पटना, 14 मई (आईएएनएस)। आज जहां युवा पढ़ाई से बचे समय में इंस्टग्राम, फेसबुक और व्हॉटसऐप पर अपना समय गुजारते हैं, वहीं बिहार की राजधानी पटना के तीन युवा ऐसे भी हैं जो पढ़ाई से बचे समय को बेजुबानों के लिए आसरा देने में लगा रहे हैं। आमतौर पर सड़क पर बीमार, दिव्यांग जानवरों का कोई आसरा नहीं होता, लेकिन आज इन तीनों युवाओं का अपना फाउंडेशन ऐसे बेजुबान जानवरों के लिए अपना आशियाना बन गया है।
अपना फाउंडेशन की शुरूआत करने वाली वर्षा राज विज्ञान से स्नातक कर भले ही अन्य प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही हों, लेकिन उनकी प्राथमिकता बेजुबानों को सहारा देना है। उन्होंने कहा कि समाज में इन बेजुबानों का बेहद अपमान किया जाता है। लोग विदेशी नस्ल के आगे देसी नस्ल को कुछ नहीं समझते जिसका असर उनके जीवन पर पड़ता है। सबसे खराब बात है कि जो पालतू जानवर बीमार या अपंग हो जाते हैं उन्हें सड़कों पर छोड़ दिया जाता है।
आईएएनएस को वर्षा बताती हैं कि अपना फाउंडेशन जानवरों की नसबंदी, देसी-विदेशी नस्ल के कुत्तों के एडॉप्शन, उसके रेस्क्यू और इलाज का बंदोबस्त करता है। साथ ही, जानवरों के प्रति हो रही किसी भी हिंसक रवैये का विरोध करता है।
दरअसल, राजधानी पटना के युवा वर्षा, आशीष मिश्रा और अंकित कर्ण ऐसा कार्य कर रहे हैं, जिनकी तारीफ जरूर की जानी चाहिए।
ये युवा अभी पढ़ते हैं, कोचिंग कर अपना खर्च निकालते हैं लेकिन इन युवाओं ने अपने कोचिंग के खर्च से ही पशुओं को स्थान देने के लिए अपना खुद का शेल्टर होम खोल रखा है। इस शेल्टर होम में रेस्क्यू करके लाए गए कई पशु हैं। इनमें गाय, बिल्ली, कुत्ते शामिल हैं।
टीम के सदस्य आशीष आईएएनएस को बताते हैं कि 2020 में जब कोरोना की लहर थी, लॉकडाउन लगा हुआ था तब लोग खुद को ही बचाने में लगे हुए थे। पशुओं पर कोई ध्यान नहीं देता था। उसी वक्त हम लोगों ने इस काम को शुरू किया। ये युवा न केवल गाय और कुत्ते बल्कि सांप, घोड़ा और बत्तख का भी रेस्क्यू कर चुके हैं।
वे बताते हैं कि उनके शेल्टर होम में फिलहाल रेस्क्यू किए 25 जानवर हैं। आशीष बताते हैं, इन पशुओं के खाने के लिए अपने स्तर से तो यह लोग इंतजाम करते ही हैं, इन युवाओं के परिजन भी इसमें उनकी मदद करते हैं। कई बार लोग भी चंदा के जरिए इनकी मदद करते हैं।
वर्षा बताती है कि वे खुद स्टेज सिंगर हैं, लेकिन वे अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा इन पशुओं की देखभाल में लगा देती है। ये शेल्टर होम पटना के सगुना मोड़ इलाके में है।
वर्षा बताती है कि इनमें से कई ऐसे पशु हैं जो लकवा (पैरालाइसिस) के शिकार हो चुके हैं और वह चलने-फिरने में सक्षम नहीं है। उनका विशेष ख्याल रखना होता है। टीम मेंबर ने एक ऐसी गाय को जीवनदान दिया है जिसका खुर सड़ गया था और उसके मालिक ने उसे छोड़ दिया था। लक्ष्मी नाम की गाय आज की तारीख में पूरी तरह से स्वस्थ हो चुकी है और इस शेल्टर होम की शोभा बन गई है।
शेल्टर होम को जानवरों की आवश्यकता अनुसार बनाया गया है। कुत्तों को रखने के लिए अलग व्यवस्था है तो गाय के लिए गोशाला जैसी सुविधा दी गई है।
टीम के सदस्य अंकित कर्ण बताते हैं कि गर्मी के दिनों में क्षेत्र में आग लगने की घटनाएं काफी बढ़ जाती है। इस दौरान पालतू पशुओं के जलने की भी खबरें आती हैं। ऐसे में वैसे जानवरों को भी हमलोग लाकर इलाज कराते हैं।
वे बताते हैं कि उनकी टीम जगह-जगह जाकर बेजुबानों के प्रति लोगों को जागरूक करने का भी काम करते हैं।
–आईएएनएस
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