिता को लागू करना शेष रह गया है और इसलिए यह कहा जा रहा है कि भाजपा सरकार जल्द ही इस वादे को भी राष्ट्रीय स्तर पर पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ा सकती है।

–आईएएनएस

एसटीपी/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। देश की एकता और अखंडता के लिए समान नागरिक संहिता को अनिवार्य बताते हुए भाजपा ने इसका विरोध करने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं को भारतीय संविधान निमार्ताओं और बाबा साहेब अंबेडकर की ²ष्टि का विरोध करने वाला करार दे दिया है।

भाजपा के तेवर से यह साफ-साफ नजर आ रहा है कि इसे लेकर आने वाले दिनों में पार्टी और केंद्र सरकार कोई बड़ा कदम उठा सकती है। यह भी कहा जा रहा है कि 2024 के लोक सभा चुनाव में समान नागरिक संहिता एक बड़ा चुनावी मुद्दा भी बनने जा रहा है।

आईएएनएस के साथ खास बातचीत करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विचारक एवं भाजपा राज्य सभा सांसद राकेश सिन्हा ने कहा कि भारतीय संविधान के निर्माण के समय पर संविधान सभा में भी समान नागरिक संहिता पर बहस हुई थी और संविधान निमार्ताओं ने ही इसे राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों में जोड़ा था।

राकेश सिन्हा ने समान नागरिक संहिता का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं को अंबेडकर विरोधी करार देते हुए कहा कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वो भारतीय संविधान के निर्माताओं और बाबा साहेब अंबेडकर की ²ष्टि का विरोध कर रहे हैं, जिस ²ष्टि में देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक कानून की आवश्यकता महसूस की गई थी।

विरोधी दलों पर निशाना साधते हुए सिन्हा ने आईएएनएस से कहा कि विपक्ष को यह बताना चाहिए कि यूरोप की जिन उदारवादी लोकतंत्र (देशों) की वो बात करते हैं, उस यूरोप का ऐसा कौन सा देश है जहां समान नागरिक संहिता कानून लागू नहीं है? उन्होंने विपक्ष को ऐसे किसी देश का नाम बताने की चुनौती भी दी।

आईएएनएस से बात करते हुए भाजपा सांसद ने कहा कि भारत की एकता और अखंडता के लिए एवं खासकर महिलाओं के सम्मान और अधिकार के लिए समान नागरिक कानून आवश्यक ही नहीं बल्कि अनिवार्य है और पहले ही इसे लेकर बहुत विलंब हो चुका है।

दरअसल, देश में समान नागरिक संहिता लागू करना शुरूआत से ही जनसंघ और भाजपा का कोर एजेंडा रहा है। भाजपा अपने चुनावी घोषणापत्र में भी इसे लागू करने का वादा करती रही है।

हाल ही में हुए गुजरात विधान सभा चुनाव के लिए जारी संकल्प पत्र में भी भाजपा ने यह वादा किया था कि राज्य में सरकार बनाने के बाद भाजपा समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड कमेटी की सिफारिशों के पूर्ण क्रियान्वयन को सुनिश्चित करेगी। उत्तराखंड की भाजपा सरकार यूसीसी को लेकर पहले ही एक समिति का गठन कर चुकी है।

संसद के वर्तमान में चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान हाल ही में भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं राज्य सभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने विपक्षी दलों के भारी विरोध और हंगामे के बीच राज्य सभा में प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में भारत में समान नागरिक संहिता विधेयक-2020 को पेश कर भाजपा के इरादे को जाहिर कर दिया है।

यह माना जा रहा है कि भाजपा ने एक रणनीति के तहत उच्च सदन में प्राइवेट मेंबर बिल के तौर समान नागरिक संहिता से जुड़े विधेयक को पेश करवाया है।

आईएएनएस के साथ खास बातचीत करते हुए किरोड़ी लाल मीणा ने स्वयं ही यह दावा किया कि उन्होंने अपनी पार्टी (भाजपा) की सहमति से ही राज्य सभा में इस बिल को पेश किया है।

उन्होंने यह भी कहा कि इस विधेयक को प्राइवेट मेंबर बिल में रूप में पेश करने को एक लिटमस टेस्ट कहा जा सकता है और इस पर चर्चा के दौरान सरकार अपने स्तर पर इस बिल को लाने का वादा कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में भी यह बहुमत से संसद से पास तो हो जाएगा लेकिन उन्हें लगता है कि यह बिल लाना पड़ेगा (सरकार भविष्य में इससे जुड़े बिल को अपने स्तर पर पेश करेगी) और दोनों सदनों में चर्चा के बाद यह पास होगा।

दरअसल, शुरूआत से ही भाजपा के एजेंडे में तीन महत्वपूर्ण कोर इश्यू- जम्मू कश्मीर से धारा 370 को खत्म करना, अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण करना और देश में समान नागरिक संहिता कानून लागू करना शामिल रहा है।

भाजपा के इन तीनों कोर एजेंडे में से अब सिर्फ एक समान नागरिक संहिता को लागू करना शेष रह गया है और इसलिए यह कहा जा रहा है कि भाजपा सरकार जल्द ही इस वादे को भी राष्ट्रीय स्तर पर पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ा सकती है।

–आईएएनएस

एसटीपी/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। देश की एकता और अखंडता के लिए समान नागरिक संहिता को अनिवार्य बताते हुए भाजपा ने इसका विरोध करने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं को भारतीय संविधान निमार्ताओं और बाबा साहेब अंबेडकर की ²ष्टि का विरोध करने वाला करार दे दिया है।

भाजपा के तेवर से यह साफ-साफ नजर आ रहा है कि इसे लेकर आने वाले दिनों में पार्टी और केंद्र सरकार कोई बड़ा कदम उठा सकती है। यह भी कहा जा रहा है कि 2024 के लोक सभा चुनाव में समान नागरिक संहिता एक बड़ा चुनावी मुद्दा भी बनने जा रहा है।

आईएएनएस के साथ खास बातचीत करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विचारक एवं भाजपा राज्य सभा सांसद राकेश सिन्हा ने कहा कि भारतीय संविधान के निर्माण के समय पर संविधान सभा में भी समान नागरिक संहिता पर बहस हुई थी और संविधान निमार्ताओं ने ही इसे राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों में जोड़ा था।

राकेश सिन्हा ने समान नागरिक संहिता का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं को अंबेडकर विरोधी करार देते हुए कहा कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वो भारतीय संविधान के निर्माताओं और बाबा साहेब अंबेडकर की ²ष्टि का विरोध कर रहे हैं, जिस ²ष्टि में देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक कानून की आवश्यकता महसूस की गई थी।

विरोधी दलों पर निशाना साधते हुए सिन्हा ने आईएएनएस से कहा कि विपक्ष को यह बताना चाहिए कि यूरोप की जिन उदारवादी लोकतंत्र (देशों) की वो बात करते हैं, उस यूरोप का ऐसा कौन सा देश है जहां समान नागरिक संहिता कानून लागू नहीं है? उन्होंने विपक्ष को ऐसे किसी देश का नाम बताने की चुनौती भी दी।

आईएएनएस से बात करते हुए भाजपा सांसद ने कहा कि भारत की एकता और अखंडता के लिए एवं खासकर महिलाओं के सम्मान और अधिकार के लिए समान नागरिक कानून आवश्यक ही नहीं बल्कि अनिवार्य है और पहले ही इसे लेकर बहुत विलंब हो चुका है।

दरअसल, देश में समान नागरिक संहिता लागू करना शुरूआत से ही जनसंघ और भाजपा का कोर एजेंडा रहा है। भाजपा अपने चुनावी घोषणापत्र में भी इसे लागू करने का वादा करती रही है।

हाल ही में हुए गुजरात विधान सभा चुनाव के लिए जारी संकल्प पत्र में भी भाजपा ने यह वादा किया था कि राज्य में सरकार बनाने के बाद भाजपा समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड कमेटी की सिफारिशों के पूर्ण क्रियान्वयन को सुनिश्चित करेगी। उत्तराखंड की भाजपा सरकार यूसीसी को लेकर पहले ही एक समिति का गठन कर चुकी है।

संसद के वर्तमान में चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान हाल ही में भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं राज्य सभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने विपक्षी दलों के भारी विरोध और हंगामे के बीच राज्य सभा में प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में भारत में समान नागरिक संहिता विधेयक-2020 को पेश कर भाजपा के इरादे को जाहिर कर दिया है।

यह माना जा रहा है कि भाजपा ने एक रणनीति के तहत उच्च सदन में प्राइवेट मेंबर बिल के तौर समान नागरिक संहिता से जुड़े विधेयक को पेश करवाया है।

आईएएनएस के साथ खास बातचीत करते हुए किरोड़ी लाल मीणा ने स्वयं ही यह दावा किया कि उन्होंने अपनी पार्टी (भाजपा) की सहमति से ही राज्य सभा में इस बिल को पेश किया है।

उन्होंने यह भी कहा कि इस विधेयक को प्राइवेट मेंबर बिल में रूप में पेश करने को एक लिटमस टेस्ट कहा जा सकता है और इस पर चर्चा के दौरान सरकार अपने स्तर पर इस बिल को लाने का वादा कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में भी यह बहुमत से संसद से पास तो हो जाएगा लेकिन उन्हें लगता है कि यह बिल लाना पड़ेगा (सरकार भविष्य में इससे जुड़े बिल को अपने स्तर पर पेश करेगी) और दोनों सदनों में चर्चा के बाद यह पास होगा।

दरअसल, शुरूआत से ही भाजपा के एजेंडे में तीन महत्वपूर्ण कोर इश्यू- जम्मू कश्मीर से धारा 370 को खत्म करना, अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण करना और देश में समान नागरिक संहिता कानून लागू करना शामिल रहा है।

भाजपा के इन तीनों कोर एजेंडे में से अब सिर्फ एक समान नागरिक संहिता को लागू करना शेष रह गया है और इसलिए यह कहा जा रहा है कि भाजपा सरकार जल्द ही इस वादे को भी राष्ट्रीय स्तर पर पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ा सकती है।

–आईएएनएस

एसटीपी/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। देश की एकता और अखंडता के लिए समान नागरिक संहिता को अनिवार्य बताते हुए भाजपा ने इसका विरोध करने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं को भारतीय संविधान निमार्ताओं और बाबा साहेब अंबेडकर की ²ष्टि का विरोध करने वाला करार दे दिया है।

भाजपा के तेवर से यह साफ-साफ नजर आ रहा है कि इसे लेकर आने वाले दिनों में पार्टी और केंद्र सरकार कोई बड़ा कदम उठा सकती है। यह भी कहा जा रहा है कि 2024 के लोक सभा चुनाव में समान नागरिक संहिता एक बड़ा चुनावी मुद्दा भी बनने जा रहा है।

आईएएनएस के साथ खास बातचीत करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विचारक एवं भाजपा राज्य सभा सांसद राकेश सिन्हा ने कहा कि भारतीय संविधान के निर्माण के समय पर संविधान सभा में भी समान नागरिक संहिता पर बहस हुई थी और संविधान निमार्ताओं ने ही इसे राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों में जोड़ा था।

राकेश सिन्हा ने समान नागरिक संहिता का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं को अंबेडकर विरोधी करार देते हुए कहा कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वो भारतीय संविधान के निर्माताओं और बाबा साहेब अंबेडकर की ²ष्टि का विरोध कर रहे हैं, जिस ²ष्टि में देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक कानून की आवश्यकता महसूस की गई थी।

विरोधी दलों पर निशाना साधते हुए सिन्हा ने आईएएनएस से कहा कि विपक्ष को यह बताना चाहिए कि यूरोप की जिन उदारवादी लोकतंत्र (देशों) की वो बात करते हैं, उस यूरोप का ऐसा कौन सा देश है जहां समान नागरिक संहिता कानून लागू नहीं है? उन्होंने विपक्ष को ऐसे किसी देश का नाम बताने की चुनौती भी दी।

आईएएनएस से बात करते हुए भाजपा सांसद ने कहा कि भारत की एकता और अखंडता के लिए एवं खासकर महिलाओं के सम्मान और अधिकार के लिए समान नागरिक कानून आवश्यक ही नहीं बल्कि अनिवार्य है और पहले ही इसे लेकर बहुत विलंब हो चुका है।

दरअसल, देश में समान नागरिक संहिता लागू करना शुरूआत से ही जनसंघ और भाजपा का कोर एजेंडा रहा है। भाजपा अपने चुनावी घोषणापत्र में भी इसे लागू करने का वादा करती रही है।

हाल ही में हुए गुजरात विधान सभा चुनाव के लिए जारी संकल्प पत्र में भी भाजपा ने यह वादा किया था कि राज्य में सरकार बनाने के बाद भाजपा समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड कमेटी की सिफारिशों के पूर्ण क्रियान्वयन को सुनिश्चित करेगी। उत्तराखंड की भाजपा सरकार यूसीसी को लेकर पहले ही एक समिति का गठन कर चुकी है।

संसद के वर्तमान में चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान हाल ही में भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं राज्य सभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने विपक्षी दलों के भारी विरोध और हंगामे के बीच राज्य सभा में प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में भारत में समान नागरिक संहिता विधेयक-2020 को पेश कर भाजपा के इरादे को जाहिर कर दिया है।

यह माना जा रहा है कि भाजपा ने एक रणनीति के तहत उच्च सदन में प्राइवेट मेंबर बिल के तौर समान नागरिक संहिता से जुड़े विधेयक को पेश करवाया है।

आईएएनएस के साथ खास बातचीत करते हुए किरोड़ी लाल मीणा ने स्वयं ही यह दावा किया कि उन्होंने अपनी पार्टी (भाजपा) की सहमति से ही राज्य सभा में इस बिल को पेश किया है।

उन्होंने यह भी कहा कि इस विधेयक को प्राइवेट मेंबर बिल में रूप में पेश करने को एक लिटमस टेस्ट कहा जा सकता है और इस पर चर्चा के दौरान सरकार अपने स्तर पर इस बिल को लाने का वादा कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में भी यह बहुमत से संसद से पास तो हो जाएगा लेकिन उन्हें लगता है कि यह बिल लाना पड़ेगा (सरकार भविष्य में इससे जुड़े बिल को अपने स्तर पर पेश करेगी) और दोनों सदनों में चर्चा के बाद यह पास होगा।

दरअसल, शुरूआत से ही भाजपा के एजेंडे में तीन महत्वपूर्ण कोर इश्यू- जम्मू कश्मीर से धारा 370 को खत्म करना, अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण करना और देश में समान नागरिक संहिता कानून लागू करना शामिल रहा है।

भाजपा के इन तीनों कोर एजेंडे में से अब सिर्फ एक समान नागरिक संहिता को लागू करना शेष रह गया है और इसलिए यह कहा जा रहा है कि भाजपा सरकार जल्द ही इस वादे को भी राष्ट्रीय स्तर पर पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ा सकती है।

–आईएएनएस

एसटीपी/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। देश की एकता और अखंडता के लिए समान नागरिक संहिता को अनिवार्य बताते हुए भाजपा ने इसका विरोध करने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं को भारतीय संविधान निमार्ताओं और बाबा साहेब अंबेडकर की ²ष्टि का विरोध करने वाला करार दे दिया है।

भाजपा के तेवर से यह साफ-साफ नजर आ रहा है कि इसे लेकर आने वाले दिनों में पार्टी और केंद्र सरकार कोई बड़ा कदम उठा सकती है। यह भी कहा जा रहा है कि 2024 के लोक सभा चुनाव में समान नागरिक संहिता एक बड़ा चुनावी मुद्दा भी बनने जा रहा है।

आईएएनएस के साथ खास बातचीत करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विचारक एवं भाजपा राज्य सभा सांसद राकेश सिन्हा ने कहा कि भारतीय संविधान के निर्माण के समय पर संविधान सभा में भी समान नागरिक संहिता पर बहस हुई थी और संविधान निमार्ताओं ने ही इसे राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों में जोड़ा था।

राकेश सिन्हा ने समान नागरिक संहिता का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं को अंबेडकर विरोधी करार देते हुए कहा कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वो भारतीय संविधान के निर्माताओं और बाबा साहेब अंबेडकर की ²ष्टि का विरोध कर रहे हैं, जिस ²ष्टि में देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक कानून की आवश्यकता महसूस की गई थी।

विरोधी दलों पर निशाना साधते हुए सिन्हा ने आईएएनएस से कहा कि विपक्ष को यह बताना चाहिए कि यूरोप की जिन उदारवादी लोकतंत्र (देशों) की वो बात करते हैं, उस यूरोप का ऐसा कौन सा देश है जहां समान नागरिक संहिता कानून लागू नहीं है? उन्होंने विपक्ष को ऐसे किसी देश का नाम बताने की चुनौती भी दी।

आईएएनएस से बात करते हुए भाजपा सांसद ने कहा कि भारत की एकता और अखंडता के लिए एवं खासकर महिलाओं के सम्मान और अधिकार के लिए समान नागरिक कानून आवश्यक ही नहीं बल्कि अनिवार्य है और पहले ही इसे लेकर बहुत विलंब हो चुका है।

दरअसल, देश में समान नागरिक संहिता लागू करना शुरूआत से ही जनसंघ और भाजपा का कोर एजेंडा रहा है। भाजपा अपने चुनावी घोषणापत्र में भी इसे लागू करने का वादा करती रही है।

हाल ही में हुए गुजरात विधान सभा चुनाव के लिए जारी संकल्प पत्र में भी भाजपा ने यह वादा किया था कि राज्य में सरकार बनाने के बाद भाजपा समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड कमेटी की सिफारिशों के पूर्ण क्रियान्वयन को सुनिश्चित करेगी। उत्तराखंड की भाजपा सरकार यूसीसी को लेकर पहले ही एक समिति का गठन कर चुकी है।

संसद के वर्तमान में चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान हाल ही में भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं राज्य सभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने विपक्षी दलों के भारी विरोध और हंगामे के बीच राज्य सभा में प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में भारत में समान नागरिक संहिता विधेयक-2020 को पेश कर भाजपा के इरादे को जाहिर कर दिया है।

यह माना जा रहा है कि भाजपा ने एक रणनीति के तहत उच्च सदन में प्राइवेट मेंबर बिल के तौर समान नागरिक संहिता से जुड़े विधेयक को पेश करवाया है।

आईएएनएस के साथ खास बातचीत करते हुए किरोड़ी लाल मीणा ने स्वयं ही यह दावा किया कि उन्होंने अपनी पार्टी (भाजपा) की सहमति से ही राज्य सभा में इस बिल को पेश किया है।

उन्होंने यह भी कहा कि इस विधेयक को प्राइवेट मेंबर बिल में रूप में पेश करने को एक लिटमस टेस्ट कहा जा सकता है और इस पर चर्चा के दौरान सरकार अपने स्तर पर इस बिल को लाने का वादा कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में भी यह बहुमत से संसद से पास तो हो जाएगा लेकिन उन्हें लगता है कि यह बिल लाना पड़ेगा (सरकार भविष्य में इससे जुड़े बिल को अपने स्तर पर पेश करेगी) और दोनों सदनों में चर्चा के बाद यह पास होगा।

दरअसल, शुरूआत से ही भाजपा के एजेंडे में तीन महत्वपूर्ण कोर इश्यू- जम्मू कश्मीर से धारा 370 को खत्म करना, अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण करना और देश में समान नागरिक संहिता कानून लागू करना शामिल रहा है।

भाजपा के इन तीनों कोर एजेंडे में से अब सिर्फ एक समान नागरिक संहिता को लागू करना शेष रह गया है और इसलिए यह कहा जा रहा है कि भाजपा सरकार जल्द ही इस वादे को भी राष्ट्रीय स्तर पर पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ा सकती है।

–आईएएनएस

एसटीपी/एसकेपी

Related Posts

ताज़ा समाचार

महाराष्ट्र में 77 सामाजिक आंदोलनकारियों पर दर्ज मामले वापस लेने की सिफारिश

September 30, 2025
ताज़ा समाचार

नशा मुक्त भारत अभियान के तहत दिल्ली पुलिस की कार्रवाई, भारी मात्रा में मादक पदार्थ नष्ट

September 30, 2025
ताज़ा समाचार

केंद्र सरकार की विदेश नीति फेल, केवल भाषणबाजी से नहीं चलता देश : कांग्रेस प्रवक्ता आलोक कुमार

September 30, 2025
ताज़ा समाचार

त्रिपुरा में 60 करोड़ की ड्रग्स बरामद, सुरक्षा बल सतर्क

September 30, 2025
ताज़ा समाचार

भूपेश बघेल का भाजपा पर तंज, जीएसटी के फायदे गिना रही, पर बाजारों में सन्नाटा पसरा

September 30, 2025
ताज़ा समाचार

उत्तर प्रदेश: अयोध्‍या में रामलीला में रावण दहन पर लगी रोक

September 30, 2025
Next Post
अफगानिस्तान में चीनी हितों पर इस्लामिक स्टेट का पहला हमला

अफगानिस्तान में चीनी हितों पर इस्लामिक स्टेट का पहला हमला

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

115775
Total views : 6025224
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In