तिरुवनंतपुरम, 27 मई (आईएएनएस)। केरल के वित्तमंत्री के.एन. बालगोपाल ने शनिवार को आरोप लगाया कि केंद्र ने राज्यों को अनुदान और ऋण में उसके हिस्से में कटौती कर अब राज्य का गला घोंटने की प्रथा शुरू की है।
बालगोपाल ने कहा, यह स्पष्ट रूप से राजनीतिक कारणों से किया गया है, जो केरल के लोगों के लिए एक चुनौती है। केंद्र के इस रवैये के खिलाफ विरोध होना चाहिए। अनुदानों को कम करने और ऋणों में कटौती करने से राज्य के विकास में कमी आएगी।
केरल में सत्तारूढ़ वामपंथी सरकार अब इस मुद्दे पर केंद्र के खिलाफ संयुक्त विरोध प्रदर्शन करने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष को शामिल करने की योजना बना रही है।
संयोग से, चालू वित्तवर्ष के दौरान ऋण लेने की सीमा 32,440 करोड़ रुपये तय की गई थी। लेकिन अभी तक केवल 15,390 करोड़ रुपये का कर्ज लेने की ही अनुमति दी गई है।
पिछले वित्तवर्ष में यह सीमा 23,000 करोड़ रुपये थी।
इस बीच, केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन ने कहा कि पिनाराई विजयन शनिवार को नीति आयोग की बैठक के दौरान इस मुद्दे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ध्यान में ला सकते थे, लेकिन मुख्यमंत्री ने बैठक का बहिष्कार किया।
मुरलीधरन ने कहा, केरल सरकार को अपनी वित्तीय स्थिति स्पष्ट रूप से बताना चाहिए। मैं जानना चाहता हूं कि क्या राज्य के मंत्रियों के विदेश दौरे पर जाने के लिए ऋण लिया जा रहा है? हमने हाल ही में सुना है कि दिल्ली में राज्य सरकार के प्रतिनिधि को 1 लाख रुपये का मानदेय दिया जा रहा है। मैं जानना चाहता हूं कि क्या ऋण इस तरह के उद्देश्यों के लिए लिया जा रहा है?
–आईएएनएस
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