नई दिल्ली, 18 मई (आईएएनएस)। दिल्ली सरकार दिल्ली के मुख्य सचिव को बदलना चाहती है। वर्तमान मुख्य सचिव नरेश कुमार की जगह केजरीवाल सरकार पीके गुप्ता को मुख्य सचिव बनाना चाहती है। इसके लिए बकायदा केंद्र सरकार को उपराज्यपाल के जरिए एक आधिकारिक प्रस्ताव भेजा गया है।
गौरतलब है कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार को दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस महत्वपूर्ण फैसले के बाद सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में प्रशासनिक बड़े फेर-बदल की घोषणा की थी। फैसले के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 11 मई को प्रमुख योजनाओं को तेजी से पूरा करने के लिए सक्षम और ईमानदार अधिकारियों की नियुक्ति की आवश्यकता पर बल दिया था। साथ ही उन अधिकारियों को हटाने की बात कही, जो योजनाओं की प्रगति को बाधित कर रहे हैं।
पहली कार्रवाई करते हुए अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली सरकार में सर्विसिस विभाग के सचिव आशीष मोरे को हटा दिया था। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि दिल्ली में अब बहुत बड़ा प्रशासनिक फेरबदल होगा। मुख्यमंत्री के मुताबिक कुछ अधिकारी ऐसे हैं जिन्होंने पिछले डेढ़ साल में जनता के काम रोके, मोहल्ला क्लीनिक की दवाइयां, टेस्ट और दिल्ली जल बोर्ड का पैसा रोका। ऐसे अधिकारियों को उनके कुकर्मों का फल भुगतना पड़ेगा। ईमानदार अधिकारियों और कर्मचारियों को मौका दिया जाएगा।
दिल्ली सरकार के इन फैसलों पर विपक्षी दल व दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा है की अधिकारियों में परिवर्तन सामान्य बात है पर जिस तरह सर्वोच्च न्यायालय से नये अधिकार मिलने के बाद दिल्ली की केजरीवाल सरकार अपने नये अधिकारों का दुरुपयोग कर हर उस अधिकारी जो अरविंद केजरीवाल सरकार के राजमहल बंगला घोटाले, शराब घोटाले आदि की जांच से जुड़े हैं को हटा रहे हैं वह निंदनीय है।
चाहें आज मुख्य सचिव नरेश कुमार को हटाना हो या कल दलित समाज से आने वाले अधिकारी आशीष मोर एवं गिन्नी सिंह को हटाना हो यह सभी पूर्वाग्रह में लिये गए निर्णय है और जिनका मकसद केजरीवाल सरकार द्वारा अपनी सरकार के भ्रष्टाचार की जांच को रोकना है।
गौरतलब है कि दिल्ली के सर्विसेज मंत्री सौरभ भारद्वाज ने आशीष मोरे की जगह नए सर्विसेज सेक्रेटरी की नियुक्ति के आदेश जारी किए गए हैं। भारद्वाज का कहना है कि आशीष मोरे ने पहले इस आदेश की अवहेलना की थी। निर्देश दिए जाने पर अपने सहयोगियों और परिवार के सदस्यों को छोड़कर आशीष मोरे रहस्यमय तरीके से दिल्ली सचिवालय से गायब हो गए थे। संबंधित अधिकारियों द्वारा संपर्क किए जाने पर उनकी पत्नी ने कहा था कि उन्हें उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है।
दिल्ली सरकार के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद संपर्क से कट गए आशीष मोरे आखिरकार सोमवार दोपहर अचानक सचिवालय स्थिति अपने दफ्तर में आए और कारण बताओ नोटिस मिलने की बात स्वीकार की। साथ ही उन्होंने सुप्रीम अदालत के निर्णय को मानने और नए सर्विसेज सेक्रेटरी की तैनाती को औपचारिक रूप से आगे बढ़ाने की बात कही।
–आईएएनएस
जीसीबी/एएनएम