कोलकाता, 1 जून (आईएएनएस)। करोड़ों रुपये के स्कूल भर्ती मामले की बुनियादी योजना पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीपीई) के कार्यालय में आयोजित की गई, इसमें तृणमूल कांग्रेस के विधायक माणिक भट्टाचार्य और पार्टी के विश्वासपात्र सुजय कृष्ण भद्र शामिल थे। यह आरोप ईडी ने लगाया है।
भद्र के लिए ईडी के रिमांड पत्र में इसका उल्लेख किया गया था, जिसे 12 घंटे की मैराथन ग्रिलिंग के बाद मंगलवार रात केंद्रीय जांच एजेंसी ने गिरफ्तार किया था।
सूत्रों ने कहा कि भट्टाचार्य और भद्र के बीच नियमित बैठकें डब्ल्यूबीबीपीई कार्यालय में होती थीं, जहां प्राथमिक शिक्षकों के रूप में नौकरियों के लिए पैसे देने के इच्छुक उम्मीदवारों की सूची लेकर आते थे।
ईडी ने पहले ही भद्र के बयानों का खंडन किया है कि उनका भट्टाचार्य से परिचय 2021 में हुआ था, जबकि बरामद व्हाट्सएप चैट इतिहास से संकेत मिलता है कि बातचीत 2018 में हुई थी।
जबकि भद्र अभी ईडी की हिरासत में हैं, भट्टाचार्य अपनी पत्नी और बेटे के साथ न्यायिक हिरासत में हैं।
सूत्रों ने कहा कि भद्र और उनके करीबी सहयोगियों के आवास से बरामद विभिन्न दस्तावेजों, कागज और इलेक्ट्रॉनिक दोनों से ईडी को कुछ आंकड़े मिले हैं कि नियुक्तियों के लिए उनके द्वारा कितने उम्मीदवारों की सिफारिश की गई थी और उन्होंने उनसे कितना पैसा वसूल किया था।
जांच अधिकारी अब मामले में अंतिम गिनती तक पहुंचने के लिए उपलब्ध आंकड़ों का मिलान करने की कोशिश कर रहे हैं।
एक अन्य बिंदु जो जांच अधिकारियों को चकित कर रहा है, वह एक अन्य आरोपी और निष्कासित युवा कांग्रेस नेता कुंतल घोष का बयान है, जिसने पूछताछ के दौरान दावा किया कि उसने 2014 में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के लिए संग्रह राशि के रूप में भद्र को 70 लाख रुपये दिए थे।
उस राशि में से 10 लाख रुपये घोष ने राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को भादरा के एक निर्देश के बाद दिए थे।
ईडी अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस मामले में घोष से वसूले गए बाकी के 60 लाख रुपये खुद भद्र ने अपने पास रखे थे या उन्होंने इसे किसी और को दे दिया था।
–आईएएनएस
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