नई दिल्ली, 28 अप्रैल (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मांडोली जेल के अधिकारियों को 200 करोड़ रुपए के फर्जीवाड़े और धन शोधन मामले में गिरफ्तार ठग चंद्रशेखर को 15 दिन के लिए कैंटीन सुविधा से वंचित करने के पनिशमेंट टिकट पर उसका पक्ष सुनने के लिए कहा है।
दिल्ली सरकार के एक अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि चंद्रशेखर को मुलाकात (मिलने और फोन करने की सुविधा) से वंचित करने के दूसरी सजा पर उसकी बात सुनने के बाद नए सिरे से फैसला किया जाएगा।
आरोपी की याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने कहा, बड़ी और छोटी सजा के मुद्दे पर जाए बिना, और विशेषकर यह देखते हुए कि मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, सजा नंबर 1 (कैंटीन सुविधा रोकने) के मामले में सुनवाई का मौका दिया जाना चाहिए।
ठग चंद्रशेखर राष्ट्रीय राजधानी की मांडोली जेल में है।
उच्च न्यायालय ने जेल अधिकारियों द्वारा दी गई सजा के खिलाफ चंद्रशेखर की याचिका पर बुधवार को नोटिस जारी किया था।
जेल अधिकारियों के आदेश के अनुसार, 1 मई से 15 मई तक उसके किसी से मिलने, टेलीफोन कॉल करने और कैंटिन सुविधा के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
याचिका में चंद्रशेखर ने कहा था कि मांडोली जेल के डिप्टी सुप्रिंटेंडेंट द्वार 17 अप्रैल को जारी आदेश को रद्द कर दिया जाए क्योंकि दोनों पनिशमेंट टिकट उसका पक्ष जाने बिना दिए गए थे।
याचिका पर न्यायमूर्ति शर्मा ने जेल अधिकारियों को नोटिस भेजा था।
याचिकाकर्ता की ओर से उपस्थित वकील अनंत मलिक ने कहा कि नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन हुआ है। यह एक गंभीर मुद्दा है क्योंकि याचिकाकर्ता की मां का परिवार बेंगलुरु में रहता है।
मलिक ने कहा कि यह मसला अविलंब सुना जाए और सजा को स्थगित की जाए।
याचिका में कहा गया था कि जेल के डिप्टी सुप्रिंटेंडेंट ने बिना सोचे-समझे, गलत सजा दी जिसमें विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया।
याचिकाकर्ता ने कहा कि उसकी बूढ़ी मां से संवाद करने के लिए ये सुविधाएं ही एकमात्र जरिया हैं जो अभी बेंगलुरु में रह रही है और खराब स्वास्थ्य के कारण उससे मिलने नहीं आ सकती।
–आईएएनएस
एकेजे