deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home ब्लॉग

ग्रीनलैंड के ग्लेशियर 20वीं शताब्दी की तुलना में तीन गुना तेजी से पिघल रहे हैं

by
May 30, 2023
in ब्लॉग
0
0
SHARES
1
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT

लंदन, 30 मई (आईएएनएस)। ग्रीनलैंड में ग्लेशियर और बर्फ की चोटियों का बड़े पैमाने पर पिघलना जारी है, जो कि 20वीं शताब्दी की तुलना में तीन गुना तेज हो गया है। एक नए अध्ययन से ये जानकारी सामने आई है।

यह रिसर्च जलवायु परिवर्तन के चलते ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों और आइस कैप में दीर्घकालिक परिवर्तनों में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। इसने पिछले दशक में समुद्र-स्तर में वृद्धि में काफी योगदान दिया है।

READ ALSO

पिछले वर्ष 72 प्रतिशत भारतीय कंपनियों पर एआई आधारित साइबर हमले हुए: रिपोर्ट

बेसिक की अपेक्षा फिटनेस सेंटर, क्लबहाउस जैसी आधुनिक सुविधाओं वाले घरों की बढ़ रही मांग : रिपोर्ट

ऐतिहासिक डेटा का उपयोग करते हुए वैज्ञानिकों ने 5,327 ग्लेशियरों और आइस कैप्स की मैपिंग की, जो 1900 में लिटिल आइस एज के अंत में मौजूद थे। यह वह समय था जब व्यापक कूलिंग हुई और औसत वैश्विक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस नीचे गिर गया। इसके बाद खुलासा हुआ कि 2001 तक ये ग्लेशियर और आइस कैप्स 5,467 टुकड़ों में बंट गए।

जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों ने पिछली शताब्दी में कम से कम 587 क्यूबिक किलोमीटर बर्फ खो दी है, जो समुद्र के स्तर में 1.38 मिलीमीटर वृद्धि के लिए जिम्मेदार है।

यह प्रति वर्ष 4.34 जीटी की खतरनाक दर पर 499 गीगाटन (जीटी) के बराबर है जो 43,400 अमेरिकी विमान वाहकों को भरने के लिए पर्याप्त है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि यह अनुमान है कि जिस गति से बर्फ 2000 और 2019 के बीच पिघल गई, वह लंबी अवधि (1900 से) के औसत से तीन गुना अधिक है।

पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय में पर्यावरण, भूगोल और भूविज्ञान स्कूल के डॉ क्लेयर बोस्टन ने कहा, यह भी ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि हमने केवल उन ग्लेशियरों और बर्फ की चोटियों को देखा जो कि क्षेत्रफल में कम से कम 1 किमी थे, इसलिए पिघली हुई बर्फ की कुल मात्रा हमारी भविष्यवाणी से भी अधिक होगी, यदि आप छोटी चोटियों को ध्यान में रखते हैं।

यह अध्ययन वैश्विक समुद्र-स्तर में वृद्धि के संदर्भ में इन परिवर्तनों को समझने के महत्व पर बल देता है।

ग्रीनलैंड के ग्लेशियर और बर्फ की चोटियां पिघले हुए पानी के बहाव में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं और वर्तमान में अलास्का के बाद पिघले पानी का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है।

लीड्स विश्वविद्यालय में भूगोल स्कूल के प्रमुख ऑथर डॉ जोनाथन एल. कैरिविक ने कहा, ग्रीनलैंड से उत्तरी अटलांटिक में पिघले पानी का प्रभाव वैश्विक समुद्र-स्तर की वृद्धि से और ऊपर जाता है, जो उत्तरी अटलांटिक महासागर परिसंचरण, यूरोपीय जलवायु पैटर्न और ग्रीनलैंड के पानी की गुणवत्ता और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करता है।

इसका मनुष्यों पर भी अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। इन ग्लेशियर परिवर्तनों का मछली पकड़ने, खनन और जल विद्युत की आर्थिक गतिविधियों पर सीधा प्रभाव पड़ने के साथ-साथ लोगों के स्वास्थ्य और व्यवहार भी प्रभावित करता है।

–आईएएनएस

एसकेपी

ADVERTISEMENT

लंदन, 30 मई (आईएएनएस)। ग्रीनलैंड में ग्लेशियर और बर्फ की चोटियों का बड़े पैमाने पर पिघलना जारी है, जो कि 20वीं शताब्दी की तुलना में तीन गुना तेज हो गया है। एक नए अध्ययन से ये जानकारी सामने आई है।

यह रिसर्च जलवायु परिवर्तन के चलते ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों और आइस कैप में दीर्घकालिक परिवर्तनों में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। इसने पिछले दशक में समुद्र-स्तर में वृद्धि में काफी योगदान दिया है।

ऐतिहासिक डेटा का उपयोग करते हुए वैज्ञानिकों ने 5,327 ग्लेशियरों और आइस कैप्स की मैपिंग की, जो 1900 में लिटिल आइस एज के अंत में मौजूद थे। यह वह समय था जब व्यापक कूलिंग हुई और औसत वैश्विक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस नीचे गिर गया। इसके बाद खुलासा हुआ कि 2001 तक ये ग्लेशियर और आइस कैप्स 5,467 टुकड़ों में बंट गए।

जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों ने पिछली शताब्दी में कम से कम 587 क्यूबिक किलोमीटर बर्फ खो दी है, जो समुद्र के स्तर में 1.38 मिलीमीटर वृद्धि के लिए जिम्मेदार है।

यह प्रति वर्ष 4.34 जीटी की खतरनाक दर पर 499 गीगाटन (जीटी) के बराबर है जो 43,400 अमेरिकी विमान वाहकों को भरने के लिए पर्याप्त है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि यह अनुमान है कि जिस गति से बर्फ 2000 और 2019 के बीच पिघल गई, वह लंबी अवधि (1900 से) के औसत से तीन गुना अधिक है।

पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय में पर्यावरण, भूगोल और भूविज्ञान स्कूल के डॉ क्लेयर बोस्टन ने कहा, यह भी ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि हमने केवल उन ग्लेशियरों और बर्फ की चोटियों को देखा जो कि क्षेत्रफल में कम से कम 1 किमी थे, इसलिए पिघली हुई बर्फ की कुल मात्रा हमारी भविष्यवाणी से भी अधिक होगी, यदि आप छोटी चोटियों को ध्यान में रखते हैं।

यह अध्ययन वैश्विक समुद्र-स्तर में वृद्धि के संदर्भ में इन परिवर्तनों को समझने के महत्व पर बल देता है।

ग्रीनलैंड के ग्लेशियर और बर्फ की चोटियां पिघले हुए पानी के बहाव में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं और वर्तमान में अलास्का के बाद पिघले पानी का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है।

लीड्स विश्वविद्यालय में भूगोल स्कूल के प्रमुख ऑथर डॉ जोनाथन एल. कैरिविक ने कहा, ग्रीनलैंड से उत्तरी अटलांटिक में पिघले पानी का प्रभाव वैश्विक समुद्र-स्तर की वृद्धि से और ऊपर जाता है, जो उत्तरी अटलांटिक महासागर परिसंचरण, यूरोपीय जलवायु पैटर्न और ग्रीनलैंड के पानी की गुणवत्ता और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करता है।

इसका मनुष्यों पर भी अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। इन ग्लेशियर परिवर्तनों का मछली पकड़ने, खनन और जल विद्युत की आर्थिक गतिविधियों पर सीधा प्रभाव पड़ने के साथ-साथ लोगों के स्वास्थ्य और व्यवहार भी प्रभावित करता है।

–आईएएनएस

एसकेपी

ADVERTISEMENT

लंदन, 30 मई (आईएएनएस)। ग्रीनलैंड में ग्लेशियर और बर्फ की चोटियों का बड़े पैमाने पर पिघलना जारी है, जो कि 20वीं शताब्दी की तुलना में तीन गुना तेज हो गया है। एक नए अध्ययन से ये जानकारी सामने आई है।

यह रिसर्च जलवायु परिवर्तन के चलते ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों और आइस कैप में दीर्घकालिक परिवर्तनों में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। इसने पिछले दशक में समुद्र-स्तर में वृद्धि में काफी योगदान दिया है।

ऐतिहासिक डेटा का उपयोग करते हुए वैज्ञानिकों ने 5,327 ग्लेशियरों और आइस कैप्स की मैपिंग की, जो 1900 में लिटिल आइस एज के अंत में मौजूद थे। यह वह समय था जब व्यापक कूलिंग हुई और औसत वैश्विक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस नीचे गिर गया। इसके बाद खुलासा हुआ कि 2001 तक ये ग्लेशियर और आइस कैप्स 5,467 टुकड़ों में बंट गए।

जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों ने पिछली शताब्दी में कम से कम 587 क्यूबिक किलोमीटर बर्फ खो दी है, जो समुद्र के स्तर में 1.38 मिलीमीटर वृद्धि के लिए जिम्मेदार है।

यह प्रति वर्ष 4.34 जीटी की खतरनाक दर पर 499 गीगाटन (जीटी) के बराबर है जो 43,400 अमेरिकी विमान वाहकों को भरने के लिए पर्याप्त है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि यह अनुमान है कि जिस गति से बर्फ 2000 और 2019 के बीच पिघल गई, वह लंबी अवधि (1900 से) के औसत से तीन गुना अधिक है।

पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय में पर्यावरण, भूगोल और भूविज्ञान स्कूल के डॉ क्लेयर बोस्टन ने कहा, यह भी ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि हमने केवल उन ग्लेशियरों और बर्फ की चोटियों को देखा जो कि क्षेत्रफल में कम से कम 1 किमी थे, इसलिए पिघली हुई बर्फ की कुल मात्रा हमारी भविष्यवाणी से भी अधिक होगी, यदि आप छोटी चोटियों को ध्यान में रखते हैं।

यह अध्ययन वैश्विक समुद्र-स्तर में वृद्धि के संदर्भ में इन परिवर्तनों को समझने के महत्व पर बल देता है।

ग्रीनलैंड के ग्लेशियर और बर्फ की चोटियां पिघले हुए पानी के बहाव में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं और वर्तमान में अलास्का के बाद पिघले पानी का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है।

लीड्स विश्वविद्यालय में भूगोल स्कूल के प्रमुख ऑथर डॉ जोनाथन एल. कैरिविक ने कहा, ग्रीनलैंड से उत्तरी अटलांटिक में पिघले पानी का प्रभाव वैश्विक समुद्र-स्तर की वृद्धि से और ऊपर जाता है, जो उत्तरी अटलांटिक महासागर परिसंचरण, यूरोपीय जलवायु पैटर्न और ग्रीनलैंड के पानी की गुणवत्ता और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करता है।

इसका मनुष्यों पर भी अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। इन ग्लेशियर परिवर्तनों का मछली पकड़ने, खनन और जल विद्युत की आर्थिक गतिविधियों पर सीधा प्रभाव पड़ने के साथ-साथ लोगों के स्वास्थ्य और व्यवहार भी प्रभावित करता है।

–आईएएनएस

एसकेपी

ADVERTISEMENT

लंदन, 30 मई (आईएएनएस)। ग्रीनलैंड में ग्लेशियर और बर्फ की चोटियों का बड़े पैमाने पर पिघलना जारी है, जो कि 20वीं शताब्दी की तुलना में तीन गुना तेज हो गया है। एक नए अध्ययन से ये जानकारी सामने आई है।

यह रिसर्च जलवायु परिवर्तन के चलते ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों और आइस कैप में दीर्घकालिक परिवर्तनों में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। इसने पिछले दशक में समुद्र-स्तर में वृद्धि में काफी योगदान दिया है।

ऐतिहासिक डेटा का उपयोग करते हुए वैज्ञानिकों ने 5,327 ग्लेशियरों और आइस कैप्स की मैपिंग की, जो 1900 में लिटिल आइस एज के अंत में मौजूद थे। यह वह समय था जब व्यापक कूलिंग हुई और औसत वैश्विक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस नीचे गिर गया। इसके बाद खुलासा हुआ कि 2001 तक ये ग्लेशियर और आइस कैप्स 5,467 टुकड़ों में बंट गए।

जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों ने पिछली शताब्दी में कम से कम 587 क्यूबिक किलोमीटर बर्फ खो दी है, जो समुद्र के स्तर में 1.38 मिलीमीटर वृद्धि के लिए जिम्मेदार है।

यह प्रति वर्ष 4.34 जीटी की खतरनाक दर पर 499 गीगाटन (जीटी) के बराबर है जो 43,400 अमेरिकी विमान वाहकों को भरने के लिए पर्याप्त है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि यह अनुमान है कि जिस गति से बर्फ 2000 और 2019 के बीच पिघल गई, वह लंबी अवधि (1900 से) के औसत से तीन गुना अधिक है।

पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय में पर्यावरण, भूगोल और भूविज्ञान स्कूल के डॉ क्लेयर बोस्टन ने कहा, यह भी ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि हमने केवल उन ग्लेशियरों और बर्फ की चोटियों को देखा जो कि क्षेत्रफल में कम से कम 1 किमी थे, इसलिए पिघली हुई बर्फ की कुल मात्रा हमारी भविष्यवाणी से भी अधिक होगी, यदि आप छोटी चोटियों को ध्यान में रखते हैं।

यह अध्ययन वैश्विक समुद्र-स्तर में वृद्धि के संदर्भ में इन परिवर्तनों को समझने के महत्व पर बल देता है।

ग्रीनलैंड के ग्लेशियर और बर्फ की चोटियां पिघले हुए पानी के बहाव में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं और वर्तमान में अलास्का के बाद पिघले पानी का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है।

लीड्स विश्वविद्यालय में भूगोल स्कूल के प्रमुख ऑथर डॉ जोनाथन एल. कैरिविक ने कहा, ग्रीनलैंड से उत्तरी अटलांटिक में पिघले पानी का प्रभाव वैश्विक समुद्र-स्तर की वृद्धि से और ऊपर जाता है, जो उत्तरी अटलांटिक महासागर परिसंचरण, यूरोपीय जलवायु पैटर्न और ग्रीनलैंड के पानी की गुणवत्ता और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करता है।

इसका मनुष्यों पर भी अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। इन ग्लेशियर परिवर्तनों का मछली पकड़ने, खनन और जल विद्युत की आर्थिक गतिविधियों पर सीधा प्रभाव पड़ने के साथ-साथ लोगों के स्वास्थ्य और व्यवहार भी प्रभावित करता है।

–आईएएनएस

एसकेपी

ADVERTISEMENT

लंदन, 30 मई (आईएएनएस)। ग्रीनलैंड में ग्लेशियर और बर्फ की चोटियों का बड़े पैमाने पर पिघलना जारी है, जो कि 20वीं शताब्दी की तुलना में तीन गुना तेज हो गया है। एक नए अध्ययन से ये जानकारी सामने आई है।

यह रिसर्च जलवायु परिवर्तन के चलते ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों और आइस कैप में दीर्घकालिक परिवर्तनों में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। इसने पिछले दशक में समुद्र-स्तर में वृद्धि में काफी योगदान दिया है।

ऐतिहासिक डेटा का उपयोग करते हुए वैज्ञानिकों ने 5,327 ग्लेशियरों और आइस कैप्स की मैपिंग की, जो 1900 में लिटिल आइस एज के अंत में मौजूद थे। यह वह समय था जब व्यापक कूलिंग हुई और औसत वैश्विक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस नीचे गिर गया। इसके बाद खुलासा हुआ कि 2001 तक ये ग्लेशियर और आइस कैप्स 5,467 टुकड़ों में बंट गए।

जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों ने पिछली शताब्दी में कम से कम 587 क्यूबिक किलोमीटर बर्फ खो दी है, जो समुद्र के स्तर में 1.38 मिलीमीटर वृद्धि के लिए जिम्मेदार है।

यह प्रति वर्ष 4.34 जीटी की खतरनाक दर पर 499 गीगाटन (जीटी) के बराबर है जो 43,400 अमेरिकी विमान वाहकों को भरने के लिए पर्याप्त है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि यह अनुमान है कि जिस गति से बर्फ 2000 और 2019 के बीच पिघल गई, वह लंबी अवधि (1900 से) के औसत से तीन गुना अधिक है।

पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय में पर्यावरण, भूगोल और भूविज्ञान स्कूल के डॉ क्लेयर बोस्टन ने कहा, यह भी ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि हमने केवल उन ग्लेशियरों और बर्फ की चोटियों को देखा जो कि क्षेत्रफल में कम से कम 1 किमी थे, इसलिए पिघली हुई बर्फ की कुल मात्रा हमारी भविष्यवाणी से भी अधिक होगी, यदि आप छोटी चोटियों को ध्यान में रखते हैं।

यह अध्ययन वैश्विक समुद्र-स्तर में वृद्धि के संदर्भ में इन परिवर्तनों को समझने के महत्व पर बल देता है।

ग्रीनलैंड के ग्लेशियर और बर्फ की चोटियां पिघले हुए पानी के बहाव में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं और वर्तमान में अलास्का के बाद पिघले पानी का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है।

लीड्स विश्वविद्यालय में भूगोल स्कूल के प्रमुख ऑथर डॉ जोनाथन एल. कैरिविक ने कहा, ग्रीनलैंड से उत्तरी अटलांटिक में पिघले पानी का प्रभाव वैश्विक समुद्र-स्तर की वृद्धि से और ऊपर जाता है, जो उत्तरी अटलांटिक महासागर परिसंचरण, यूरोपीय जलवायु पैटर्न और ग्रीनलैंड के पानी की गुणवत्ता और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करता है।

इसका मनुष्यों पर भी अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। इन ग्लेशियर परिवर्तनों का मछली पकड़ने, खनन और जल विद्युत की आर्थिक गतिविधियों पर सीधा प्रभाव पड़ने के साथ-साथ लोगों के स्वास्थ्य और व्यवहार भी प्रभावित करता है।

–आईएएनएस

एसकेपी

ADVERTISEMENT

लंदन, 30 मई (आईएएनएस)। ग्रीनलैंड में ग्लेशियर और बर्फ की चोटियों का बड़े पैमाने पर पिघलना जारी है, जो कि 20वीं शताब्दी की तुलना में तीन गुना तेज हो गया है। एक नए अध्ययन से ये जानकारी सामने आई है।

यह रिसर्च जलवायु परिवर्तन के चलते ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों और आइस कैप में दीर्घकालिक परिवर्तनों में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। इसने पिछले दशक में समुद्र-स्तर में वृद्धि में काफी योगदान दिया है।

ऐतिहासिक डेटा का उपयोग करते हुए वैज्ञानिकों ने 5,327 ग्लेशियरों और आइस कैप्स की मैपिंग की, जो 1900 में लिटिल आइस एज के अंत में मौजूद थे। यह वह समय था जब व्यापक कूलिंग हुई और औसत वैश्विक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस नीचे गिर गया। इसके बाद खुलासा हुआ कि 2001 तक ये ग्लेशियर और आइस कैप्स 5,467 टुकड़ों में बंट गए।

जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों ने पिछली शताब्दी में कम से कम 587 क्यूबिक किलोमीटर बर्फ खो दी है, जो समुद्र के स्तर में 1.38 मिलीमीटर वृद्धि के लिए जिम्मेदार है।

यह प्रति वर्ष 4.34 जीटी की खतरनाक दर पर 499 गीगाटन (जीटी) के बराबर है जो 43,400 अमेरिकी विमान वाहकों को भरने के लिए पर्याप्त है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि यह अनुमान है कि जिस गति से बर्फ 2000 और 2019 के बीच पिघल गई, वह लंबी अवधि (1900 से) के औसत से तीन गुना अधिक है।

पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय में पर्यावरण, भूगोल और भूविज्ञान स्कूल के डॉ क्लेयर बोस्टन ने कहा, यह भी ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि हमने केवल उन ग्लेशियरों और बर्फ की चोटियों को देखा जो कि क्षेत्रफल में कम से कम 1 किमी थे, इसलिए पिघली हुई बर्फ की कुल मात्रा हमारी भविष्यवाणी से भी अधिक होगी, यदि आप छोटी चोटियों को ध्यान में रखते हैं।

यह अध्ययन वैश्विक समुद्र-स्तर में वृद्धि के संदर्भ में इन परिवर्तनों को समझने के महत्व पर बल देता है।

ग्रीनलैंड के ग्लेशियर और बर्फ की चोटियां पिघले हुए पानी के बहाव में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं और वर्तमान में अलास्का के बाद पिघले पानी का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है।

लीड्स विश्वविद्यालय में भूगोल स्कूल के प्रमुख ऑथर डॉ जोनाथन एल. कैरिविक ने कहा, ग्रीनलैंड से उत्तरी अटलांटिक में पिघले पानी का प्रभाव वैश्विक समुद्र-स्तर की वृद्धि से और ऊपर जाता है, जो उत्तरी अटलांटिक महासागर परिसंचरण, यूरोपीय जलवायु पैटर्न और ग्रीनलैंड के पानी की गुणवत्ता और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करता है।

इसका मनुष्यों पर भी अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। इन ग्लेशियर परिवर्तनों का मछली पकड़ने, खनन और जल विद्युत की आर्थिक गतिविधियों पर सीधा प्रभाव पड़ने के साथ-साथ लोगों के स्वास्थ्य और व्यवहार भी प्रभावित करता है।

–आईएएनएस

एसकेपी

ADVERTISEMENT

लंदन, 30 मई (आईएएनएस)। ग्रीनलैंड में ग्लेशियर और बर्फ की चोटियों का बड़े पैमाने पर पिघलना जारी है, जो कि 20वीं शताब्दी की तुलना में तीन गुना तेज हो गया है। एक नए अध्ययन से ये जानकारी सामने आई है।

यह रिसर्च जलवायु परिवर्तन के चलते ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों और आइस कैप में दीर्घकालिक परिवर्तनों में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। इसने पिछले दशक में समुद्र-स्तर में वृद्धि में काफी योगदान दिया है।

ऐतिहासिक डेटा का उपयोग करते हुए वैज्ञानिकों ने 5,327 ग्लेशियरों और आइस कैप्स की मैपिंग की, जो 1900 में लिटिल आइस एज के अंत में मौजूद थे। यह वह समय था जब व्यापक कूलिंग हुई और औसत वैश्विक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस नीचे गिर गया। इसके बाद खुलासा हुआ कि 2001 तक ये ग्लेशियर और आइस कैप्स 5,467 टुकड़ों में बंट गए।

जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों ने पिछली शताब्दी में कम से कम 587 क्यूबिक किलोमीटर बर्फ खो दी है, जो समुद्र के स्तर में 1.38 मिलीमीटर वृद्धि के लिए जिम्मेदार है।

यह प्रति वर्ष 4.34 जीटी की खतरनाक दर पर 499 गीगाटन (जीटी) के बराबर है जो 43,400 अमेरिकी विमान वाहकों को भरने के लिए पर्याप्त है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि यह अनुमान है कि जिस गति से बर्फ 2000 और 2019 के बीच पिघल गई, वह लंबी अवधि (1900 से) के औसत से तीन गुना अधिक है।

पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय में पर्यावरण, भूगोल और भूविज्ञान स्कूल के डॉ क्लेयर बोस्टन ने कहा, यह भी ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि हमने केवल उन ग्लेशियरों और बर्फ की चोटियों को देखा जो कि क्षेत्रफल में कम से कम 1 किमी थे, इसलिए पिघली हुई बर्फ की कुल मात्रा हमारी भविष्यवाणी से भी अधिक होगी, यदि आप छोटी चोटियों को ध्यान में रखते हैं।

यह अध्ययन वैश्विक समुद्र-स्तर में वृद्धि के संदर्भ में इन परिवर्तनों को समझने के महत्व पर बल देता है।

ग्रीनलैंड के ग्लेशियर और बर्फ की चोटियां पिघले हुए पानी के बहाव में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं और वर्तमान में अलास्का के बाद पिघले पानी का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है।

लीड्स विश्वविद्यालय में भूगोल स्कूल के प्रमुख ऑथर डॉ जोनाथन एल. कैरिविक ने कहा, ग्रीनलैंड से उत्तरी अटलांटिक में पिघले पानी का प्रभाव वैश्विक समुद्र-स्तर की वृद्धि से और ऊपर जाता है, जो उत्तरी अटलांटिक महासागर परिसंचरण, यूरोपीय जलवायु पैटर्न और ग्रीनलैंड के पानी की गुणवत्ता और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करता है।

इसका मनुष्यों पर भी अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। इन ग्लेशियर परिवर्तनों का मछली पकड़ने, खनन और जल विद्युत की आर्थिक गतिविधियों पर सीधा प्रभाव पड़ने के साथ-साथ लोगों के स्वास्थ्य और व्यवहार भी प्रभावित करता है।

–आईएएनएस

एसकेपी

ADVERTISEMENT

लंदन, 30 मई (आईएएनएस)। ग्रीनलैंड में ग्लेशियर और बर्फ की चोटियों का बड़े पैमाने पर पिघलना जारी है, जो कि 20वीं शताब्दी की तुलना में तीन गुना तेज हो गया है। एक नए अध्ययन से ये जानकारी सामने आई है।

यह रिसर्च जलवायु परिवर्तन के चलते ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों और आइस कैप में दीर्घकालिक परिवर्तनों में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। इसने पिछले दशक में समुद्र-स्तर में वृद्धि में काफी योगदान दिया है।

ऐतिहासिक डेटा का उपयोग करते हुए वैज्ञानिकों ने 5,327 ग्लेशियरों और आइस कैप्स की मैपिंग की, जो 1900 में लिटिल आइस एज के अंत में मौजूद थे। यह वह समय था जब व्यापक कूलिंग हुई और औसत वैश्विक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस नीचे गिर गया। इसके बाद खुलासा हुआ कि 2001 तक ये ग्लेशियर और आइस कैप्स 5,467 टुकड़ों में बंट गए।

जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों ने पिछली शताब्दी में कम से कम 587 क्यूबिक किलोमीटर बर्फ खो दी है, जो समुद्र के स्तर में 1.38 मिलीमीटर वृद्धि के लिए जिम्मेदार है।

यह प्रति वर्ष 4.34 जीटी की खतरनाक दर पर 499 गीगाटन (जीटी) के बराबर है जो 43,400 अमेरिकी विमान वाहकों को भरने के लिए पर्याप्त है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि यह अनुमान है कि जिस गति से बर्फ 2000 और 2019 के बीच पिघल गई, वह लंबी अवधि (1900 से) के औसत से तीन गुना अधिक है।

पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय में पर्यावरण, भूगोल और भूविज्ञान स्कूल के डॉ क्लेयर बोस्टन ने कहा, यह भी ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि हमने केवल उन ग्लेशियरों और बर्फ की चोटियों को देखा जो कि क्षेत्रफल में कम से कम 1 किमी थे, इसलिए पिघली हुई बर्फ की कुल मात्रा हमारी भविष्यवाणी से भी अधिक होगी, यदि आप छोटी चोटियों को ध्यान में रखते हैं।

यह अध्ययन वैश्विक समुद्र-स्तर में वृद्धि के संदर्भ में इन परिवर्तनों को समझने के महत्व पर बल देता है।

ग्रीनलैंड के ग्लेशियर और बर्फ की चोटियां पिघले हुए पानी के बहाव में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं और वर्तमान में अलास्का के बाद पिघले पानी का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है।

लीड्स विश्वविद्यालय में भूगोल स्कूल के प्रमुख ऑथर डॉ जोनाथन एल. कैरिविक ने कहा, ग्रीनलैंड से उत्तरी अटलांटिक में पिघले पानी का प्रभाव वैश्विक समुद्र-स्तर की वृद्धि से और ऊपर जाता है, जो उत्तरी अटलांटिक महासागर परिसंचरण, यूरोपीय जलवायु पैटर्न और ग्रीनलैंड के पानी की गुणवत्ता और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करता है।

इसका मनुष्यों पर भी अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। इन ग्लेशियर परिवर्तनों का मछली पकड़ने, खनन और जल विद्युत की आर्थिक गतिविधियों पर सीधा प्रभाव पड़ने के साथ-साथ लोगों के स्वास्थ्य और व्यवहार भी प्रभावित करता है।

–आईएएनएस

एसकेपी

Related Posts

ब्लॉग

पिछले वर्ष 72 प्रतिशत भारतीय कंपनियों पर एआई आधारित साइबर हमले हुए: रिपोर्ट

June 10, 2025
ब्लॉग

बेसिक की अपेक्षा फिटनेस सेंटर, क्लबहाउस जैसी आधुनिक सुविधाओं वाले घरों की बढ़ रही मांग : रिपोर्ट

June 10, 2025
ब्लॉग

भारती एयरटेल ने पैन इंडिया नेटवर्क के लिए एरिक्सन के साथ किया समझौता

June 10, 2025
ब्लॉग

भारतीय रियल एस्टेट मार्केट ग्लोबल वर्कस्पेस की मांग को पूरा करने के लिए तैयार: रिपोर्ट

June 10, 2025
ब्लॉग

भारत के व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से स्विटजरलैंड और स्वीडन के लिए रवाना हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल

June 10, 2025
ब्लॉग

शेयर बाजार हरे निशान में बंद, निफ्टी बैंक ऑल टाइम हाई पर

June 10, 2025
Next Post
मॉस्को को निशाना बनाने वाले कई ड्रोन मार गिराए गए: गवर्नर

मॉस्को को निशाना बनाने वाले कई ड्रोन मार गिराए गए: गवर्नर

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

083710
Total views : 5888273
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In