नई दिल्ली, 18 मई (आईएएनएस)। कांग्रेस ने गुरुवार को संशय खत्म करते हुए कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री शीर्ष पद के लिए अनुभवी नेता सिद्दारमैया और राज्य इकाई के प्रमुख डी.के. शिवकुमार को उनके डिप्टी के रूप में नाम की घोषणा की।
नाम की घोषणा में देरी दोनों के बीच अनबन के कारण हुई, लेकिन पता चला है कि यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ही कनकपुरा विधायक को उपमुख्यमंत्री की भूमिका स्वीकार करने के लिए राजी कर लिया।
शिवकुमार मुख्यमंत्री के अलावा किसी अन्य पद के लिए तैयार नहीं थे। इस कारण राष्ट्रीय राजधानी में लगातार तीन दिनों तक पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच बैठकों की श्रृंखला चली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल, कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला और तीन केंद्रीय पर्यवेक्षकों- महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे, पार्टी के नेता जितेंद्र सिंह और दीपक बाबरिया के साथ कई बैठकें कीं।
घटनाक्रम से जुड़े पार्टी के एक सूत्र ने बताया कि सोनिया गांधी से बातचीत होने तक शिवकुमार राज्य में शीर्ष पद छोड़ने को तैयार नहीं थे।
सिद्दारमैया सोमवार की दोपहर राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे थे, जबकि शिवकुमार मंगलवार दोपहर को राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे थे, क्योंकि वह पेट में संक्रमण के कारण सोमवार को नहीं आ सके थे। दोनों नेताओं ने खड़गे, सुरजेवाला, वेणुगोपाल और राहुल गांधी से मुलाकात की थी और उनके सामने अपना पक्ष रखा था। शिवकुमार ने अपना मामला पेश करने के लिए एक बार फिर खड़गे से अलग से मुलाकात की। तब खड़गे ने कर्नाटक कांग्रेस प्रमुख से बात करने और पार्टी द्वारा तैयार किए गए फॉर्मूले को स्वीकार करने के लिए पूर्व पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को शामिल करने की जरूरत महसूस की।
सूत्र ने कहा कि पिछले साल मई में उदयपुर में पार्टी के नव संकल्प चिंतन शिविर के दौरान सोनिया गांधी ने शिवकुमार से कर्नाटक जीतने के लिए कहा था और यह भी कहा था कि वह उनके साथ हैं।
उनके टेलीफोन कॉल के बाद शिवकुमार ने पार्टी के फैसले को स्वीकार कर लिया और गुरुवार दोपहर सुरजेवाला और वेणुगोपाल द्वारा एक घोषणा की गई।
पार्टी के फैसले को स्वीकार करने के बाद शिवकुमार ने गुरुवार सुबह मीडिया से कहा, पार्टी आलाकमान ने फैसला ले लिया है और मैंने पार्टी के व्यापक हित में उसे स्वीकार कर लिया है।
कांग्रेस ने 10 मई के चुनावों में शानदार जीत दर्ज की थी। पार्टी ने 224 में से 135 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि सत्तारूढ़ भाजपा 66 सीटों पर सिमट गई।
–आईएएनएस
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